पत्राचार का अर्थ एवं विशेषताएं | Meaning and Features of Correspondence

 पत्राचार का अर्थ एवं विशेषताएं  (Meaning and Features of Correspondence)

पत्राचार का अर्थ एवं विशेषताएं | Meaning and Features of Correspondence


पत्राचार का अर्थ एवं विशेषताएं

 

  • पत्राचार मूल रूप से पत्र लेखन है। यह एक कला है और जो इस में निपुण होता है वह सरकारी और व्यावसायिक दोनों प्रकार के पत्र लेखन को कर सकता है। 
  • 'पत्राचार' शब्द का निर्माण दो शब्दों के मेल से हुआ है। इसमे एक शब्द है 'पत्र' और दूसरा शब्द है 'आचार' 'पत्र' एक स्थान से दूसरे स्थान तक संप्रेषण का एक माध्यम है, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच संपर्क का एक सूत्र है। इसी का विकसित रूप आप आज ईमेल के रूप में देख रहे हैं। 
  • 'आचार' शब्द 'व्यवहार का प्रकट करता है। लेखन से लिखने का बोध होता है। इस प्रकार 'पत्राचार उस प्रक्रिया या पद्धति को कह सकते हैं जिसमें पत्र लेखन से लेकर पत्र प्राप्ति निहित है। यह उर्दू में खत-किताबत' कहलाता है और अंग्रेजी में इसे करेंस्पोंडेंस' कहा जाता है।

रघुनंदन प्रसाद शर्मा के अनुसार पत्राचार की परिभाषा 


रघुनंदन प्रसाद शर्मा इसे परिभाषित करते हुए कहते हैं कि कार्यालयों आदि में सरकार की रीति नीति की व्याख्या और कार्य के संबंध में किसी भी संगठन, संस्था, व्यक्ति आदि को लिखित रूप में जो कुछ भी कहा अथवा बताया जाता है, उसे पत्राचार की संज्ञा दी जाती है। सरकारी क्षेत्र में और व्यावसायिक क्षेत्र में पत्राचार का विशेष महत्व है क्योंकि वहां लिखित शब्द की सत्ता है न कि उच्चरित शब्द की।

 

पत्राचार की विशेषताएं

पत्राचार को रोचक, आकर्षक और प्रभावपूर्ण बनाने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है

 

1. सरलता, सहजता और रोचकता 

  • पत्राचार सरल होना चाहिए तभी उसमें रोचकता आएगी। पत्राचार में भाषा सीधी-सादी होनी चाहिए। उसमें बनावटीपन नहीं होना चाहिए। अतः किसी पत्र के अनुवाद से बचना चाहिए और अनुवाद करके किसी को भी पत्र नहीं भेजना चाहिए।

 

  • पत्राचार सहज लगे इसके लिए जरूरी है कि उसमें जो कुछ भी व्यक्त किया जाए, वह कार्यालय की रीति, नीति और कार्य के अनुरूप हो। पत्र में कृत्रिमता नहीं होनी चाहिए। इसीलिए पत्रों की भाषा में बहुज्ञता के प्रकाशन की आवश्यकता नहीं होती। तथ्यों की प्रस्तुति पर विशेष बल रहना चाहिए, चाहे पत्र सरकारी हो या व्यावसायिक । 

 

2. संक्षिप्तता, स्पष्टता और पूर्णता

  • पत्राचार के लिए यह एक आवश्यक शर्त है कि पत्र में - जो कुछ लिखा जाए वह संक्षेप में हो लेकिन अपने में स्पष्ट और पूर्ण हो। ऐसा न हो कि मूल कथ्य ही कमजोर पड़ जाए। मुख्य बात पत्र में अवश्य आ जानी चाहिए। स्पष्टता के लिए आवश्यक है कि पत्र में लिखावट पढ़ने योग्य हो। सबसे अच्छा तो यह है कि पत्र टाइपराटर या कंप्यूटर से टंकित हो। यदि पत्र लंबा लिखना हो तो उसके लिए पर्याप्त समय, सामग्री और धैर्य अपेक्षित है।

 

3. आकर्षक और सुरुचिपूर्ण

  • पत्राचार को आकर्षक और सुरुचिपूर्ण भी बनाना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि भाषा विषय के अनुकूल हो । शब्द चयन नितांत सटीक और वाक्य छोट-छोटे हों। लंबे वाक्यों के प्रयोग से पत्र लेखक को बचना चाहिए। यदि कोई कठिन शब्द है जो उसका सरल रूप प्रयोग में लाना चाहिए। अनुच्छेद भी छोटे-छोटे और एक ही भाव को व्यक्त करने वाले हों। भाषा-शैली एक विशेष शिष्ट स्वरूप लिए होनी चाहिए जिससे पत्र लेखक की शालीनता का बोध हो सके। यदि मुद्रित पत्र शीर्ष वाले कागज का प्रयोग पत्राचार के लिए किया गया है तो उसकी साज सज्जा आकर्षक और मनोहारी होनी चाहिए। सादे कागज पर लिखा गया पत्र भी अपनी लिखावट की सुंदरता, स्पष्टता, उचित लेखन शैली, संबोधन, अभिवादन आदि से भी पाठक का ध्यान आकृष्ट कर लेता है।

 

4. विराम चिह्नों का उचित प्रयोग 

  • इस ओर पत्र लेखक को विशेष ध्यान देना चाहिए। इसे भाषा और भावों को स्पष्ट करने में सहायता मिलती है। अनावश्यक रूप से विराम, कॉमा, कोष्ठक आदि को लगा देने से कभी अर्थ का अनर्थ भी हो सकता है और पत्र का उत्तर प्रतिकूल भी मिल सकता है।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.