उदारीकरण और जनसंपर्क |ग्रामीण जनसंपर्क- एक चुनौती| Liberalization and Public Relations in Hindi

उदारीकरण और जनसंपर्क (Liberalization and Public Relations in Hindi)

 उदारीकरण और जनसंपर्क |ग्रामीण जनसंपर्क- एक चुनौती| Liberalization and Public Relations in Hindi

उदारीकरण और जनसंपर्क

  • जन संपर्क के क्रमिक विकास को भारतीय अर्थव्यवस्था के आईने में बखूबी देखा जा सकता है। नियोजित अर्थव्यवस्था के दौर में जन संपर्क की गुंजाइश कम ही थी। लेकिन जैसे ही उदार अर्थनीति की शुरुआत हुईऔर प्रतिस्पर्द्धा बढ़ने लगीजन संपर्क का दायरा भी बढ़ने लगा और इसकी संभावना भी। मुक्त व्यापार अर्थव्यवस्था के उदयबाजार की प्रतिस्पर्द्धा और बढ़ते उपभोक्ता विकल्पों के बीच जन संपर्क के लिए सूचना प्रबंधन के क्षेत्र में उभरना एक चुनौती की तरह था। मारूति कार का निर्माण शुरू होने के साथ भारत में कार क्रांति ऐसा ही एक उदाहरण था। भारत जैसे देश में एक समय ऐसा भी थाजब कार खरीदना या टेलीफोन कनेक्शन लेना लंबे इंतजार के बाद ही संभव हो पाता था। जबकि आज हम ये चीजें पलक झपकते खरीद सकते हैं।

 

  • उदारीकरण और कॉरपोरेट रुचि वर्ष 1991 के आर्थिक उदारीकरण और भारतीय उद्योग में बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा ने उपभोक्ताओं को विकल्पों से लैस कर दिया। कॉरपोरेट क्षेत्र को लगा कि अब अपने उत्पादों का प्रचार करने के लिए सिर्फ प्रेस पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं हैबल्कि बढ़ते उपभोक्ताओंशेयरधारकोंआपूर्तिकर्ताओंडीलरोंबैंकोंवित्तीय संस्थाओंविदेशी खरीदारोंकर्मचारियोंस्थानीय प्राधिकरणों और अपने समुदाय के सदस्यों के जरिये भी यह काम बखूबी हो सकता है। नतीजतन जन संपर्क अब इन्हीं लोगों और संस्थाओं पर अधिक निर्भर हो गया।

 

भारतीय जन संपर्क सोसाइटी के 26वें सम्मेलन में इस पेशे में पेशेवर नजरिया डालने के लिए एजेंडा तय किया गया। इसके लिए जरूरी शिक्षा के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जन संपर्क पेशेवरों के संपर्क में रहने की जरूरत भी बताई गई. जन संपर्क के पेशे को आधुनिक रूप देने के लिए चेन्नई में आयोजित उस सम्मेलन में एक रोडमैप जारी किया किया गयाजिसके 10 मुख्य बिंदु ये थे-

 

1. जन संपर्क शिक्षा को एक स्वतंत्र अकादमिक विषय के रूप में मान्यता देना। 

2. जन संपर्क प्रशिक्षण को पेशेवर विकास कार्यक्रम के तहत भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी)नई दिल्ली. भारतीय जन संपर्क सोसाइटी और राज्य सरकारों द्वारा प्रोत्साहन और प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल करना । 

3. शोध और विकास को जन संपर्क के पेशे एवं अध्ययन का अभिन्न अंग मानना। 

4. त्वरित जनसंचार के लिए ई-जन संपर्क को लागू करना । 

5. अंतर-वैयक्तिकपारंपरिक मीडियामास मीडियासूचना प्रौद्योगिकी का नया मीडिया और भारतीय पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाकर मीडिया रणनीति बनाना। 

6. ग्रामीण भारत का नजरिया-यानी बुनियादी जन संपर्क के लिए रणनीति तैयार करना। 7. मानवीय संबंधोंवित्त और मार्केटिंग को सहयोग देने के लिए समेकित जनसंपर्क प्रबंधन की दृष्टि से एक बहु-अनुशासनीय विषय बनाना। 

8. वैश्विक सहयोग और तालमेल के जरिये भारतीय जनसंपर्क को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना। 

9. सीईओ के लिए जन संपर्क को अनिवार्य बनाना। 

10. जन संपर्क को प्रोन्नत कर उसे शीर्ष प्रबंधन स्तर और बोर्ड रूम तक ले जाना।

 

टेलीविजन का आगमन

 

