जलवायु के प्रकार वर्गीकरण|कोपेन थार्नथ्वेट का जलवायु वर्गीकरण | Types Classification of Climate in Hindi

जलवायु के प्रकार वर्गीकरण|कोपेन थार्नथ्वेट का जलवायु वर्गीकरण 

जलवायु के प्रकार वर्गीकरण|कोपेन थार्नथ्वेट का जलवायु वर्गीकरण Types Classfication of  Climate in Hindi



जलवायु के प्रकार (Types of  Climate in Hindi)

 

जलवायु के वर्गीकरण में प्रादेशिक वर्गीकरण को सुविधा का वर्गीकरण माना जाता है. समय स्थान व आवश्यकता को ध्यान में रखकर जलवायु तत्वों के सम्मिलित योग को चुनकर जलवायु का वर्गीकरण तैयार किया जाता है. 


जलवायु का वर्गीकरण विभिन्न तत्वों के आधार पर किया जा सकता है.

 

तापमान के आधार पर जलवायु का वर्गीकरण

 

भूपटल पर ताप के वितरण के आधार पर पृथ्वी को कई ताप कटिबन्धों में विभाजित किया गया है. इसमें मुख्य रूप से ग्रीन तथा सूपन महोदयों ने अपने वर्गीकरण प्रस्तुत किए यह विभाजन पूर्व-पश्चिम कटिबन्धीय विभाजन तथा समतल विभाजन (Horizontal Unit Zones) कहलाता है,

 

ताप के आधार पर भूपटल को तीन भागों में बाँटा जा सकता है : 

(i) उष्ण कटिबन्ध (Torrid Zone) 

(ii) शीतोष्ण कटिबन्ध (Temperate Zone) 

(iii) शीत कटिबन्ध ( Frizid Zone) 


सूपन ने सम वायुदाब रेखाओं ( Isobars) के आधार पर ताप कटिबन्धों की निम्नलिखित सीमाएँ निर्धारित की हैं : 

(1) उष्ण विषुवत्रेखीय मण्डल (Hot Equatorial Belt) (

2) शीतोष्ण मण्डल (Temperate Belt) 

(3) शीत मण्डल (Cold Cap)

 

वर्षा के आधार पर जलवायु का वर्गीकरण

 

ब्लेयर (Blair) ने वर्षा के आधार पर पृथ्वी को पाँच खण्डों में विभाजित किया है

  1. शुष्क (Arid) 
  2. अर्द्धशुष्क
  3. अल्प आर्द्र
  4. आर्द्र 
  5. अति आर्द्र


  • वर्षा के आधार पर जलवायु का वर्गीकरण करना अनुपयुक्त हैक्योंकि इसमें ध्रुवीय तथा उपध्रुवीय जलवायु को निम्न अक्षांशों की शुष्क और गर्म मरुस्थलीय जलवायु से मिला दिया गया है. इसमें एक ही जलवायु के तत्व को आधार माना गया है.

 

हवाओं के आधार पर जलवायु का वर्गीकरण

 

यह वर्गीकरण प्रसिद्ध अमरीकी भूगोल वेत्ता डब्ल्यू. एम. डेविस (W.M. Davis) द्वारा निर्मित है. इन्होंने निम्नलिखित तीन कटिबन्धों में वर्गीकृत किया है : 

(1) शीत कटिबन्ध (जहाँ ध्रुवीय हवाएँ चलती हैं) 

(2) शीतोष्ण कटिबन्ध (जहाँ पछुआ हवाएँ चलती हैं). 

(3) उष्ण कटिबन्ध (जहाँ व्यापारिक हवाएँ चलती हैं).

 

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण (Koppen's Climatic Classification)

 

कोपेन ने कैण्डोल (Candolle) द्वारा 1874 में प्रस्तावित विश्व के 5 वनस्पति मण्डलों के आधार पर विश्व जलवायु को 5 प्रमुख समूहों में विभक्त किया है जिनका नामकरण क्रमश: A, B, C, D तथा अक्षरों से किया गया है.

