पवनमुक्तासन श्रेणी-1 ( संधि संचालन के अभ्यास) |पैरों के लिए संधि संचालन के अभ्यास | Pavan Mukt Aasan

 पैरों के लिए संधि संचालन के अभ्यास

 

पवनमुक्तासन श्रेणी-1 ( संधि संचालन के अभ्यास)

(अ) पैरों के लिए संधि संचालन के अभ्यास)

 

(i) पादांगुली नमन -


 

पादांगुली नमन -

पादांगुली नमन विधि

 

  • दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठेंहाथ को पीछे सहारा देने के लिए रखें; 
  • पैर की अंगुलियों को मोड़ना और खोलना शुरु करें। केवल अंगुलियाँ मोड़ें; 
  • श्वास-प्रश्वास के ताल-मेल के साथश्वास छोड़ते हुए सामने की तरफश्वास लेते हुए अपनी तरफपांच बार करेंगे; 
  • पंजा व टखना स्थिर रखेंकेवल अंगुलियों में गति रखें। पांच बार अभ्यास करें फिर थोड़ी देर का विश्राम करें। 
  • अभ्यास के प्रभाव को जानने का प्रयास करें। हल्का खिंचाव एवं प्रभाव का अनुभव करें।

 

ii) गुल्फ नमन

 

गुल्फ नमन

गुल्फ नमन विधि

 

  • दोनों पंजों को आगे-पीछे करें, 
  • अंगुलियां स्थिर रखेंकेवल टखनों में गति बनाएं; 
  • श्वास लेते हुए पंजा आगे और श्वास छोड़ते हुए पीछे ले जाएं; 
  • पूरी चेतना और सजगता टखने के आस-पास रखें। पांच बार इस अभ्यास को करेंफिर थोड़ी देर का विश्राम करें।

 

iii) गुल्फ घूर्णन

 

iii) गुल्फ घूर्णन

गुल्फ घूर्णन विधि

 

  • एक पैर को मोड़ कर जांघ के पास रखिए, 
  • एक हाथ पैर के ऊपर और एक हाथ टखने पर रखिए; 
  • हाथ की सहायता से टखने को गोल-गोल घुमाइये; 
  • एक श्वास में एक बार घुमायें। पांच बार क्लॉक वाइज़ एवं पांच बार एन्टी क्लॉक वाइज़ कीजिए: 
  • दर्द (पेन) वाले स्थान पर हल्की मसाज कीजिए: 
  • बेहतर रक्त का प्रवाहबेहतर प्राण का संचार अनुभव कीजिए। अब दूसरे पैर से इसी तरह इस अभ्यास को कीजिए ।

 

iv) जानुनमन

 

जानुनमन

जानुनमन विधि

 

  • जांघ के नीचे अपनी हथेलियों को फँसाइए; 
  • घुटने को मोड़ना और खोलना शुरू कीजिए: 
  • श्वास लेते हुए खोलिएश्वास छोड़ते हुए मोड़िए: 
  • एड़ी जमीन को छुएगी नहींऊपर ही ऊपर लाना और ले जाना है; 
  • खोलते वक्त घुटना सीधा रखने का प्रयास करेंगे। पूरी सजगतापूरी चेतना घुटने के आस-पास रहे। श्वास-प्रश्वास के तालमेल के साथ पांच बार बायें से और फिर पांच बार दांये से श्वास लेते हुए खोलिए और श्वास छोड़ते हुए मोड़िए; 
  • फिर थोड़ी देर विश्राम प्रारंभिक स्थिति में कीजिए: 
  • अभ्यास के प्रभाव को जानने का प्रयास कीजिए ।

 

v) जानु चक्र

 

