वित्त मंत्रालय विभाग का संगठन- व्यय विभाग |व्यय विभाग प्रभाग | Department of Expenditure GK in Hindi

वित्त मंत्रालय विभाग का संगठन-  व्यय विभाग

Department of Expenditure GK in Hindi

(2) व्यय विभाग (Department of Expenditure ) : 

वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग निम्नलिखित विषयों का प्रशासन संचालित करता है 

(1) वित्तीय नियंत्रण एवं प्रतिबन्ध और वित्तीय शक्तियों का प्रत्यायोजन 

(2) भारत सरकार के सभी मंत्रालयों एवं कार्यालयों से संबंधित वित्तीय अनुमतियाँविशेषतः उप विभागों में जिन्हें कोई सामान्य अथवा विशेष आदेश प्राप्त नहीं हैं: 

(3) मितव्ययिता लाने के लिए सरकारी संस्थानों की भर्ती पर पुनर्विचार

(4) लागत लेखा संबंधी प्रश्नों पर मंत्रालयों तथा सरकारी उद्यमों को परामर्श देना 

(5) भारतीय लेखा परीक्षण विभाग

(6) प्रतिरक्षा लेखा विभाग मोटे रूप से यह कहा जा सकता है कि व्यय विभाग भारत सरकार के समस्त व्यय का नियंत्रण करता है और अपव्यय को रोकने के लिए उत्तरदायी है।

 

व्यय विभाग में निम्नलिखित प्रभाग हैं :

 

(i) योजना वित्त प्रभाग I (Plan Finance Division  I ) 

(ii) योजना वित्त प्रभाग II (Plan Finance Division II). 

(iii) वित्त आयोग प्रभाग (Finance Commission Division); 

(iv) संस्थापन प्रभाग (Establishment Division); 

(v) लागत लेखा शाखा (Cost Accounts Branch): 

(vi) महालेखा नियंत्रक का संगठन (Controller General of Accounts); 

(vi) कर्मचारी निरीक्षण एकक (Staff Inspection Unit); 

(viii) रक्षा प्रभाग (Department of Defence) और 

(ix) सरकारी उद्यम कार्यालय ( Govt Industry Office)

 

(i) योजना वित्त प्रभाग I (Plan Finance Division I) : 

योजना वित्त प्रभाग । केन्द्र और राज्यों की योजनाओं के लिए कुल बजट संबंधी और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों का अनुमान लगाने के लिए वित्त मंत्रालय में एक केन्द्र बिन्दु है । यह राज्य संबंधित मामलों का निपटारा करता है।

 

(ii) योजना वित्त प्रभाग II ( Plan Finance Division II) : 

इस प्रभाग द्वारा केन्द्रीय योजना से संबंधित सभी मामलों को निपटाया जाता है। यह सार्वजनिक नियोजन मण्डल (Public Investment Board ) के रूप में भी कार्य करता है।

 

(iii) वित्त आयोग प्रभाग (Finance Commission Division ) : 

इस प्रभाग को आजकल व्यय विभाग में रखा गया है। इस प्रभाग को ये कार्य सौंपे गये हैं

 

(क) वित्त आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन पर नजर रखना; 

(ख) राज्यों के वित्त के सम्बन्ध में अध्ययन करना और ऐसे शोध पत्र और आँकड़े प्रकाशित करनाजिनका इससे सम्बन्ध है। इस प्रभाग ने सम्बन्धित केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्यों के साथ नवें वित्त आयोग की सिफारिशों पर अनुवर्ती कार्यवाही की यह प्रभाग वर्तमान में दसवें वित्त आयोग के उपयोग के लिए राज्यों के वित्तों से सम्बन्धित आँकड़ों / सूचना एकत्र करने तथा उसका विश्लेषण करने में व्यस्त है।

 

(iv) संस्थापन विभाग ( Establishment Division) 

  • संस्थापन प्रभाग मुख्यतः विभिन्न वित्तीय नियमों और विनियमों को प्रशासित करने के लिए जिम्मेदार है जिनमें केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों की सेवा शर्तों से सम्बन्धित नियम और विनियम भी शामिल हैं। वित्त मन्त्रालय के वार्षिक प्रतिवेदन 1991-92 के अनसार सरकार के सेवा सम्बन्धी नियमों का सरलीकरण करने तथा कार्य विधियों को सुप्रवाहित करने के लिए कुछ उपाय किए गये हैं और अधिक उपायों पर विचार किया जा रहा है। सेवारत / सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारियोंपेंशनभोगियों और परिवार पेन्शनभोगियों को और आगे लाभों की मंजूरी देने के लिए भी विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। संस्थापन प्रभाग में कार्यान्वयन कक्ष शामिल है। तीसरे वेतन आयोग की सिफारिशें पर कार्यवाही करने के लिए कार्यान्वयन कक्ष की स्थापना अप्रैल, 1973 में की गयी थी। यह कक्ष थोड़े से कर्मचारियों से ही कार्य संचालन कर रहा है।