 

  • A- उष्ण कटिबन्धीय या भूमध्यरेखीय आर्द जलवायु (Tropical or Equatorial Wet Climate) 
  •  B- शुष्क (Dry Climate) 
  • उष्ण आर्द समताप जलवायु (Humid Mesothermal Climate) 
  • शीत शीतोष्ण जलवायु (Cold Temperate) 
  •  E- ध्रुवीय जलवायु (Polar Climate) 


उपर्युक्त भागों के कुछ उप विभाग किए गए हैंजिन्हें अंग्रेजी के बड़े अक्षरों द्वारा ही दर्शाया गया है-

 

को दो भागों में विभक्त किया गया है: 

  1. BS स्टैपी जलवायु 
  2. BW मरुस्थलीय जलवायु

 

इसके अतिरिक्त इन निम्नलिखित अक्षरों का भी प्रयोग किया गया है :

 

  • f- आर्द्र (Moist) 
  • w- शीत ऋतु शुष्क 
  • S - ग्रीष्म ऋतु शुष्क 
  • m - मानसूनी प्रचुर वर्षा

 

इसके अतिरिक्त कुछ अक्षर एवं सूक्ष्म चिन्ह हैं जो निम्नलिखित में : 

  • W' = शरद् ऋतु में अधिक वर्षा 
  • W© = साल में दो बार अधिकतम तथा दो बार न्यूनतम वर्षा 
  • i = सबसे गर्म व ठण्डे महीने के तापमान में 5°C से क्रम अन्तर 
  • g = सबसे गर्म महीने की संक्रान्ति (Solistics) व ग्रीष्म की वर्षा से पहले 
  • h = औसत वार्षिक ताप 18° से. से ऊपर 
  • k = औसत वार्षिक ताप 18° से. से नीचे 
  • k' = सबसे गर्म महीने का ताप 18°C
  •  n = कुहरे की भरमार
  • a = ग्रीष्मकाल में अत्यधिक गर्मी 22°  से से ऊपर तापमान 
  • b = ग्रीष्म ऋतु शीतलशीतऋतु - 22° से से नीचे तापमान 
  • C=  ग्रीष्म ऋतु शीतल व छोटी-वर्ष के गर्म महीने का ताप-10° से. से ऊपर 
  • d = सबसे ठण्डे महीने का औसत तापमान -38°C से नीचे

 

 A - जलवायु (उष्ण-आर्द्र जलवायु)

 

यहाँ वर्ष के प्रत्येक महीने में औसतन तापमान 18°C से अधिक रहता है. वर्षाताप तथा शुष्कता के आधार पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है :

 

(i) Af जहाँ वर्ष भर वर्षा होवार्षिक तापान्तर बिल्कुल नहीं होता है तथा शुष्कता का अभाव है.

 

(ii) Amइसे मानसूनी जलवायु भी कहते हैं. यहाँ वर्षा अधिक होने से वन अधिक मिलते हैं. यहाँ एक लघु शुष्क ऋतु भी पाई जाती है.

 

(iii) AWइसे उष्ण कटिबन्धीय सवाना जलवायु भी कहते हैं. इस भाग में शीत ऋतु होती है. वर्ष भर तापमान ऊँचा रहता है.

 

 B- जलवायु (शुष्क जलवायु)

 

इसमें वर्षा की अपेक्षा वाष्पीकरण अधिक होता है. अतः यहाँ अतिरिक्त जल की कमी रहती है. तापमान तथा अधिक वर्षा के कारण इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है :

 

(i) BS-स्टैपी प्रदेश 

(ii) BW-मरुस्थलीय प्रदेश 


ये स्टैपी तथा मरुस्थलीय जलवायु को तापमान के आधार पर दो-दो उपविभाग और किए गए हैं :

 

(a) Bhs-उष्ण कटिबन्धीय स्टैपी जलवायु 

(b) Bsk-शीत स्टैपी जलवायु 

(c) Bwh-उष्ण कटिबन्धीय मरुस्थलीय जलवायु 

(d) Bwk-शीत कटिबन्धीय मरुस्थलीय जलवायु

 

C– जलवायु (समशीतोष्ण आर्द्र जलवायु)

 

इसे गर्म शीतोष्ण आर्द्र जलवायु (Warm Temperate Rainy Climate)  भी कहते हैं. सबसे ठण्डे महीने का औसत तापमान 13°C से कम तथा 3°C से अधिक होता है. 


