संविधान का प्रभाव में आना प्रवर्तन (लागु होना) | संविधान सभा महत्वपूर्ण तथ्य | Samvidhan Sabha Ka Lagu Hona

संविधान का प्रभाव में आना प्रवर्तन (लागु होना) | संविधान सभा महत्वपूर्ण तथ्य
 (Samvidhan Sabha Ka Lagu Hona)

 

संविधान का प्रभाव में आना प्रवर्तन (लागु होना) | संविधान सभा महत्वपूर्ण तथ्य  (Samvidhan Sabha Ka Lagu Hona)

संविधान का प्रभाव में आना प्रवर्तन (लागु होना) 

  • डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने सभा में 4 नवंबर, 1948 को संविधान का अंतिम प्रारूप पेश किया। इस बार संविधान पहली बार पढ़ा गया। सभा में इस पर पांच दिन (9 नवंबर, 1949 तक) आम चर्चा हुई।

 

  • संविधान पर दूसरी बार 15 नवंबर, 1948 से विचार होना शुरू हुआ। इसमें संविधान पर खंडवार विचार किया गया। यह कार्य 17 अक्टूबर, 1949 तक चला। इस अवधि में कम से कम 7653 संशोधन प्रस्ताव आयेजिनमें से वास्तव में 2473 पर ही सभा में चर्चा हुयी ।

 

  • संविधान पर तीसरी बार 14 नवंबर, 1949 से विचार होना शुरू हुआ। डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने 'द कॉन्सटिट्यूशन ऐज़ सैटल्ड द असेंबली बी पास्डप्रस्ताव पेश किया। संविधान के प्रारूप पर पेश इस प्रस्ताव को 26 नवंबर, 1949 को पारित घोषित कर दिया गया और इस पर अध्यक्ष व सदस्यों के हस्ताक्षर लिए गए। सभा में कुल 299 सदस्यों में से उस दिन केवल 284 में सदस्य उपस्थित थेजिन्होंने संविधान पर हस्ताक्षर किए। संविधान की प्रस्तावना में 26 नवंबर, 1949 का उल्लेख उस दिन के रूप में किया गया है जिस दिन भारत के लोगों ने सभा में संविधान को अपनायालागू किया व स्वयं को संविधान सौंपा।

 

  • 26 नवंबर, 1949 को अपनाए गए संविधान प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं । प्रस्तावना को पूरे संविधान को लागू करने के बाद लागू किया गया ।

 

  • नए विधि मंत्री डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने सभा में संविधान के प्रारूप को रखा। उन्होंने सभा के कार्य-कलापों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उन्हें अपनी तर्कसंगत व प्रभावशाली दलीलों के लिए जाना जाता था। उन्हें भारत के संविधान के पिताके रूप में पहचाना जाता है। इस महान लेखकसंविधान विशेषज्ञअनुसूचित जातियों के निर्विवाद नेता और भारत के संविधान के प्रमुख शिल्पकार को आधुनिक मनु की संज्ञा भी दी जाती है।

 

संविधान का प्रवर्तन (लागु होना) 

 

  • 26 नवंबर, 1949 को नागरिकताचुनावतदर्थ संसदअस्थायी व परिवर्तनशील नियम तथा छोटे शीर्षकों से जुड़े कुछ प्रावधान अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391, 392 और 393 स्वत: ही लागू हो गए।

 

  • संविधान के शेष प्रावधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुए। इस दिन को संविधान की शुरुआत के दिन के रूप में देखा जाता है और इसे 'गणतंत्र दिवसके रूप में मनाया जाता है।

 

  • इस दिन को संविधान की शुरुआत के रूप में इसलिए चुना गया 1 क्योंकि इसका अपना ऐतिहासिक महत्व है। इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (दिसंबर 1929 ) में पारित हुए संकल्प के आधार पर पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया था।

 

  • संविधान की शुरुआत के साथ ही भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 और भारत शासन अधिनियम, 1935 को समाप्त कर दिया गया। हालांकि एबोलिशन ऑफ प्रिवी काउंसिल ज्यूरिडिक्शन एक्ट, 1949 लागू रहा।

 
संविधान सभा की आलोचना

 

आलोचकों ने विभिन्न आधारों पर संविधान सभा की आलोचना की है। ये आधार हैं:-

 

