ऊष्मा इंजन तथा दक्षता |ऊष्मा इंजन के प्रमुख भाग| Heat Engine and it's Efficiency In Hindi

 ऊष्मा इंजन तथा दक्षता
Heat Engine and Efficiency

ऊष्मा इंजन तथा दक्षता |ऊष्मा इंजन के प्रमुख भाग| Heat Engine and it's Efficiency In Hindi



ऊष्मा इंजन की दक्षता (Efficiency of heat engine in Hindi)


ऊष्मा इंजन एक ऐसी चक्रीय युक्ति है, जिसके द्वारा ऊष्मा को सतत् रूप से कार्य में परिवर्तित किया जाता है। 


किसी ऊष्मा इंजन के प्रमुख भाग निम्नानुसार होते हैं-


(I) ऊष्मा स्त्रोत

यह एक नियत उच्च ताप T1 पर रखा जाता है। इसकी तापीय क्षमता अनन्त होती है। अर्थात् इससे कितनी भी ऊष्मा ली जाय इसका ताप परिवर्तित नहीं होता है।


(ii) सिंक

इसका ताप T2, ऊष्मा स्रोत के ताप T1 से कम होता है। इसकी भी तापीय क्षमता अनन्त होती है, जिससे यह स्थिर ताप T2, पर कितनी ही ऊष्मा ग्रहण कर सकता है। व्यवहार में सबसे उपयुक्त सिंक वायुमण्डल है, क्योंकि इसकी ऊष्मा ग्रहण करने की क्षमता सर्वाधिक है।





(iii) कार्यकारी पदार्थ


कार्यकारी पदार्थ ऊष्मा स्रोत से Q ऊष्मा अवशोषित करता है तथा W कार्य करके Q, ऊष्मा सिंक को देता है और अपनी प्रारम्भिक अवस्था में लौट आता है। इस प्रकार उसकी आन्तरिक ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

कार्यकारी पदार्थ उसी मार्ग से अपनी प्रारम्भिक अवस्था में नहीं लौटता अपितु अन्य मार्ग से अपनी प्रारम्भिक अवस्था में लौटता है। अतः सूचक आरेख सरल रेखा न होकर बन्द वक्र होता है। प्रत्येक चक्र में कार्यकारी पदार्थ के गुणों में परिवर्तन नहीं होता है। इस चक्र की पुनरावृत्ति करके अधिक-से-अधिक ऊष्मा को कार्य में परिवर्तित किया जा सकता है।


ऊष्मा इंजन की दक्षता किसे कहते हैं



प्रत्येक चक्र में इंजन द्वारा किये गये बाह्य कार्य और उसके द्वारा अवशोषित ऊष्मा की मात्रा के अनुपात को इंजन की दक्षता कहते हैं। इसे η से प्रदर्शित करते हैं।















उपर्युक्त व्यंजक से स्पष्ट है कि इंजन की दक्षता सदैव एक से कम (या 100% से कम) होती है।

यदि η = 1 हो तो Q2 = 0

अर्थात् एक पूर्ण चक्र में इंजन, स्रोत से ऊष्मा अवशोषित करके सम्पूर्ण ऊष्मा को कार्य में परिवर्तित कर दे तथा सिंक को भी ऊष्मा वापस न करे जो कि असम्भव है। 

अतः किसी भी इंजन की दक्षता 100% नहीं हो सकती।





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