 

(v) लागत लेखा शाखा (Cost Accounts Branch) : 

इस शाखा का प्रशासनिक नियंत्रण सार्वजनिक वित्त पर वित्त मंत्रालय का नियन्त्रण वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा किया जाता है। इसका प्रधान मुख्य लागत लेखा अधिकारी होता है जो भारत सरकार के संयुक्त सचिव की हैसियत का है। मुख्य लागत लेखा अधिकारी केन्द्रीय लागत लेखा पूल का अधिकारी होता है। उसकी सहायता के लिए कुछ अन्य अधिकारी होते हैं।

 

वित्त मन्त्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार लागत लेखा शाखा के मुख्य कार्य ये हैं :

 

(क) मूल्य निर्धारण करनेसामान और मजदूरी के मूल्य में होने वाली वृद्धि की मात्रा के सम्बन्ध में निर्णय करनेनिर्यात के सम्बन्ध में नकद सहायता की मात्रा का निर्णय करनेअपनाई जाने वाली लागत लेखा प्रणालियों के सम्बन्ध में सलाह देने आदि के उद्देश्य से विभिन्न मंत्रालयों से प्राप्त हुए सन्दर्भों के आधार पर सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों के विभिन्न एककों में लागत सम्बन्धी अध्ययन करना,

 

(ख) सरकार द्वारा नियुक्त की गई विशेषज्ञ समितियों में जब भी आवश्यक होसदस्य के रूप में कार्य करना और

 

  • (ग) सलाह के लिए भेजे गए लागत और लेखा सम्बन्धी मामलों पर भारत सरकार के विभिन्न मन्त्रालयों विभागों तथा सरकारी उपक्रमों को सलाह देना । लागत लेखा ने लगभग 190 लागत रिपोर्ट जारी की जिसमें गैर-सरकारी क्षेत्रों के कई लागत सम्बन्धी अध्ययन शामिल हैंजिनका प्रयोजन मूल्य निर्धारणनिर्यात सम्बन्धी दावों का विनियमनउत्पाद शुल्कसीमा शुल्क में कमी करने की आवश्यकता पर विचार करने आदि शामिल हैं। इस शाखा के अधिकारी महत्वपूर्ण समितियों में काम करते रहे हैं। वर्ष 1977 से मुख्य लागत लेखा अधिकारी को प्रबन्ध सूचना और लेखा कार्य प्रणाली को स्थापित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों का मार्ग दर्शन करने और परामर्श देने संबंधी उच्च स्तरीय सलाहकार समिति का सदस्य नामित किया गया है। इस शाखा ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों को उनके द्वारा समय-समय पर भेजे गये विभिन्न लागत सम्बन्धी और वित्तीय मामलों पर सलाह भी दी है।

 

(vi) महालेखा नियन्त्रण संगठन (Controller General of Accounts ) :- 

  • महालेखा नियन्त्रक के संगठन की स्थापना लेखा परीक्षा से लेखाओं के अलग होने और केन्द्रीय सरकार के लेखाओं का विभागीकरण किए जाने के बाद 1967 में की गई थी। मंत्रालय में यह शीर्ष नीति निर्मात्री संस्था है और संघीय तथा राज्य सरकारों के लेखाओं का स्वरूप निर्धारण करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद् 150 अ के अन्तर्गत राष्ट्रपति की शक्तियों का पालन अब इस संगठन के माध्यम से किया जाता है।

 

(vii) कर्मचारी निरीक्षण एकक (Staff Inspection Unit): 

