योगाभ्यास कैसे करायेंगे |यौगिक अभ्यास से पूर्व के आवश्यक निर्देश एवं सावधानियाँ | Yog Abhyaas Kaise Karaye

योगाभ्यास कैसे करायेंगे ,यौगिक अभ्यास से पूर्व के आवश्यक निर्देश एवं सावधानियाँ

योगाभ्यास कैसे करायेंगे |यौगिक अभ्यास से पूर्व के आवश्यक निर्देश एवं सावधानियाँ | Yog Abhyaas Kaise Karaye


योगाभ्यास कैसे करायेंगे    

 

प्रिय शिक्षार्थियोंयोगाभ्यास कराने से पूर्व कुछ तैयारियां करनी होती हैंजिनका पालन बहुत आवश्यक है । यदि इनका अनुपालन सुनिश्चित ना किया जायेतो लाभ के बजाय हानि भी हो सकती है। तो आइएयोगाभ्यास से पूर्व आवश्यक निर्देशों एवं सावधानियों को समझें ।

 

यौगिक अभ्यास से पूर्व के आवश्यक निर्देश एवं सावधानियाँ

 

यौगिक क्रियाओं और आसनों को करने से पूर्वकुछ निर्देश और सावधानियों को समझना आवश्यक है अतः नीचे बताए गए निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और समझें -

 

  • अभ्यास करने का स्थान साफ-सुथराखुला और हवादार हो; 
  • अभ्यास हमेशा समतल ज़मीन परदरीकंबलचादर या योग मैट बिछाकर करें; 
  • ऋतु के अनुसारढीले और आरामदायक वस्त्रों का प्रयोग करें 
  • क्रियायें और आसन धीरे-धीरेसहजतापूर्वक करें। यदि किसी अंग पर दर्द का अनुभव करें तो वहां जोर न लगायें; 
  • अभ्यास प्रारंभ करने से पूर्व चश्माघड़ीआभूषण आदि उतार कर रखें क्योंकि ये सभी योग अभ्यास में बाधा उत्पन्न करते हैं. 
  • मोबाइल फोन को ध्वनि रहित अर्थात् साइलेंट मोड पर रखें। अचानक मोबाइल बजने से सतत ध्यान टूट जाता है और अभ्यास में बाधा उत्पन्न होती है, 
  • अभ्यास के दौरान सौंदर्य प्रसाधन का प्रयोग न करें। 
  • योगाभ्यास करते समय शरीर को अभ्यास के अनुरूप रखें; 
  • क्रियाऐं अथवा आसन करते समय श्वास-प्रश्वास नाक से ही लेंजब तक आपको अन्य निर्देश न मिलें; 
  • योगाभ्यास खाली पेट ही करें और अभ्यास के आधा घण्टे बाद ही कुछ खायें; 
  • अभ्यास करने से पूर्व आंत एवं मूत्राशय खाली रखने का प्रयास करें ।

 

2 योगाभ्यास का उचित समय

 

योगाभ्यास का सबसे अच्छा समयब्रह्ममुहूर्त काल माना गया है। यह कालयोग अभ्यास के लिए सबसे उपयुक्त इसीलिए माना जाता है क्योंकि ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में रहती है। शीतलमंद एवं सुगंधित वायु बहती है। वातावरण अच्छा रहता हैऔर मन प्रसन्न होता है। आइयेयोग अभ्यास आज के परिवेश मेंकिस समय किया जा सकता है और कौन सी ऋतु में योगाभ्यास प्रारंभ किया जाएऐसे ही कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश यहां पर जानने का प्रयास करेंगे-

 

  • योगाभ्यास प्रातःकाल सूर्योदय के पूर्व किया जाना उत्तम माना गया है। यह समय सुबह 5.30 से 7.00 बजे के बीच निर्धारित किया जा सकता है। 
  • जिस दिन योगाभ्यास प्रातःकाल नहीं हो पाताउस दिन देरी से या फिर संध्या काल में किया जा सकता है।

 

सावधानियाँ-

 

  • कभी भी खाना खाने के तुरंत बाद या पहले योगाभ्यास नहीं करना चाहिए। भोजन के 4 घंटे के पश्चात् ही योगाभ्यास करना चाहिए । 
  • गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान योगाभ्यास नहीं करने चाहिए। 
  • बुखारब्लड प्रैशरहृदय समस्या और गंभीर रोगों में योगाभ्यास नहीं करना चाहिए ।

 

योगाभ्यास का क्रम

 

योगाभ्यास किस क्रम में कराना चाहिएयह जानना बहुत आवश्यक है। नीचे बताई गई क्रियाओं की स्थिति और विधि को ध्यानपूर्वक पढ़ेभलीभांति समझें और कंठस्थ कर लें और उचित समय पर इनका अभ्यास करें।

 

प्रार्थना व मंत्रोच्चारण - 5 मिनट

 

किसी भी तरह का योगाभ्यास प्रारंभ करने से पहले यौगिक प्रार्थना करना आवश्यक है। प्रार्थना करने से मन शांत होता है और योगाभ्यास के लिए सकारात्मक मनोस्थिति तैयार होती है।

 

