यौगिक सूक्ष्म अभ्यास (क्रियाएं) और योग का महत्व | यौगिक क्रिया तैयारियाँ और सावधानियाँ | Sukshm Yogik Kriyaen

सूक्ष्म अभ्यास (क्रियाएं) और योग का महत्व

यौगिक सूक्ष्म अभ्यास (क्रियाएं) और योग का महत्व | यौगिक क्रिया तैयारियाँ और सावधानियाँ | Sukshm Yogik Kriyaen
 

सूक्ष्म अभ्यास (क्रियाएं) और योग का महत्व

यहां पर हम यौगिक सूक्ष्म अभ्यासों, उन्हें करने का सही तरीका और उनके लाभों के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे। योग की सरल व सूक्ष्म क्रियाओं से आप क्या समझते हैं?


यौगिक सूक्ष्म क्रियाएं क्या हैं?

यौगिक सूक्ष्म अभ्यास

 

  • यौगिक सूक्ष्म अभ्यास वे क्रियाएं हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों और उनके संचालन के लिए, योगासन, प्राणायाम, ध्यान आदि से पूर्व की जाती हैं और योगासनों के लिए शरीर को तैयार करती हैं।

 

  • यौगिक सूक्ष्म क्रियाएं, शरीर के प्रत्येक अंग-प्रत्यंग पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। सिर से लेकर पाँव तक शरीर का प्रत्येक भाग इनसे प्रभावित होता है । यौगिक सूक्ष्म क्रियाओं (व्यायाम) के अंतर्गत बहुत सी क्रियाएं की जाती हैं, जिन्हें योगासनों को करने से पूर्व करना आवश्यक माना जाता है और शरीर भी योगासन करने के लिए अपने आपको तैयार कर लेता है।

 

योग का महत्व Importance of Yoga in Hindi

 

  • क्या आप जानते हैं कि व्यायाम बहुत प्रकार से किए जाते हैं जैसे टहलना, दौड़ना, भार उठाना, दंड-बैठक, कुश्ती लड़ना, खेल खेलना, यौगिक क्रियाएं और आसन करना आदि। इन सभी व्यायामों की अपनी-अपनी महत्ता है। सभी व्यायामों से शरीर को शक्ति मिलती है, परन्तु शरीर को लचीला बनाने के लिए, रक्त वाहिनी नाड़ियों में रक्त के संतुलित प्रवाह के लिए, यौगिक व्यायाम ही उत्तम माना गया है। अतः शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए यौगिक सूक्ष्म क्रियाएं, आसन, मुद्रा और प्राणायाम सर्वोत्तम हैं।

 

  • मानसिक स्वास्थ्य यौवन को लंबे समय तक बनाये रखने और व्यक्ति को ओजस्वी बनाने का उचित मार्ग है। स्वास्थ्य और जीवन-शक्ति, शारीरिक स्थिति से कहीं अधिक व्यक्ति की मनःस्थिति पर निर्भर करती है। व्यक्ति बढ़ता है, बूढ़ा नहीं होता । जैसे-जैसे आपके जीवन में वर्ष जुड़ते हैं, 'योग' द्वारा आप अपने वर्षों को अर्थपूर्ण बना सकते हैं। जीवन में विश्वास, आत्मसम्मान और गरिमा भरने के लिए, यौगिक क्रियाओं, आसन, मुद्रा व प्राणायाम का महत्वपूर्ण स्थान है। इनसे मन शुद्ध होता है, अतिरिक्त शक्ति प्राप्त होती है और आत्मिक शान्ति मिलती है । मानसिक स्वास्थ्य दृढ़ होने पर मन ऐसी स्थिति में होगा कि भौतिक शरीर तथा शरीर के अन्य सूक्ष्म अंगों द्वारा जीवन शक्ति का सर्वोत्तम उपयोग प्रभावपूर्ण ढंग से समस्त कार्य करने में सम्पन्न हो।

 

  • बिना व्यायाम के शरीर अस्वस्थ तथा ओज एवं कान्तिहीन हो जाता है जबकि नियमित रुप से व्यायाम करने से दुर्बल रोगी एवं कुरूप व्यक्ति भी बलवान, स्वस्थ और सुंदर बन जाता है।

 

  • आसन व प्राणायाम से पूर्ण आरोग्य लाभ होता है तथा किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होती । शरीर के साथ मन में एकाग्रता एवं शान्ति का विकास होता है।

 

नोट - इन यौगिक क्रियाओं को, जिस क्रम में बताया गया है, उसी क्रम के अनुसार करना चाहिए।


यौगिक क्रियाओं से पूर्व की जाने वाली तैयारियाँ और सावधानियाँ

 

अब हम इन सूक्ष्म क्रियाओं का विस्तार से अभ्यास करना सीखेंगे। परन्तु यौगिक क्रियाओं और आसनों को करने से पूर्व कुछ निर्देश और सावधानियों को समझना आवश्यक है। नीचे बताए गए निर्देशों को आप ध्यानपूर्वक पढ़िए और समझिए -

 

  • अभ्यास करने का स्थान स्वच्छ, खुला और हवादार होना चाहिए; 
  • अभ्यास हमेशा समतल जमीन पर दरी या चादर बिछाकर करें, 
  • ऋतु के अनुसार ढीले और आरामदायक वस्त्रों का उपयोग करें; 
  • क्रियाएं और आसन धीरे-धीरे करें। यदि किसी अंग पर दर्द का अनुभव हो तो वहाँ जोर न लगाएं; 
  • चश्मा, घड़ी और आभूषण उतार देने चाहिए; 
  • क्रियाएं करते समय शरीर को ढीला रखना चाहिए; 
  • क्रियाएं अथवा आसन करते समय श्वास नाक से ही लेना चाहिए ; 
  • अभ्यास करने से पूर्व शौच आदि से निवृत्त होना ठीक रहता है; 
  • जब भी बीच में कभी थकान हो या पसीना आए तो विश्रामात्मकासन में आराम करें, तभी अगला अभ्यास प्रारंभ करना चाहिए ।

 

अब हम यौगिक सूक्ष्म क्रियाओं के अभ्यास की विधियां सीखेंगे। नीचे बताई गई क्रियाओं की स्थिति और विधि को ध्यानपूर्वक पढ़ें, भलीभांति समझें और कंठस्थ कर लें। योग आसन करने से पूर्व इनका अभ्यास करें ।

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