दण्ड धौति की विधि लाभ सावधानियाँ | Dand Dhoti Ki vidhi Laabh Savdhani

दण्ड धौति की विधि लाभ सावधानियाँ  

दण्ड धौति की विधि लाभ सावधानियाँ  | Dand Dhoti Ki vidhi Laabh Savdhani
 

दण्ड धौति के बारे में 

घेरण्ड संहिता में दण्ड धौति के लिए हल्दी के दण्डकेले अथवा बेंत (बांस) के दण्ड का विधान किया गया है वर्तमान में रबर की बनी हुई दण्ड बाजार में उपलब्ध है। यह क्रिया त्रिदोषों में साम्यता लाती है।

 

दण्ड धौति के पूर्व तैयारी एवं अनुशासन

 

  • दण्ड धौति की तैयारी कुंजल क्रिया के समान ही की जाती है। 
  • गुनगुना आवश्यकता अनुसार नमक मिला हुआ पानी अपने समीप रखते हैं। 
  • रबर का दण्ड गर्म पानी में भली प्रकार से स्वच्छ करके रख लेते हैं। 
  • दण्ड धौति को खाली पेट प्रातःकाल ही सम्पन्न किया जाता है। 
  • दण्ड धौति करने के बाद घृतयुक्त खिचड़ी का सेवन किया जाता है।
  • मिर्च-मसालों का सेवन वर्जित होता है।

 

दण्ड धौति की विधि

 

  • सर्वप्रथम समीप रखे गुनगुने जल को गिलास से शीघ्रता से पेटभर पी लेते हैं। जल पीने के बाद खड़े होकर कमर से थोड़ा झुककर रबर के दण्ड को मुंह में लेकर कंठ से निगलने का प्रयास करते हैं। शुरुआत में यह आसान नहीं होता है। दण्ड जब आधे से अधिक उदर में प्रवेश कर जाता है तो उदरस्थ पानी दण्ड के माध्यम से बाहर निकलने लगता है। पानी निकल जाने के पश्चात् दण्ड को आराम से बाहर निकाल लिया जाता है।

 

दण्ड धौति के लाभ

  •  इस दण्ड धौति के लाभ कुंजल क्रिया के समान ही हैं।

 

दण्ड धौति में सावधानी

 

  • आमाशयिक व्रण में इस क्रिया को नहीं किया जाता है। 
  • उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।

 

दण्ड धौति आवृत्ति 

  • इस क्रिया का अभ्यास सप्ताह में एक दिन किया जा सकता है।

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