पत्राचार के प्रमुख अंग| Parts of Hindi correspondence

पत्राचार के प्रमुख अंग  (Parts of Hindi correspondence)

 

पत्राचार के प्रमुख अंग| Parts of Hindi correspondence

पत्राचार के प्रमुख अंग

पत्राचार की विभिन्न विशेषताओं से आप अवगत हो गए होंगे। अब यह जरूरी है कि आपको पत्राचार के विभिन्न अंगों से भी परिचित करा दिया जाए। पत्राचार के अंगों को सुविधा की दृष्टि से निम्न प्रकार से बांटा जा सकता है-

 

1. शीर्षक - 

  • शीर्षक प्रायः छपा हुआ होता है। इसमें प्रेषक संस्था का नामतार का पता और टेलीफोन नंबर हाता है। आजकल मोबाइल नंबर और ईमेल भी दिया जाता है।

 

2. प्रेषक का पता - 

  • यह पत्र के दाहिनी ओर रहता है। इसमें संस्था का पूरा पतानगर का नामपिन कोडई मेल का पता आदि दिया जाता है।

 

3. पत्र संख्या

  •  यह बाईं ओर लिखी जाती है। इससे फाइल में रखने और साथ लगाने में सहयोग मिलता है।

 

4. दिनांक 

  • संदर्भ के लिए दाहिनी ओर लिखा जाता है। 

 

5. प्राप्तकर्ता

  • यह वह व्यक्ति है जिसे पत्र भेजा जा रहा है। इसका पूरा पता ऊपर बाईं ओर दिया जाता है।

 

6. विषय

  • यह पत्र के भाव का संक्षिप्त रूप होता है। इसका लाभ यह होता है कि प्राप्तकर्ता तुरंत समझ लेता है कि पत्र किस संबंध में है और इससे समय की बचत भी होती है।

 

7. संबोधन

  • यह अलग-अलग पत्रों में अलग-अलग प्राप्तकर्ता के अनुसार होता है। जैसे कहीं 'प्रिय महोदय', कहीं 'महोदय,' कहीं प्रियवरऔर कहीं 'प्रिय श्री. 

 

8. प्रारंभ - 

  • पत्र के प्रारंभ में संदर्भदिनांक और विषयवस्तु को लिया जाता है।

 

9. कलेवर

  • यह पत्र का महत्वपूर्ण भाग है। इसे मूल कथ्य या मुख्य भाग भी कहा जाता है। इसमें प्रेषक प्राप्तकर्ता को बताने वाली और पूछने वाली बातों का अलग-अलग अनुच्छेद में उल्लेख करता है। प्रत्येक अनुच्छेद अपने पूर्व के अनुच्छेद से जुड़ा हुआ होना चाहिए। भाषा स्पष्ट और सहज होद्वियर्थक शब्दों का प्रयोग पत्र के कलेवर में न हो। वाक्य छोटे छोटे होने चाहिए।

 

10. उपसंहार

  •  इसे समापन भी कहते हैं लेकिन इससे पूर्व धन्यवाद ज्ञापन किया जाना

 

11. अधोलेख  

  • इसे हस्ताक्षर से पूर्व लिखा जाता हैजैसे- भवदीयआपकाआपका आज्ञाकारी आदि।

 

12. हस्ताक्षर

  •  अधोलेख के बाद प्रेषक के हस्ताक्षर होते है। 

 

13. प्रेषक का नाम - 

  • इसे हस्ताक्षर के बाद लिखा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कभी कभी हस्ताक्षर सुपाठ्य नहीं होते। अर्ध सरकारी पत्र में इस स्थान पर पदनाम न देकर केवल नाम दिया जाता है। जहां किसी बड़े अधिकारी के स्थान पर कोई अन्य व्यक्ति हस्ताक्षर करता है तो वहां कृतेकुलसचिव आदि का प्रयोग किया जाता है।

 

14. प्रेषक का पदनाम

  • इसे प्रेषक के नाम के बाद लिखा जाता है। (कहीं-कहीं यह नहीं भी दिया जाता है)


15 संलग्नक - 

  • ये पत्र के साथ लगने वाले कागज होते हैं और इनका उल्लेख बाईं ओर किया जाता है। 

 

पत्राचार के प्रमुख अंग उदाहरण 

पत्राचार के प्रमुख अंग उदाहरण


क्या पत्राचार के सभी  अंग पत्र में होना चाहिए 

  • यहां उल्लेखनीय है ये सभी अंग पत्राचार के सभी रूपों में समान रूप से हों यह आवश्यक नहीं है। कई रूपों में अनेक अंग नहीं होते और अनेक रूपों में इनके स्थान बदल जाते हैं। जैसे कार्यालय ज्ञापन और ज्ञापन में संबोधन और अधोलेख नहीं होता। पत्र में प्राप्तकर्ता का नाम ऊपर होता है जबकि कार्यालय ज्ञापन और ज्ञापन में नीचे होता है। तार और अर्धसरकारी पत्रों में विषय नहीं दिया जाता। कई पत्रों में भवदीय या आपका बाईं ओर रहता है तो कई में दाहिनी ओर। अक्सर दाहिनी ओर ही लिखा जाता है।

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