विश्व रक्तदाता दिवस 2022 : थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य महत्व | World Blood Donor Day 2022 Theme Importance

विश्व रक्तदाता दिवस 2022 : थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य महत्व

विश्व रक्तदाता दिवस 2022 : थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य महत्व | World Blood Donor Day 2022  Theme Importance



विश्व रक्तदाता दिवस 2022 : थीम (विषय) इतिहास उद्देश्य महत्व

  • प्रतिवर्ष विश्व स्तर पर 14 जून को ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य रक्तदान के महत्त्व के बारे में जागरूकता फैलाना और जीवन बचाने में स्वैच्छिक अवैतनिक रक्तदाताओं के योगदान की पहचान करना है।
  • पहला ‘विश्व रक्तदाता दिवस’ वर्ष 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मनाया गया था और वर्ष 2005 में 58वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में इसे वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था।
  • यह दिवस ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और चिकित्सक, कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती के उपलक्ष में मनाया जाता है, उन्हें आधुनिक रक्त ट्रांसफ्यूज़न का जनक माना जाता है। उन्होंने ही मानव रक्तप में उपस्थित एग्यु जा टिनि‍न की मौजूदगी के आधार पर रक्तजकणों का A, B और O समूह में वर्गीकरण किया था। इस वर्गीकरण ने चिकित्सा‍ विज्ञान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी इसी खोज के कारण वर्तमान में करोड़ों लोग रोज़ाना रक्तदान करते हैं और लाखों लोगों की जिंदगियाँ बचाई जाती हैं। इस महत्त्वपूर्ण खोज के लिये ही कार्ल लैंडस्टा ईन को वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार भी दिया गया था।


विश्व रक्तदाता दिवस 2022 : थीम (विषय)

  • विश्व रक्तदाता दिवस 2022 की थीम (“Donating blood is an act of solidarity. Join the effort and save lives”) रखी गई है।
  • विश्व रक्तदाता दिवस 2020 की थीम ‘सुरक्षित रक्त जीवन बचाता है’ (Safe Blood, Saves Lives) रखी गई है।


बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या होता है 

  • बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ (Bombay blood group) की मांग बढ़ गई है, जबकि इसकी आपूर्ति दुर्लभ है।

 

बॉम्बे ब्लड ग्रुप की जानकारी 

  • सबसे सामान्य चार रक्त समूह A, B, AB और O हैं। 
  • दुर्लभ, बॉम्बे ब्लड ग्रुप की खोज पहली बार वर्ष 1952 में मुंबई (तब बॉम्बे) में डॉ. वाई.एम. भेंडे ने की थी। 
  • प्रत्येक लाल रक्त कोशिका की सतह पर एंटीजन होता है, जो यह निर्धारित करने में मदद करता है कि वह किस समूह से संबंधित है। 
  • बॉम्बे रक्त समूह, जिसे hh भी कहा जाता है, एंटीजन H को व्यक्त कर पाने में हीन/कमज़ोर है, जिसका अर्थ है कि RBC का कोई एंटीजन H नहीं है। 
  • उदाहरण के लिये, AB रक्त समूह में एंटीजन A और B दोनों पाए जाते हैं। A में एंटीजन A होगा; B में एंटीजन B होगा। hh में A या B एंटीजन नहीं हैं।

दुर्लभतम स्थिति

  • विश्व स्तर पर चार मिलियन में से किसी एक व्यक्ति में hh रक्त प्रकार पाया जाता है।
  • अपेक्षाकृत दक्षिण एशिया में यह अधिक संख्या में पाया जाता है; भारत में प्रत्येक 7,600 से 10,000 व्यक्तियों में एक व्यक्ति इस रक्त समूह के साथ पैदा होता है।
  • दक्षिण एशिया में ऐसा इसलिये होता है यहाँ सजातीय प्रजनन (Inbreeding) और करीबी समुदायों में विवाह का चलन हैं।
  • यह आनुवंशिक रूप से भी पारित है। भारतीय, श्रीलंकाई, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी लोगों के साझे वंशज होने के कारण इस क्षेत्र में hh रक्त समलक्षणी/फेनोटाइप के अधिक मामले सामने आते हैं।


इस रक्त समूह का परीक्षण

 

  • Hh रक्त का परीक्षण करने के लिये एंटीजन H के रक्त परीक्षण की आवश्यकता होती है।
  • अक्सर hh रक्त समूह और O समूह की पहचान करने में भ्रम हो जाता है। इनके बीच अंतर यह है कि O समूह में एंटीजन H होता है, जबकि hh समूह में एंटीजन नहीं होता है।
  • यदि किसी व्यक्ति में एंटीजन H की कमी है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर है या वह बीमारियों के प्रति अधिक सुभेद्य है।
  • ऐसे लोगों का हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स, सफेद रक्त कोशिकाओं और लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या उनके स्वास्थ्य सूचकांक के आधार पर अन्य व्यक्तियों के समान होती है।
  • हालाँकि इस रक्त समूह की दुर्लभता के कारण ऐसे व्यक्तियों को रक्त आधान अर्थात् रक्त चढ़ाने (Blood Transfusion) के दौरान समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।


रक्त आधान की सीमाएँ

  • बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को केवल बॉम्बे hh फेनोटाइप के व्यक्ति से स्वजात रक्त (Autologous Blood) या रक्त आधान (अर्थात् रक्त चढ़ाया जा सकता है) किया जा सकता है जो बहुत दुर्लभ है।
  • यदि ऐसे व्यक्ति को A, B, AB या O ब्लड ग्रुप से रक्त चढ़ाया जाता है उस व्यक्ति का शरीर इस प्रकार के रक्त को अस्वीकृत कर सकता है जो कि एक जोखिमपूर्ण स्थिति है। इसके विपरीत hh रक्त समूह वाला व्यक्ति A, B, O रक्त प्रकार के व्यक्ति को अपना रक्त दान कर सकता है।

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