पर्यावरण पत्रकारिता की चुनौतियां |Challenges of environmental journalism

पर्यावरण पत्रकारिता की चुनौतियां (Challenges of environmental journalism)

 

पर्यावरण पत्रकारिता की चुनौतियां |Challenges of environmental journalism

पर्यावरण पत्रकारिता की चुनौतियां

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पत्रकारिता के लिए लगातार चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। लगभग हर खतरे को लेकर आगाह करने की जरूरत है। चाहे पहाड़ हो या नदी नाले सभी जगह प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। नदियों के किनारों पर बसे शहरों के हालात भी बिगड़ रहे हैंऐसे में पत्रकारिता ही ऐसा माध्येम है जो लोगों को जागरूक और सचेत बना सकती है। अखबार से लेकर टीवी चैनलों और पत्र-पत्रिकाओं ने पर्यावरण को लेकर काफी लंबी मुहिम चलाई है। हालांकि कई स्तबरों पर पत्रकारिता के लिए चुनौतियां भी खड़ी होती हैं। एक नजर डालते हैं-

 

i. स्थानीयता पर ध्यान जरूरी- गैर सरकारी संगठनों की भी मदद से स्थानीय स्तर के छोटे मसलों को निस्ताररित करने में मदद मिलेगी। पत्रकारिता में स्थानीयता को ध्यान में रखते हुए पत्रकार को कार्य करना चाहिए ।

 

ii. विश्वसनीयता न खोएं भ्रामक खबरों से पत्रकार को बचना होगा। पत्रकारों को मनोरंजक या सनसनी पैदा करने वाली पत्रकारिता से बचना होगा।

 

iii. पर्यावरण से जुड़े हर पहलू की समीक्षा जरूरी-लोगों को भागीदार बनाने के लिए प्रेरित करना जरूरी होता हैऐसे में उनकी सक्रियता को उभारना प्रमुख होगा। जानकारी देकर जनता को शिक्षित करना भी सकारात्मरक पत्रकारिता माना जाएगा। 

iv. पत्रकार गहराई में जाकर रिपोर्टिंग करे- उथले ज्ञान पर आधारित खबरें लिखने से जो बात पाठकों या दर्शकों तक पहुंचनी चाहिए वह नहीं पहुंच पाती। 

v. पाठकों की इच्छा सर्वोपरि पत्रकारों को पाठकों की रुचि के हिसाब से कार्य करना होगा। उन्हें इसके लिए जागरूक करना होगा जिससे कि पर्यावरण के मसलों पर ढंग से कार्य हो सके। 

vi. चटपटा न बनाएं-पर्यावरण के समाचारों में बहुत चटपटा मसाला न लगाकर उनके मूल स्व रूप में ही परोसा जाए। पर्यावरण के मामलों पर लिखने वाले पत्रकारों की खासा कमी हैक्योंकि इसमें कॅरियर की अनिश्चितता है। 

vii. प्रशिक्षण अनिवार्य हो- पर्यावरण की विशेषज्ञता हासिल करने के लिए सामान्य पत्रकारों को ट्रेनिंग की सुविधा दी जाए। पर्यावरण विषय को सामान्या पत्रकारिता की श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए। बहुत विशेषीकृत बनाने के फेर में इसकी रिपोर्ट केवल कुछ खास पाठक वर्ग तक ही सीमित रह जाती है। इससे बचना होगा।

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