वस्तुएं हमें कैसे दिखाई देती है|रंगीन प्रकाश का मिश्रण वर्ण-त्रिभुज | Color Triangle in Hindi

 वस्तुएं हमें कैसे दिखाई देती है, वर्ण-त्रिभुज  (Color Triangle in Hindi)

वस्तुएं हमें कैसे दिखाई देती है|रंगीन प्रकाश का मिश्रण वर्ण-त्रिभुज | Color Triangle in Hindi



वस्तुएं हमें कैसे दिखाई देती है -वस्तुओं के रंग

 

  • प्रकाश को परावर्तित करने के कारण वस्तुएं हमें दिखाई देती हैं। उन पर पड़ने वाले प्रकाश के कुछ भाग के परावर्तन के फलस्वरूप परावर्तित प्रकाश से उन वस्तुओं को रंग प्राप्त होता है और वे हमें रंगीन दिखाई देती हैं।

 

  • गुलाब के फूल को दिन के प्रकाश में देखने पर उसकी पंखुड़िया लाल तथा उसकी पत्तियां हरी दिखाई देती हैं क्योंकि पंखुड़ियां श्वेत प्रकाश के लाल वर्ण तथ पत्तियां हरे रंग को परावर्तित करती हैं तथा शेष अन्य वर्णों को अवशोषित कर लेत हैं। गुलाब के इस पुष्प को हरे प्रकाश में देखने पर पंखुड़ियां काली व पत्तियां हर प्रतीत होती हैं जबकि नीले अथवा पीले दोनों ही रंग के प्रकाश में देखने प पखुड़ियां व पत्तियां दोनों काली दिखाई पड़ती हैं।

 

रंगीन प्रकाश का मिश्रण-वर्ण-त्रिभुज


  • लाल, हरे व नीले प्रकाश के मिश्रण से श्वेत प्रकाश उत्पन्न होता है। वास्तव में किसी रंग को इन तीन रंगों के समुचित मिश्रण से बनाया जा सकता है। अतः ये तीन रंग-लाल, हरा व नीला प्राथमिक रंग कहलाते हैं। पीला आदि अन्य रंग गौण (अथवा द्वितीयक) रंग कहलाते हैं। 
  • वर्ण-त्रिभुज की सहायता से प्राथमिक रंगों के किस मिश्रण से कौन-सा तरंग प्राप्त हो सकता है. 

 

रंगीन प्रकाश का मिश्रण color triangle physics in hindi

  • लाल+ हरा = पीला 
  • लाल+ नीला =  मैजेन्टा
  • हरा+ नीला स्यान
  • हरा+ मैजेन्टा = श्वेत
  • लाल + स्यान = श्वेत 
  • नीला + पीला = श्वेत


  • उन दो रंगों को जिनके मिश्रण से श्वेत रंग प्राप्त हो, पूरक - रंग कहते हैं, जैसे- नीला व पीला रंग।

 

  • लाल, हरे एवं नीले रंगों को विभिन्न मात्रा में मिलाकर हम स्पेक्ट्रम में किसी भी रंग को उत्पन्न कर सकते हैं। इसी वजह से इन्हें एडिटिव प्राथमिक रंग कहा जाता है।
  • पीला, मैजेंटा एवं आसमानी नीला, जिन्हें कि दो एडिटिव प्राथमिक रंगों के संयोजन से बनाया जाता है, सब्सट्रैक्टिव प्राथमिक रंग हैं। दो सब्सट्रैक्टिव रंगों के संयोजन से जो रंग प्राप्त किये जाते हैं, वे इस प्रकार हैं: 


  • आसमानी नीला + पीला = हरा 
  • मैजेंटा + पीला = लाल 
  • आसमानी नीला + मैजेंटा = नीला

 

रंगीन वर्णकों का मिश्रण

  • नीला व पीला पेन्ट मिलाने से रंग त्रिभुज के अनुसार श्वेत पेन्ट न बनकर हरा पेन्ट बनता है क्योंकि पेन्टों में रंग लाने हेतु वर्णकों का प्रयोग किया जाता है जो अशुद्ध रंग के बने होते हैं। अत: नीले व पीले पेन्टों के मिश्रण को श्वेत प्रकाश में देखने पर इस मिश्रण द्वारा परिवर्तित रंग हरा होने का आभास देता है तथा श्वेत प्रकाश के अन्य सभी रंग मिश्रक नीले अथवा पीले रंग द्वारा अवशोषित हो जाते हैं। इस प्रकार यह मिश्रण हरा प्रतीत होता है। 


