खाद्य पदार्थों में मिलावट की परिभाषा उद्देश्य प्रकार परीक्षण |Definition of food adulteration Objective Type Test in Hindi

खाद्य पदार्थों में मिलावट की परिभाषा उद्देश्य प्रकार परीक्षण

खाद्य पदार्थों में मिलावट की परिभाषा उद्देश्य प्रकार परीक्षण |Definition of food adulteration Objective Type Test in Hindi
 

खाद्य पदार्थों में मिलावट

 

आजकल के बदलते हुए परिवेश में, खाद्य पदार्थों की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण कार्य है। अत्यधिक लाभ कमाने की इच्छा में विक्रेता खाद्य सामग्री में मिलावट कर सामान को बेचने लगे हैं जिसके परिणामस्वरूप इसका उपभोग करने वाले व्यक्ति कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। मिलावट के द्वारा खाद्य पदार्थों के मौलिक रूप एवं गुणों में अन्तर आ जाता है, जिससे भोजन की पौष्टिकता कम हो जाती है परन्तु उसका बाह्य स्वरूप अधिक आकर्षित दिखाई पड़ता है। अतः मिलावटी खाद्य पदार्थ के सेवन से होने वाली बीमारियों एवं जनस्वास्थ्य की दृष्टि से खाद्य पदार्थों में की जाने वाली मिलावट के विषय में जानना आवश्यक हो गया है।


खाद्य पदार्थों में मिलावट की परिभाषा

 

किसी भी खाद्य पदार्थ में अखाद्य पदार्थ के मिश्रण किये जाने को मिलावट कहते हैं। दूसरे शब्दों में मिलावट का तात्पर्य खाद्य पदार्थों में निम्न श्रेणी के भोज्य पदार्थ को मिलाना होता है। इससे विक्रेता के लाभ का प्रतिशत बढ़ जाता है परन्तु उसे ग्रहण करने से उपभोक्ता को आर्थिक नुकसान के साथ ही उसके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

 

मिलावट मुख्यतः दो प्रकार से की जाती है :

 

  • मिलावट मूल पदार्थ में किसी अन्य वस्तु को मिश्रित करके की जाती है जिससे खाद्य सामग्री की गुणवत्ता स्वतः ही कम हो जाती है। जैसे दूध में पानी को मिलाना । 
  • मिलावट मूल पदार्थ में सम्मिलित कोई पोषक तत्व को हटा कर भी की जाती है। जैसे दूध में से वसा हटाकर ।

 

खाद्य पदार्थों में मिलावट के उद्देश्य

 

  • खाद्य पदार्थ में अखाद्य वस्तु मिलाकर उसके वजन को अधिक किया जाता है, जिससे कि निश्चित तोल में कम खाद्य सामग्री उपभोक्ता तक पहुँचे, ऐसा कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। उदाहरण: जैसे अनाज, दालों आदि में कंकड़, मिट्टी, बालू, पत्थर, आदि मिलाना। 
  • खाद्य पदार्थों की मांग के अनुरूप पूर्ति न होने की वजह से भी मिलावट की जाती है। जैसे घी में वनस्पति घी को मिलाना।

 

खाद्य पदार्थों में मिलावट के प्रकार

 

खाद्य पदार्थ निषेध अधिनियम (Prevention of Food Adulteration, P.F.A.) 1954 के तहत खाद्य पदार्थों में मिलावट दो प्रकार की हो सकती है।

 

  • अनजाने में हुई मिलावट (Incidental Adulteration) 
  • इरादे से की गयी मिलावट (Intentional Adulteration) 


अनजाने में हुई मिलावट (Incidental Adulteration) 

अनजाने में हुई मिलावट मानवीय भूल अथवा खाद्य पदार्थों में अकारण अखाद्य पदार्थों का मिश्रण से होती है। उदाहरणः

 

  • गेहूँ में कंकड़ या चावल में छोटे- छोटे पत्थर या घास-फूस का मिल जाना। इनका कारण भण्डारण के समय सफ़ाई न बरतना होता है। जिससे अनेक बीमारियों के साथ-साथ आन्तरिक अंगों को भी नुकसान पहुँचता है। 
  • खाद्य पदार्थों में स्वतः सूक्ष्म जीवाणु (खमीर, फफूँदी आदि) की उत्पत्ति होने की वजह से उसकी गुणवत्ता एवं पौष्टिकता में कमी आती है तथा वह खाने के योग्य भी नहीं रहते। 
  • सरसों की फसल के साथ आर्जिमोन की फसल होना । दोनों ही बीज एक समान होते हैं, परन्तु आर्जिमोन के बीज विषैले होते हैं। अतः इनसे निकलने वाला तेल भी विषैला होता है, जो सरसों के तेल को भी विषैला कर देता है। इसके सेवन से हृदय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 
  • फसल उगने के दौरान कीड़े-मकौड़ों से बचाव के लिए छिड़की जाने वाली दवाईयाँ (मैलाथियॉन इत्यादि) अगर निर्धारित मात्रा से अधिक डाली जाए तो वह अनाज को विषैला बनाती है, जिससे स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है।