जानु चक्र

जानु चक्र विधि


  • जांघ के नीचे हाथों को कुहनियों तक फंसाइये; 
  • अब घुटने को गोल-गोल घुमाना है । (जितना बड़ा चक्र बना सकते हैंबनाने का प्रयास कीजिएश्वास लेते हुए ऊपर और श्वास छोड़ते हुए नीचे ); 
  • एक श्वास में एक बार 3 बार क्लॉक वाइज़ और 3 बार एन्टी क्लॉक वाइज़ कीजिएअभ्यास के प्रभाव को महसूस कीजिए: 
  • जांघ की मांसपेशियोंपिंडली की मांसपेशियों में खिंचाव अनुभव कीजिएजोड़ों और टखने में हल्का दर्द अनुभव कीजिएउदर क्षेत्र पर हल्का दबाव अनुभव सहित दिया जा सकता है। इस क्रिया को 5-5 बार दोनों दिशाओं में करेंफिर दूसरे पैर से दोहराएं।

 

vi) जानुफलकाकर्षण -

 

जानुफलकाकर्षण विधि

 

  • घुटने की मांसपेशियों को सिकोड़िये और छोड़िए; 
  • श्वास लेते हुए मांसपेशियों को अपनी तरफ खींचियेथोड़ी देर रोकिएश्वास छोड़ते हुए मांसपेशियों को ढीला कीजिए ; ; 
  • इस क्रिया को 5–5 बार अपनी श्वास व समय के अनुसार कीजिएफिर थोड़ी देर का विश्राम कीजिएजानुफलक आकर्षण विशेष रूप से घुटने के दर्द के लिए असरकारक है । 
  • गठिया रोगघुटनों में अत्यधिक दर्दकारक है जिसके लिए जानुफलकाकर्षण रामबाण है।

 

vii) अर्द्धतितली आसन

 

अर्द्धतितली आसन

अर्द्धतितली आसन विधि

 

  • एक पैर को मोड़कर दूसरे पैर की जांघ के ऊपर रखिए एक हाथ टखने के ऊपर एक हाथ जांघ के ऊपर रखिए; 
  • हाथ की सहायता से घुटने को ऊपर और नीचे लाइएश्वास लेते हुए और श्वास छोड़ते हुए अपनी तरफ घुटने को लाइये और ले जाइए जमीन की तरफ 
  • इस क्रिया को बहुत ही धीरे-धीरे 5-5 बार दोनों पैरों से कीजिए ।

 

 पूर्णतितली आसन

 

पूर्णतितली आसन

 

 पूर्णतितली आसन विधि

 

  • दोनों पैर के पंजों को आपस में मिलाइएदोनों हाथों को पैर के पंजों में लॉक कीजिए ; 
  • घुटने को ऊपर-नीचे करें; 
  • सामान्य श्वास-प्रश्वास के साथरीढ़ की हड्डी को सीधी रखेंवक्ष स्थल खुला हुआ होना चाहिए; 
  • तत्पश्चात् घुटनों को यथाशक्ति जल्दी-जल्दी पृथ्वी से अलग व पृथ्वी पर तितली के पंखों की भांति गति दें

 

ix) श्रोणीचक्र

 

श्रोणीचक्र

श्रोणीचक्र विधि

 

  • अर्द्धतितली की अवस्था में बैठिये; 
  • एक हाथ घुटने के ऊपर रखकरघुटने को गोल-गोल घुमाइये; 
  • श्वास लेते हुए घुटने जमीन की तरफश्वास छोड़ते हुए अपनी तरफ क्लॉक वाइज़ और एन्टी क्लॉक वाइज,फिर दूसरे पैर से इसी तरह कीजिए ।

 

x) वज्रासन

 

वज्रासन

वज्रासन विधि

 

  • घुटनों को मोड़ते हुए पैरों को नितंबों के नीचे रखिए : 
  • जहां तक संभव हो रीढ़ की हड्डी सीधी रखने का प्रयास कीजिए: 
  • यदि वज्रासन ज्यादा देर तक संभव न हो सके तो किसी भी आरामदायक आसन में बैठकर विश्राम कीजिए: 
  • रीढ़ की हड्डी सीधी रखिए ।

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