पर्यावरण से जुड़े मसले और मीडिया |Environmental issues and media

 पर्यावरण से जुड़े मसले और मीडिया

पर्यावरण से जुड़े मसले और मीडिया |Environmental issues and media


 

 पर्यावरण से जुड़े मसले और मीडिया (Environmental issues and media)

  • मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। पृथ्वी पर जीवों और वनस्पतियों के बीच में हमेशा से ही एक सामंजस्य बना रहा है। अगर कभी हमारे चारों ओर के वातावरण में मौजूद प्राकृतिक चीजों में असंतुलन पैदा हो जाए तो मनुष्य का दायित्व है कि वह उन्हें दूर करने का प्रयास करे। पृथ्वी पर जब हम संपूर्ण पर्यावरण की बात करते हैं तो इसमें जलजंगलपहाड़नदियांमैदानजीवपशु-पक्षीहवा ही नहीं शामिल होते हैं बल्कि देश से जुड़े सामाजिकआर्थिकसांस्कृतिक और राजनीतिक सरोकारों को भी समाहित किया जाता है। वास्ताव में पर्यावरण में शामिल किसी भी घटक का अपने अनुपात से बढ़ जाना ही प्रदूषण को जन्म देता है। आजकल वायु प्रदूषणजल प्रदूषणमृदा प्रदूषणध्वनि प्रदूषणरेडियोधर्मी प्रदूषण की चिंता सता रही है।

 

  • आग लगने सेमोटर-कारों के धुएं से या वातावरण में कार्बन डाइ आक्साइड बढ़ने से वायु प्रदूषण होता है। जल में घरों की गंदगीमल-मूत्ररासायनिक खादें आदि पड़ने से प्रदूषण हो जाता है। 80 डेसीबल से ज्यादा तीव्रता होने पर ध्वनि प्रदूषण के दायरे में आ जाएंगे। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के चलते मृदा प्रदूषण लगाता बढ़ता ही जा रहा है। परमाणु कार्यक्रमों के दौरान रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमंडल में हवा के संपर्क में आ जाते हैं। इससे पानी में भी खतरे पैदा हो जाते हैं तथा भूमि में भी प्रदूषण अपनी जगह बना लेता है।

 

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ अहम बिंदु हैं-

 

i. गंगा और यमुना समेत देश की कई नदियों में कल-कारखानों और शहरों का गंदा पानी तथा अपशिष्ट पदार्थ लगातार बह रहा हैजिससे जीवनदायिनी नदियों का जीवन भी खतरे में हो गया है।

 

ii. नदियों की कटान से जमीन को नुकसान भी होता है और ऐसे अनेक स्थान हैं जहां ऐसा हो रहा है। ब्रह्मपुत्र नदी इसका जीता-जागता प्रमाण है।

 

iii. सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा हैक्योंकि धुएं से प्लै|टिनम के कण सभी जगह पहुंच रहे हैं।

 

iv. रेडियोधर्मी क्रिया-कलापों से वातावरण का तापमान भी बढ़ रहा है जिससे ग्लेशियर भी पिघल रहे हैं और पर्यावरण में एक प्रकार का असंतुलन पनप रहा है।

 

v. समुद्री तटों पर मौजूद वनों का तापमान भी बढ़ता जा रहा है और इससे काफी दिक्कतें आने वाले समय में पैदा होने वाली हैं।

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