 

इरादे से की गई मिलावट (Intentional Adulteration )

 

इरादे से की गई मिलावट खाद्य पदार्थों में जानबूझ कर की जाती है। जिसका मुख्य उद्देश्य अधिक मुनाफा कमाना होता है।

 

  • घी या मक्खन में वनस्पति घी को मिलाकर बेचना। 
  • अरहर की दाल में खेसरी दाल को मिलाना। दोनों के रंग, रूप समान होने पर भी अरहर की दाल के मुकाबले खेसरी दाल सस्ती मिलती है। इन दोनों में केवल मूल्य एवं गुणवत्ता का अन्तर होता है। इसलिए दुकानदार इन दोनों वस्तुओं को मिश्रित कर बेच देते हैं, जिसके फलस्वरूप मिलावटी दाल के प्रयोग से व्यक्ति लैथाइरिज़म (Lathyrism) नामक बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। 
  • दूध में अशुद्ध जल मिलाकर अथवा उससे वसा निकालकर मिलावट करना, जिससे उदर रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 
  • सैक्रीन मिलाकर शक्कर का वजन बढ़ाना। 
  • अनाज, दाल, मसाले आदि में धूल, कंकड़, मिट्टी को मिलाकर बेचना, जिसके फलस्वरूप दाँत टूटने का डर रहता है साथ ही पाचन संस्था सम्बन्धी रोग भी हो सकते हैं।

 

खाद्य पदार्थों में मिलावट का परीक्षण

दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं में की जाने वाली मिलावट का परीक्षण घरेलू स्तर में आसानी से किया जा सकता है। सूझ-बूझ एवं घरेलू प्रयोगों के माध्यम से खाद्य पदार्थों की जाँच कर उनका शुद्धीकरण किया जा सकता है।

 

खाद्य पदार्थ में मिलावट का परीक्षण

खाद्य पदार्थों में मिलावट का परीक्षण

खाद्य पदार्थों में मिलावट का परीक्षण




खाद्य पदार्थों में मिलावट का परीक्षण


 

खाद्य पदार्थों में मिलावट से बचने के उपाय

 

मिलावटी खाद्य पदार्थों को पहचान कर आम जनता के संज्ञान में लाना कठिन होता है । परन्तु जागरुकता व थोड़ी समझदारी से इस समस्या का निदान किया जाना मुश्किल नहीं है। इससे बचने के लिए निम्न उपाय किये जा सकते हैं:

 

पैक बन्द खाद्य पदार्थों का उपयोग: 

पैक बन्द सामान की अपेक्षा खुले सामान में मिलावट की सम्भावनायें अधिक होती है। अतः हमेशा पैक बन्द खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देनी चाहिए व खाद्य सामग्री प्रमाणित मानक चिह्न वाली खरीदनी चाहिए। पिसे हुए मसाले खरीदते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि उसमें एगमार्क का लेबल लगा हो तथा परिरक्षित खाद्य पदार्थ जैसे सॉस, जूस आदि खरीदते समय फ्रूड प्रोडक्टस आर्डर (FPO) का निशान आवश्य देखना चाहिए। पैक्ड खाद्य पदार्थ खरीदते समय शाकाहारी (हरी बिन्दी) अथवा माँसाहारी वस्तुओं (लाल बिन्दी) का प्रयोग देखना भी आवश्यक होता है।

 

विश्वसनीय दुकानों से खरीददारी: 

हमेशा एक दुकानदार से सामान खरीदना चाहिए, जो आपका परिचित भी हो। इससे मिलावटी सामान मिलने को जोखिम कम होता है।

 

सहकारी दुकानों से खरीद- 

सहकारी दुकानों की पद्धति लगभग सभी राज्यों में होती है। इनके माध्यम से खाद्य पदार्थ थोक मात्रा में खरीदा जाता है। इसे साफ़ करके पैक कराया जाता है जिसको शहरों में स्थापित सहकारी उपभोक्ता केन्द्रों के माध्यम से वितरित किया जाता है। इस माध्यम से पदार्थों में मिलावट होने की सम्भावनायें कम हो जाती हैं।

 

सरकार द्वारा निर्धारित खाद्य मानक- 

खाद्य मानक चिह्न वाली वस्तुओं में गुणवत्ता सुनिश्चि होती है। ये मानक सरकारी प्रयोगशालाओं में गुणवत्ता की जाँच के उपरान्त ही दिये जाते हैं। जैसे- एग्मार्क, बी0आई0एस0, एफ0पी00 एवं एम0पी00/


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