  • टेलीविजन ने मास मीडिया के परिदृश्य को अचानक बदल दियाक्योंकि अब सूचना सिर्फ धनी और शिक्षितों तक ही सीमित नहीं रह गई थी। अब आम आदमी भी संपन्न लोगों की जीवन शैलीउसके रंग-ढंग तथा विकसित देशों के रहन-सहन देख सकता था। नतीजतन मध्यवर्ग की आकांक्षाओं ने विस्तार लेना शुरू किया। मास मीडिया के जरिये विशेषज्ञों ने बढ़ती आकांक्षाओं और मांगों को स्वर देना शुरू किया। जन संपर्क की निश्चित रूप से इसमें एक भूमिका थीक्योंकि वह मास मीडिया को अभिव्यक्ति के एक औजार की तरह इस्तेमाल कर रहा था। भारत उन देशों में से हैजहां टेलीविजन चौनल चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं और इनकी शीर्ष प्राथमिकता अधिक से अधिक विज्ञापन आय के जरिये बेहतर टीआरपी हासिल करना है।

 

इंटरनेट क्रांति

 

  • इंटरनेट ने एक ऐसी सूचना क्रांति को जन्म दियाजिसमें देश की सीमाओं का कोई मतलब रह गया। भारत इस क्रांति से अछूता नहीं रह सकता था। इंटरनेट तक भारतीयों की पहुंच की गति हालांकि धीमी ही रहीलेकिन इसमें होती बढ़ोतरी से साफ है कि शिक्षित मध्यवर्ग इससे निरंतर जुड़ रहा है। सूचना चाहे वह सामाजिक होसांस्कृतिक होराजनीतिक हो या आर्थिक- इसने जन संपर्क के पेशे में संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं। ऑनलाइन विज्ञापन कारोबार हालांकि अभी बहुत उत्साहजनक स्थिति में नहीं हैलेकिन इसकी विशेषता यह है कि यह स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं है - इसी कारण इसका भविष्य बहुत उज्ज्वल है।

 

ग्रामीण जनसंपर्क- एक चुनौती

 

  • अब भी देश की आधी से अधिक आबादी गांवों में रहती हैजिसकी अपनी सोच है। ग्रामीण विकास और देश के कुल आर्थिक विकास के लक्ष्य से जुड़ी सरकार के लिए गांवों और शहरों को जोड़ना एक बड़ी चुनौती है। चूंकि हर कॉरपोरेट घराने का मुख्यालय महानगर में हैऐसे में शहरी क्षेत्र स्वाभाविक ही विकास के केंद्र में हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ग्रामीण विकास को केंद्र में रखते हुए ग्रामीण बाजारों को विकसित करने की जो बातें कही हैंउसे देखते हुए टाटाबिड़लाआईटीसी आदि ने ग्रामीण कारोबार को प्रमुखता दी है। मसलनआईटीसी ने ई-चौपाल नेटवर्क की जो शुरुआत की हैउससे पिछले कुछ वर्षों में 30000 से अधिक गांव जुड़े हैं। यूपीए सरकार ने किसानों की बेहतरी के लिए अनेक योजनाएं शुरू कींजिनमें उनकी कर्ज माफी से लेकर पैकेज तक शामिल हैं। इनसे पता चलता है कि आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था का जोर ग्रामीण क्षेत्रों पर ही होगा। आईटीसी ने गांवों में इंटरनेट स्टेशन खोले हैंजिसका सुखद परिणाम यह हुआ है कि अब भारतीय भाषाओं की वेबसाइटों पर जाकर किसान स्थानीय मौसम है का पूर्वानुमानखेती के आधुनिक तौर-तरीकों और यहां तक कि अपनी फसलों की लाभकारी कीमत के बारे में भी जानकारी हासिल कर लेते हैं। इससे ग्राम पंचायत जैसी संस्थाओं के लिए जन संपर्क का काम बहुत आसान हो गया है और वह ग्रामीणों के साथ अधिक कुशलता से संवाद कर सकता है।

 

मास मीडिया या जनसंचार

 

  • विकसित देशों की तरह भारत में भी आज मास मीडिया या जनसंचार समाज और देश के हर नागरिक को प्रभावित कर रहा है। यह लोगों के रहन-सहन पर ही नहींउसकी सोच पर भी असर डाल रहा है। पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले करीब दो दशकों में जो गुणात्मक परिवर्तन आया हैउससे जन संपर्क पेशेवरों के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। एक जन संपर्क पेशेवर से अब यह अपेक्षा की जाती है कि वह संसाधनों से लैस व्यक्ति होजो सच्ची और पूरी सूचना का करे और मीडिया को इसे उपलब्ध कराए। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि आर्थिक अखबार का बड़ा हिस्सा पढ़कर ऐसा लगता हैमानो इसे किसी जन संपर्क अधिकारी ने लिखा हो। चूंकि बाजार का परिदृश्य बदल चुका है और अब उपभोक्ता भी सटीक सूचनाओं की अपेक्षा करता हैऐसे में किसी कंपनी प्रबंधन या उसके उत्पादों के बारे में प्रतिकूल खबर पर वह तत्काल प्रतिक्रिया जताता है। इसलिए आज के प्रतिस्पर्धी माहौल में काम करने वाले किसी भी संगठन के लिए जन संपर्क की आवश्यकता पड़ती हैजो किसी भी नकारात्मक प्रचार का मुकाबला करते हुए विरोधी के दुष्प्रचार को नाकाम करता है। पिछले दशक में अपने यहां हुए कोला विवाद को इस संदर्भ में याद किया जा सकता है। 

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