रंगीन टेलीविजन में वर्णों का मिश्रण

 

  • रंगीन टेलीविजन में संयोज्य (योगज) वर्णों का मिश्रण किया जाता है। टेलीविजितहरी (televised) दृश्य से प्रकाश को टीवी कैमरे के डाइक्रोइक दर्पणों की सहायता से ने पर लाल, हरे व नीले RGB संघटकों में विभक्त किया जाता है। इन विभक्त तीन वर्णों को पृथक-पृथक तीन कैमरा नलिकाओं पर आपतित किया जाता है, जिनसे संगत विद्युत् संकेत (सिग्नल) उत्पन्न होते हैं। इन्हीं संकेतों को संचरित कर उन्हें दूरस्थ रंगीन टीवी रिसीवर पर भेजा जाता है। इन तीन वर्णों के समिश्रण से दृश्य को पुनः स्क्रीन पर प्रस्तुत किया जाता है।

 

  • परंपरागत टीवी सेट में डिस्प्ले के लिये कैथोड रे ट्यूब का प्रयोग किया जाता है। ये सेट्स न केवल आकार में बड़े एवं भारी होते हैं अपितु इनमें बिजली की खपत भी ज्यादा होती है तथा चित्र की गुणवना भी अच्छी नहीं होती है। इन दिनों एलसीडी एवं प्लामा टीवी की मांग बढ़ती जा रही है।


एलसीडी क्या होती हैं  

  • लिक्विड् क्रिस्टल डिप्ले ( एलसीडी) एक पतली एवं चपटी इलेक्ट्रॉनिकली डिस्प्ले इकाई होती है, जो चित्रो सूचनाओं एवं चलायमान चित्रो को प्रदर्शित करती है। इसका उपयोग कंप्यूटर के मॉनिटर उपकरणीय पैनल एवं अन्य उपकरणों के रूप में जैसे कि वीडियो प्लेयर खेल के उपकरण. घड़ियों, कैल्कुलेटर एवं टेलीफोन आदि में होता है। इसके सबसे बड़े लाभ है भार में हल्का होना, किसी भी स्थान में ले जाने की सुविधा तथा कैथोड रे ट्यूब की तुलना में इसकी स्क्रीन के आकार का बड़ा होना। कम विद्युत खपत के गुण के कारण इसका उपयोग बैटरी से चलने वाले उपकरणों में भी किया जाता है। इन दिनों अधिकाधिक लोग एलसीडी टीवी खरीद रहे हैं।

पीडीपी डिस्प्ले क्या होता है ?

  • एक प्लाज्मा डिस्प्ले पैनल (पीडीपी) सपाट पैनल डिस्प्ले होता है. जिसका उपयोग बड़े आकार के टीवी सेट जैसे कि 32 इंच या उससे अधि के के टीवी सेट में उपयोग में लाया जाता है। इसमें कांच की दो परतों के बीच में कई छोटी कोशिकायें होती हैं, जिनमें उत्कृष्ट गैसों का मिश्रण भरा होता है। कोशिकाओं में भरी गैसें इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्लाज्मा में परिवर्तित हो जाती है, जो बाद में प्रकाश के उत्सर्जन हेतु फास्फर्स को उत्तेजित करती हैं। 
  • प्लाज्मा डिस्प्ले चमकदार तथा उत्कृष्ट रंगों वाला होता है, जिसे काफी बड़े आकार के चित्रों में यथा- 150 इंच के चित्रों तक में आसानी से देखा जा सकता है। डिस्प्ले पैनल मात्र 2.5 इंच मोटा होता है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ इसकी कुल मोटाई 4 इंच तक होती है।
  • सीआरटी टीवी की तुलना में प्लाज्मा टीवी ज्यादा विद्युत लेता है। प्लाज्मा टीवी तकनीक का लाभ यह है कि इसमें काफी पतली स्क्रीन में भी काफी अच्छे चित्र दिखाई देते हैं तथा उनकी गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है। प्लाज्मा डिस्प्ले की एक प्रमुख कमी यह है कि इसमें विद्युत का ज्यादा उपभोग होता है। अक्सर इस बात के लिये भी इनकी बुराई की जाती है कि ये एलसीडी डिस्प्ले की तुलना में प्रकाश का परावर्तन ज्यादा करते हैं।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.