प्रार्थना की स्थिति 

  • दोनों पैर मिलाकरशरीर को पैर से लेकर सिर तकबिल्कुल सीधा रखें; 
  • आँखें बंद कर लें;
  • दोनों हाथ मिलाकरवक्षस्थल पर हृदय क्षेत्र से थोड़ा ऊपर रखें; 
  • प्रणाम मुद्रा की सहज स्थिति बनाएं; 
  • प्रार्थना करें (ऐसा करने से चित्त शांत और ध्यान केन्द्रित होता है )

 

 प्रार्थना की विधि

 

ईश्वर का ध्यान करते हुए प्रार्थना करें। उदाहरण के लिए निम्न यौगिक प्रार्थना दी गई है - सर्वप्रथम तीन बार मध्यम स्वर में ओम् का उच्चारण करेंतत्पश्चात् प्रार्थना आरंभ करें:

 

हे परम पिताहे विश्व पिता 

हे राष्ट्र पिताहे जगदाधार । 

हे करूणा मयहे दीन दयालु 

हे पूर्ण गुरूहे अपरम्पार ।। 

हे प्रभुअब अपनी कृपा कर 

हमें दीजिएशुद्ध विचार 

कर्म करें हम सेवक बन 

नाथ बनेंसुखमय संसार हे 

परम पिताहे विश्व पिता 

हे राष्ट्र पिताहे जगदाधार

 

प्रार्थना के अंत मेंसभी लोग निम्नलिखित कथन को ऊँचे स्वर मेंएक साथ तीन बार बोलें-

 

विश्व का कल्याण हो ( 3 बार ) 

सभी कर्त्तव्य परायण हों (3 बार ) 

परस्पर प्रेम हो (3 बार) 

नोट - इसके स्थान पर अपनी इच्छानुसार अन्य प्रार्थना भी कर सकते हैं।

 

प्रार्थना के लाभ -

 

  • प्रार्थना करने से आस-पास का वायुमंडल शुद्ध एवं स्पंदित होता है; 
  • प्रार्थना से ध्यान लगने में मदद मिलती हैतथा चित्त शांत होता है; 
  • मानसिक त्रुटियां दूर होती हैं; 
  • मन को शान्ति मिलती हैआत्म शुद्धि (Self-purification) की है। 
  • शरीर ऊर्जावान होता है।

 

प्रार्थना के बाद अब अन्य यौगिक अभ्यासों का प्रारंभ करते हैं -

 

शिक्षार्थियोंयोगाभ्यास के लिएहम प्रार्थना के पश्चात् निम्न क्रम का पालन करें -

 सूक्ष्म व्यायाम- 15 मिनट ( विभिन्न सूक्ष्म व्यायाम करें।)


 (विभिन्न सूक्ष्म यौगिक क्रियाएं)

  • आसन- 20 मिनट (आसनों का अभ्यास करें।) 
  • ताड़ासन -10 चक्र 
  • तिर्यक ताड़ासन- 10 चक्र 
  • कटिचक्रासन - 5 चक्र 
  • सूर्यनमस्कार -3 चक्र 
  • शवासन- 2 मिनट
  • उत्तानपादासन - 3 चक्र 
  • अर्धहलासन-3 चक्र
  • सर्वांगासन-3 चक्र
  • हलासन -3 चक्र 
  • सेतुबंध आसन - 3 चक्र 
  • चक्रासन-3 चक्र
  • शवासन-विश्राम 1 मिनट
  •  मकरासन-विश्राम 1 मिनट 
  • भुजंगासन-3 चक्र
  •  धनुरासन  -3 चक्र 
  • अर्ध- शलभासन- 4 चक्र 
  • शलभासन-4 चक्र 
  • मकरासन- विश्राम 1 मिनट
  •  शशांक आसन (आदि)5 चक्र
  • प्राणायाम-10 मिनट 
  • नाड़ीशोधन- 10 से 15 चक्र 
  • भ्रामरी- 10 चक्र 
  • मुद्रा - बंध- 5 मिनट 
  • ध्यान व शांतिपाठ- 10 मिनट

 

योगाभ्सास के दौरान  सावधानियां

 

शिक्षार्थियोंयोगाभ्सास के दौरान निम्नांकित विशेष निर्देशों का अनुपालन करना आवश्यक है।

 

विशेष निर्देश :

 

  • शिक्षक अगले अभ्यास के दौरान शेष आसनों व प्राणायामों को इसी प्रकार के क्रम में रखें; 
  • एक साथ सभी यौगिक अभ्यास कराने की चेष्टा न करें, 
  • योग अभ्यासी की क्षमता के अनुसार योग कराएं; 
  • धीरे-धीरे उनकी क्षमता बढ़ाने का प्रयास करें। 
  • यदि कोई बीमार अभ्यासी है तो उसकी शारीरिक स्थिति व रोग जानकार ही उचित अभ्यास कराएंअन्यथा न कराएं; 
  • अभ्यास कराने से पूर्व योग अभ्यर्थियों की केस हिस्ट्री लेना अनिवार्य हैताकि सामान्य रोगीकमजोर तथा वृद्ध अभ्यर्थियों का समूह बनाया जा सके और उसी के अनुसार योग अभ्यासों का चयन किया जा सके।

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