वैद्युत बल क्षेत्र क्या होता है ।विद्युत बल रेखाएँ । वैद्युत द्विध्रुव। Vidhut Bal Rekha

वैद्युत बल क्षेत्र क्या होता है ,विद्युत बल रेखाएँ

वैद्युत बल क्षेत्र क्या होता है ।विद्युत बल रेखाएँ । वैद्युत द्विध्रुव। Vidhut Bal Rekha


विद्युत क्षेत्र (Electric Field)  वैद्युत बल क्षेत्र क्या होता है  

  • किसी वैद्युत आवेश के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें कोई अन्य आवेश आकर्षण या प्रतिकर्षण बल का अनुभव करता हैवैद्युत क्षेत्र (Electric Field) अथवा वैद्युत बल क्षेत्र (Field of Electric Force) कहलाता है। 
  • यदि विद्युत क्षेत्र में रखा गया आवेश चलने के लिए स्वतंत्र हो तो वह वैद्युत क्षेत्र अर्थात् बल की दिशा में चलने लगेगा। सिद्धान्ततः किसी आवेश से उत्पन्न विद्युत क्षेत्र का प्रभाव क्षेत्र अनन्त होता हैपरन्तु जैसे-जैसे आवेश से दूरी बढ़ती हैविद्युत क्षेत्र की तीव्रता घटती जाती है और इस प्रकार कुछ दूर बाद विद्युत क्षेत्र का प्रभाव नगण्य हो जाता है।

 

विद्युत बल रेखाएँ (Electric Lines of Force)

  • वैद्युत क्षेत्र में किसी स्वतंत्र धन आवेश के मार्ग को 'वैद्युत बल रेखाकहते हैं। इस प्रकार विद्युत बल रेखा वह पथ (Path) है जिस पर स्थित कोई धन आवेश चलने की प्रवृत्ति रखता है अथवा चलता है।

 

वैद्युत बल रेखाओं के गुण (Charac teristics of Electric Lines of Force) 

  • वैद्युत बल रेखाएँ धनावेश (Positive Charge) से चलती हैं व ऋणावेश (Negative Charge) पर समाप्त होती हैं। 
  • बल रेखा के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा (Tangent), उस बिंदु पर धन आवेश पर लगने वाले बल की दिशा प्रदर्शित करता है। 
  • ये रेखाएँ खिंची हुई लचकदार (Flex ible) डोरी की तरह लम्बाई के अनुदिश सिकुड़ने का प्रयत्न करती हैं। यही कारण है कि विपरीत आवेशों में आकर्षण होता है। 
  • ये रेखाएँ अपनी लम्बाई के लम्बवत् दिशा में एक-दूसरे से दूर हटने का प्रयत्न करती हैं। इसी कारण समान आवेशों में प्रतिकर्षण होता है।
  • कोई भी दो बल रेखाएँ एक दूसरे को काट नहीं सकतीं। 

 

वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता (Intensity of Electric Field)

 

  • वैद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर रखे परीक्षण आवेश ( Test Charge) पर लगने वाले बल तथा परीक्षण आवेश के मान के अनुपात को उस बिंदु पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता (E) कहते हैं । 
  • इसका मात्रक न्यूटन/कूलाम है तथा यह एक सदिश राशि है। 
  • अन्य शब्दों में विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी बिंदु पर स्थित इकाई धनावेश पर कार्य करने वाले बल को उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं।
  • ध्यातव्य है कि यदि परीक्षण आवेश ऋण आवेश हो तो विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (E) की दिशा ऋणावेश (-ve charge) पर लगने वाले बल की दिशा के विपरीत होगी।


वैद्युत द्विध्रुव (Electric Dipole) क्या होते हैं 

 

  • वैद्युत द्विध्रुव वह निकाय (System) है जिसमें दो बराबर किन्तु विपरीत प्रकृति के बिंदु आवेश एक-दूसरे से अल्प जनी (H2O), दूरी पर स्थित होते हैं। जैसे अमोनिया (NH3), मीथेन (CH) इत्यादि के अणु (molecule) वैद्युत द्विध्रुव (Electric Dipole) होते हैं। 
  • चूंकि अणु दो या अधिक परमाणुओं (atoms) से मिलकर बनता है। कुछ पदार्थों के परमाणुओं में नाभिक व इलेक्ट्रॉनों की व्यवस्था इस प्रकार होती हैं कि अणु (molecule) के एक सिरे पर धन आवेश तथा दूसरे सिरे पर उतना ही ऋण आवेश उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार के अणु वैधुत ध्रुव होते हैं ।
 

  • परमाणु में धनावेशों (+ve charges) व ऋणावेशों (–ve charges) का केंद्र एक ही होता है। अतः परमाणु विद्युत रूप से उदासीन होता है अर्थात् परमाणु वैद्युत द्विध्रुव नहीं होता। परन्तु यदि परमाणु को किसी वैद्युत क्षेत्र में रख दें तो धन व ऋण केंद्र एक दूसरे के सापेक्ष हट जाते हैं तथा परमाणु वैद्युत द्विध्रुव बन जाता है।

 

 वैद्युत द्विध्रुव का आघूर्ण (Moment of Electric Dipole)

 

  • किसी एक आवेश तथा दोनों आवेशों के बीच की अल्प दूरी के गुणनफल को वैद्युत द्विध्रुव का आघूर्ण (P) कहते हैं। 
  • वैद्युत द्विध्रुव एक सदिश राशि है जिसकी दिशा द्विध्रुव के अक्ष के अनुदिश ऋण आवेश से धन-आवेश की ओर होती है। 

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