1. यह प्रतिनिधि निकाय नहीं थी: 

  • आलोचकों ने दलीलें दी हैं कि संविधान सभा प्रतिनिधि सभा नहीं थी क्योंकि इसके सदस्यों का चुनाव भारत के लोगों द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर नहीं हुआ था।

 

2. संप्रभुत्ता का अभाव: 

  • आलोचकों का कहना है कि संविधान सभा एक संप्रभु निकाय नहीं थी क्योंकि इसका निर्माण ब्रिटिश सरकार के प्रस्तावों के आधार पर हुआ । यह भी कहा जाता है कि संविधान सभा अपनी बैठकों से पहले ब्रिटिश सरकार से इजाज़त लेती थी ।

 

3. समय की बर्बादी: 

  • आलोचकों के अनुसारसंविधान सभा ने इसके निर्माण में जरूरत से कहीं ज्यादा समय ले लिया । उन्होंने कहा कि अमेरिका के संविधान निर्माताओं ने मात्र 4 माह में अपना काम पूरा कर लिया था। निराजुद्दीन अहमदसंविधान सभा के सदस्यने इसके लिए अपनी अवमानना दर्शाने के लिए प्रारूप समिति हेतु एक नया नाम गढ़ा। उन्होंने इसे 'अपवहन समितिकहा।

 

4. कांग्रेस का प्रभुत्वः 

  • आलोचकों का आरोप है कि संविधान सभा में कांग्रेसियों का प्रभुत्व था । ब्रिटेन के संविधान विशेषज्ञ ग्रेनविले ऑस्टिन ने टिप्पणी की, “संविधान सभा एक दलीय देश का एक-दलीय निकाय है । सभा ही कांग्रेस है और कांग्रेस ही भारत है। "

 

5. वकीलों और राजनीतिज्ञों का प्रभुत्वः 

  • यह भी कहा जाता है कि संविधान सभा में वकीलों और नेताओं का बोलबाला था। उन्होंने कहा कि समाज के अन्य वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला। उनके अनुसारसंविधान के आकार और उसकी जटिल भाषा के पीछे भी यही मुख्य कारण था।

 

6. हिंदुओं का प्रभुत्वः 

  • कुछ आलोचकों के अनुसारसंविधान सभा में हिंदुओं का वर्चस्व था । लॉर्ड विसकाउंट ने इसे 'हिंदुओं का निकायकहा । इसी प्रकार विंस्टन चर्चिल ने टिप्पणी की किसंविधान सभा ने 'भारत के केवल एक बड़े समुदायका प्रतिनिधित्व किया।

 

संविधान महत्वपूर्ण तथ्य Constitution Fact in Hindi

 

1. संविधान सभा द्वारा हाथी को प्रतीक (मुहर) के रूप में अपनाया गया था। 

2. सर बी. एन. राव को संविधान सभा के लिए संवैधानिक सलाहकार (कानूनी सलाहकार) के रूप में नियुक्त किया गया था। 

3. एच. वी. आर. अय्यंगर को संविधान सभा का सचिव नियुक्त किया गया था। 

4. एल.एन. मुखर्जी को संविधान सभा का मुख्य प्रारूपकार (चीफ ड्राफ्टमैन) नियुक्त किया गया था। 

5. प्रेम बिहारी नारायण रायजादा भारतीय संविधान के प्रमुख सुलेखक (Calligrapher) थे। मूल संविधान एक प्रवाहमय (इटैलिक) शैली में उनके द्वारा हस्तलिखित किया गया था।

6. मूल संस्करण का सौन्दर्यीकरण और सजावट शांति निकेतन के कलाकारों ने किया जिनमें मंदलाल बोस और बिउहर राममनोहर सिन्हा शामिल थे। 

7. मूल प्रस्तावना को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हस्तलिखित एवं बिउहर राममनोहर सिन्हा द्वारा ज्यातिमयसौंदर्यीकृत एवं अलंकृत किया गया था 

8. मूल संविधान के हिन्दी संस्करण का सुलेखन वसंत कृष्ण वैद्य द्वारा किया गया जिसे नंदलाल बोस ने सुन्दर ढंग से अलंकृत एवं ज्यातिमय किया गया।

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