  • कर्मचारी निरीक्षण एकक का गठन पूर्णतः अथवा अधिकाँश रूप से सरकारी अनुदानों पर आश्रित सरकारी कार्यालयों और संस्थाओं में प्रशासनिक कार्यकुशलता के अनुरूप कर्मचारियों की संख्या में किफायत करने और कार्य निष्पादन करने और कार्य निष्पादन सम्बन्धी मानक एवं कार्य के प्रतिमान तैयार करने के उद्देश्य से 1964 में किया गया। 1964-77 के वर्षों के दौरान इस एक ने कर्मचारियों सम्बन्धी 651 समीक्षाएं की जिनके अन्तर्गत 109,805 पद आ जाते हैं। इन समीक्षाओं के परिणामस्वरूप लगभग 13.25 करोड़ रुपए की प्रत्यक्ष किफायत (अर्थात् वर्तमान पदों को कम करके) तथा 12.07 करोड़ रुपए की निरोधक किफायत ( अर्थात् नये पदों की माँग को अस्वीकृत करके) हुई। 1971 के दौरान कर्मचारी निरीक्षण एकक ने 28 समीक्षाएँ पूरी की जिनमें से 25 समीक्षाएँ कर्मचारियों के अध्ययन 6 तथा 3 प्रतिमानों से संबंधित अध्ययन थे। कार्यालयों के लिए कर्मचारियों का निर्धारण करने के लिए प्रतिमान तैयार करने तथा आन्तरिक कार्य अध्ययन की रिपोटों का परीक्षण - पडताल करने के अलावा कर्मचारी निरीक्षण एक वित्तीय परामर्श सम्बन्धी कार्य के सम्बन्ध में अध्ययन करके वित्तीय सलाहकारों की सहायता करता है। कर्मचारी निर्धारण करने संबंधी ज्ञान का तथा अनुभव रखने वाला एक केन्द्रीय अभिकरण होने के नातेकर्मचारी निरीक्षण एकक एक यह भी कार्य करता है कि वह अन्य मन्त्रालयों/विभागों के कार्यालयों को संगठित करने तथा उनके लिए कर्मचारी निर्धारण करने के सम्बन्ध में सहायता प्रदान करे।

 

(viii) रक्षा प्रभाग (Department of Defence ) 

इस प्रभाग का अध्यक्ष वित्त सलाहकार (रक्षा सेवाएँ) है जिसका पद अपर सचिव के स्तर का है। वित्त सलाहकार रक्षा व्यय के क्षेत्र में वित्त मन्त्रालय का मुख्य प्रतिनिधि होता है। इस प्रभाग का गठन इस प्रकार किया गया है कि जिससे रक्षा व्यय पर समुचित वित्तीय नियन्त्रण रखा जा सके और साथ ही रक्षा प्राधिकारियों को उन अधिकारियों से जो रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं की संगठन सम्बन्धी समस्याओं और आवश्यकता से भली-भाँति परिचित होंनीति-निर्माण योजना और उनके कार्यान्वयन सम्बन्धी कार्यो के साथ रक्षा सम्बन्धी गतिविधियों के सम्पूर्ण क्षेत्र के बारे में वित्तीय सलाह मिल सके। 1977-78 की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएँ) की सहायता के लिए 3 अपर वित्तीय सलाहकार (संयुक्त सचिव ) और बहुत से उप-गिलोय सलाहकार हैं जिनमें से प्रत्येक को रक्षा संगठन की एक-एक महत्वपूर्ण शाखा से सम्बद्ध किया गया है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार रक्षा प्रभाग में डेरक अधिकारी योजना आरम्भ की गयी और शुरू-शुरू में 14 डेस्क बनाए गए हैं जिनमें 21 डेस्क कार्यकर्ता हैं।

 

(ix) सरकारी उद्यम कार्यालय (Government Industry Office) : 

  • यह कार्यालय अप्रैल, 1965 में सरकारी उद्यमों के लिए सेवा समन्वय और मूल्यांकन अभिकरण के रूप में स्थापित किया गया। उसका उद्देश्य परियोजनाओं के तकनीकीआर्थिक और वित्तीय पहलुओं तथा सरकारी क्षेत्र के उद्यमों के संचालन में समन्वय और मूल्यांकन से सम्बन्धित व्यवस्थाएँ करना और उनको सुदृढ़ बनाना है। यह कार्यालय सरकारी उद्यमों के प्रबन्ध से सम्बन्धित प्रशासनिक मन्त्रालयों के साथ निकट सम्पर्क रखते हुए काम करता है। उद्यम कार्यालय इन उद्यमों की समस्याओं का निरन्तर अध्ययन करता है तथा उनके कार्य संचालन में सुधार के उपाय ढूंढने के लिए हर सम्भव प्रयत्न करता है।

 

  • 1977-78 की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी उद्यम कार्यालय के छः प्रमुख प्रभाग हैं अर्थात् प्रशासन एवं समन्वयउत्पादननिर्माणवित्त प्रबन्धसूचना एवं अनुसन्धान। यद्यपि सरकारी उद्यम कार्यालय के इन छः प्रभागों को अलग-अलग कार्य सौंपे गए हैंफिर भी वे आपस में पूरी तरह मिल कर कार्य करते हैं। सरकारी उद्यम कार्यालय का सर्व प्रमुख अधिकारी अपर सचिव एवं महानिदेशक हैं। सरकारी उद्यम कार्यालयसरकारी उद्यमों में उत्पादन बढ़ाने तथा उनकी प्रबन्धकीय समस्याओं पर विचार-विमर्श करने के लिए सम्मेलन और संगोष्ठियाँ आयोजित करने में सरकारी उद्यम विषयक स्थायी समिति (स्कोप) और अनेक प्रबन्धकीय संस्थाओं तथा प्रशिक्षण अभिकरणों को सहयोग प्रदान करता रहता है।

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