भैना जनजाति के बारे में जानकारी | Bhaina Tribes Details in Hindi

भैना जनजाति के बारे में जानकारी  (Bhaina Tribes Details in Hindi) 

भैना जनजाति के बारे में जानकारी | Bhaina Tribes Details in Hindi



भैना जनजाति के बारे में जानकारी

 

भैना जनजाति की जनसंख्या          

  • भैना की कुल जनसंख्या 6367 है जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 0.009 प्रतिशत है।

 

भैना जनजाति का निवास क्षेत्र       

  •  यह जनजाति शहडोल, मण्डला, उमरिया, डिण्डौरी एवं अनूपपुर आदि में पायी जाती है।

 

भैना जनजाति में गोत्र         

  • इनके प्रमुख गोत्र, नाग, वाद्य चितवा, गिघवा, बेसरा, बेन्दरा,लोधा, बतरिया, गबड, दुर्गाचिया, मिरचा, धोबिया, अहेरा , मनका, मालीन आदि है। गोत्र के टोटम पाये जाते हैं।

 

भैना जनजाति में रहन-सहन          

 

  • इनके घर मिट्टी के बने होते हैं। उनपर छप्पर देशी खपरैल या घासफूस के होते हैं। घरेलू वस्तुओं में अनाज रखने की कोठी, चारपाई, ओढ़ने-बिछाने के कपडे़, भोजन बनाने व खाने के बर्तन, कृषि उपकरण, कुल्हाड़ी, ढेकी, मूसल, चक्की, बाँस की टोकरी, सूप आदि पाये जाते हैं।

 

भैना जनजाति में खान-पान          

  • इनका मुख्य भोजन चावल, कोदो की भात, बासी, उड़द, मूग, तुवर, कुल्थी आदि की दाल, मौसमी सब्जी आदि है। माँसाहार मछली मुर्गी, बकरे का माँस खाते हैं।

 

भैना जनजाति में वस्त्र          

 

  • वस्त्र विन्यास मेें पुरुष पंछा-बंडी सलूका, धोती, कुरता, स्त्रियाँ लुगड़ा, पोलका पहनती हैं। स्त्रियाँ गहनों की शौकीन होती हैं। पैर की उंगलियों में बिछिया, पैर में सांटी, लच्छा, कमर में करधन, कलाइयों में ऐठी, चुड़ियाँ, गले में  सुडा, रुपिया, कान में खिनवा, नाक में फुली पहनती हैं।

 

भैना जनजाति में गोदना          

  •  स्त्रियाँ चेहरे और हाथ-पैर पर गुदना गोदाती हैं।

 

भैना जनजाति में तीज-त्यौहार           

  •  इनके प्रमुख त्यौहार हरेली, तीजा, पोला, पितर, नवाखानी, दशहरा, दीवाली तथा होली है। 

भैना जनजाति में नृत्य           

  • इस जनजाति के लोग करमा, रहस रामधुनी बिहाव नृत्य करते हैं। महिलाएँ करमा तथा पड़की नृत्य करती हैं। इनके मुख्य लोकगीत करमागीत, ददरियागीत, रहसगीत, भजन, सुआगीत बिहाव गीत आदि हैं। 

भैना जनजाति में व्यवसाय        

  • इस जनजाति के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन कृषि, मजदूरी, वनोपज संग्रह है। खेतों में मुख्यतः कोदो , धान, उड़द, मूँग, तिवड़ा, तिल, तुवर आदि बोते हैं। जंगल में तेंदूपत्ता, तेंदू, चार, महुआ, गुल्ली, गोंद लाख, हर्रा, आँवला, एकत्र करते हैं।

 

भैना जनजाति में जन्म-संस्कार         

  •  गर्भावस्था में कोई संस्कार नहीं होता। प्रसव स्थानीय सुइनदाईकी मदद से घर पर ही कराते हैं। प्रसव के बाद बच्चे की नाल चाकू या ब्लेड से काटकर घर में गड़ाते हैं। प्रसूता को तिल, गुड़, पीपल, अजवाइन, घी, नारियल का लड्डू खिलाते हैं। छठवें दिन छठी मनाते हैं। पुरुष दाढ़ी तथा सिर के बाल कटाते हैं।

 

भैना जनजाति में विवाह-संस्कार           

  •  विवाह उम्र लडको की 16-18 वर्ष लड़कियों की 15-17 वर्ष मानी जाती है। विवाह का प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से आता है। वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष को चावल, दाल, तेल, गुड़, कुछ नगद रकम सूक के रूप में देते हैं। विवाह, मंगनी, फलदान बिहाव तथा गौना चार चरणों में पूर्ण होता है। इनमें विनिमय, सहपलायन, घुसपैठ, सेवा विवाह, पुनर्विवाह, देवर-भाभी पुनर्विवाह को भी मान्यता दी जाती है।

 

भैना जनजाति में मृत्यु संस्कार           

  •  मुत्यु होने पर मुतक को दफ़नाते हैं तीसरे दिन परिवार के पुरुष दाढ़ी, मूँछ व सिर के बालोें का मुण्डन कराते हैं।

 

भैना जनजाति के देवी-देवता           

  • इनके प्रमुख देवी-देवता, ठाकुरदेव, बुढ़ादेव, गोरइयादेव, शीतलामाता आदि हैं। इसके अतिरिक्त सूरज, चाँद, पृथ्वी, नदी पहाड़, वृक्ष, बाघ, नाग आदि तथा हिन्दू देवी देवताओं  की भी पूजा करते हैं।

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