लोक उपक्रम समिति |लोक उपक्रम समिति की कार्य प्रणाली | Committee on Public Undertakings in Hindi

लोक उपक्रम समिति ,लोक उपक्रम समिति की कार्य प्रणाली 

लोक उपक्रम समिति |लोक उपक्रम समिति की कार्य प्रणाली  | Committee on Public Undertakings in Hindi



लोक उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings) 

संसद की तीन प्रमुख समितियों में से लोक उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings) एक है। यह समिति 1 मई, 1964 को अस्तित्व में आई। इस समिति में 22 सदस्य होते हैं जिसमें से 15 लोकसभा से तथा 7 सदस्य राज्य सभा के होते हैं। इस समिति के अन्य सदस्यों का चयन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाता है। प्रत्येक सदस्य का एक मत होता है।

 

अवधि (Tenure ) - 

इस समिति की अवधि पांच वर्ष होती है। प्रति वर्ष कुल सदस्यों का 1 / 5 भाग क्रम से अवकाश ग्रहण करता है।

 

कार्य (Functions) – 

समिति के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं :

 

(1) ऐसे लोक उपक्रमों के खातों और प्रतिवेदनों (Reports) की जाँच करना जिन्हें इस उद्देश्य के लिए समिति को आवंटित किया है। 

(2) नियंत्रक और महालेखाकार ने लोक उपक्रमों पर यदि कोई प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है उसकी जाँच करना । 

(3) लोक उपक्रमों की स्वायत्तता और क्षमता के संदर्भ में यह जाँच करना कि क्या लोक उपक्रमों का प्रबंध व्यवसायिक नियमों और वाणिज्यिक व्यवहारों के अनुरूप किया जा रहा है। 

(4) इस कार्य को स्पीकर द्वारा समय-समय पर लोक लेखा समिति व अनुमान समिति की भाँति लोक उपक्रमों से संबंधित अन्य पक्षों व कार्यों की जाँच का कार्य सौंपना ।

 

सीमाएं (Limitations) - 

लोक उपक्रम समिति निम्नलिखित पक्षों में अपना दखल नहीं दे सकतीः 

(1) लोक उपक्रमों के व्यावसायिक कार्यों से अलग प्रमुख सरकारी नीतियों के संबंध में, 

(2) रोजमर्रा के प्रशासनिक मामलों मेंतथा 

(3) जिस विशिष्ट धारा या उपबंध (Statute) के अधीन कोई विशिष्ट लोक उपक्रम स्थापित हुआ है उस उपक्रम से संबंधित मामले में।

 

किसी भी अन्य संसदीय समिति की भांति यह समिति किसी भी लोक उपक्रम अथवा मंत्रालय से सूचना प्राप्त करने का अधिकार रखती है। यह समिति लोक उपक्रमों से संबंधित अधिकारियों को अपने सम्मुख उपस्थित होकर लोक उपक्रमों की जाँच से संबंधित प्रमाण प्रस्तुत करने का आदेश दे सकती है। यह समिति संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय के प्रमाणों की भी जाँच कर सकती है। लोक उपक्रमों की एक समिति द्वारा सामान्यतया जो जाँच की जाती हैउसमें उपक्रम के निष्पादन का मूल्यांकन किया जाता है। उसमें उपक्रम के सभी पक्षों जैसे नीतियोंकार्यक्रमोंप्रबन्धवित्तीय कार्यप्रणाली आदि के क्रियान्वयन को शामिल किया जाता है।

 

लोक उपक्रम समिति की कार्य प्रणाली 

(Working of the Committee)

 

  • समिति ने अपना प्रथम प्रतिवेदन (Report) अप्रैल 1965 में निकाला और तभी से यह कई प्रतिवेदनों को प्रकाशित कर चुकी है। 5वीं व 6वीं लोकसभा के दौरान इस समिति ने क्रमशः 87 व 16 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। इनमें से जो आधे प्रतिवेदन प्रकाशित हुए वह पहले सुझावों पर सरकार द्वारा उठाये गए कदमों से संबंधित थे। इस समिति को सत्य अन्वेषक समिति (Fact Finding Committee) माना जाता है और इस समिति का कार्य आवश्यक रूप से लोक उपक्रमों की कार्य प्रणाली पर होने वाले वार्षिक विवादों में संसद की सहायता करना है। अतः इस समिति का संबंध लोक उपक्रमों की कार्यप्रणाली से होता है।

 

  • जहां तक अनुमान समिति और लोक उपक्रम समिति का संबंध है अध्ययन समूह ने यह सुझाव दिया है कि बजट कार्यक्रम के निष्पादन की समीक्षा का कार्य एक समितिजिसे निष्पादन समिति ( Performance Committee) का नाम दिया जा सकता है. द्वारा ज्यादा अच्छी प्रकार किया जा सकता है। अतः अनुमान समिति और लोक उपक्रम समिति का निष्पादन समिति से प्रतिस्थापित कर देना चाहिए। निष्पादन समिति के दो खंड होने चाहिएं। इस संबंध में प्रशासनिक सुधार आयोग (Administrative Reform Committee) के सुझाव को माना नहीं गया है और स्थिति को यथावत रखा गया है।

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