इसके वर्षा के मौसमी वितरण के आधार पर निम्नलिखित तीन भाग किए जा सकते हैं :

 

(i) Cf - वर्ष भर उष्ण शीतोष्ण जलवायु-वर्षा पूरे वर्ष होती है. इसे आर्द्र मेसोथर्मल जलवायु भी कहते हैं। 

 

(ii) Cs - वर्ष भर उष्ण शीतोष्ण जलवायु-ग्रीष्म ऋतु बिल्कुल शुष्क रहती है. यहाँ ग्रीष्म ऋतु में सबसे शुष्क महीने की वर्षा 3 सेमी से कम होती है.

 

(iii) CW वर्ष भर उष्ण शीतोष्ण जलवायु शीतकाल शुष्क रहता है. शीतकाल के शुष्कतम महीने की अपेक्षा ग्रीष्मकाल के सबसे आर्द्र महीने में दस गुनी वर्षा होती है.

 

 D - जलवायु शीतार्द्र जलवायु )

 

इस जलवायु में सर्वाधिक ठण्डे महीने का तापमान 3°C से कम रहता है और उष्णतम महीने का तापमान 10°C से अधिक होता है. इसके दो उपविभाग किए जा सकते हैं :

 

(i) Df – शीत शीतोष्ण आर्द्र क्षेत्र जहाँ शुष्क ऋतु नहीं होती है तथा वर्षा वर्ष भर होती रहती है. 

(ii) Dw-शीत शीतोष्ण क्षेत्र जहाँ शीत ऋतु शुष्क रहती है

 

E- जलवायु ( ध्रुवीय जलवायु)

 

इस भाग में सबसे गर्म महीने का औसत तापमान 10°C से कम रहता है. इस भाग में ग्रीष्म ऋतु नहीं होती है. इसको दो उपविभागों में बाँटा जा सकता है :

 

(iET-टुण्ड्रा जलवायु या ध्रुवीय उप-खण्ड वर्ष भर सबसे उष्णतम महीने का तापमान 10°C से कम तथा 0°C से अधिक रहता है. 

(ii)  EF-सतत् हिमाच्छादित प्रदेश (Ice cape type) सारा धरातल हिमाच्छादित रहता है.

 

थार्नथ्वेट का जलवायु वर्गीकरण (Classification of Thornthwaite) 

थार्नथ्वेट ने जलवायु के वर्गीकरण में तीन तत्वों को प्रमुख माना है : 

(1) वर्षण प्रभावित ( Precipitation Effectiveness) 

(2) तापीय दक्षता (Temperature Efficiency) 

(3) वर्षा का मौसमी वितरण (Seasonal Distribution of Precipitation) 


वर्षण प्रभाविता के आधार पर जलवायु के भेद

 

  1. तर (Wet)- 128" या अधिक वर्षा 
  2. आर्द्र (Humid) - 64" का 127 "
  3. कम आर्द्र Sub-humid)- 32" से 63"
  4. आर्द्र शुष्क (Semi Arid ) - 16" से 31 "
  5.  शुष्क (Arid) - 16" से कम 


  • वर्षण प्रभावितावर्षा की मात्रा तथा वाष्पीकरण का अनुपात होता है. सम्पूर्ण औसत मासिक वर्षा को यदि कुल यान्त्रिक वाष्पीकरण से विभाजित कर दिया जाय तो वर्षण प्रभाविता का अनुपात ज्ञात हो जाता है। 
  • तापीय दक्षता ज्ञात करने के लिए औसत मासिक तापमान को मासिक वाष्पी करण से विभाजित किया जाता है. 

वर्षण प्रभाविता के उपर्युक्त पाँच आर्द्र क्षेत्रों को ऋतु सम्बन्धी पाँच उपभागों में बाँटा गया है : 

1. r- वर्ष भर प्रचुर वर्षा

2. s- ग्रीष्म ऋतु में कम वर्षा 

3. W - शीत ऋतु में कम वर्षा 

4. W'- वसन्त ऋतु में कम वर्षा 

5. d वर्ष भर में कम वर्षा 


तापीय दक्षता के आधार पर भेद जलवायु के भेद

 

A' उष्ण कटिबन्धीय (Tropical)  -128" या इससे अधिक 

B' मध्यम तापीय (Mesothermal)-64" से 127"

C' न्यूनतापीय (Microthermal)-   32" से 63"

D'  टैगा (Taiga) -16" से 31" 

E'  टुण्ड्रा (Tundra) - 1" से 15"

F'  हिमाच्छादित 

इस प्रकार थार्नथ्वेट ने कुल 32 जलवायु प्रदेशों का उल्लेख किया है.

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