विद्युत धारा के प्रभाव -ऊष्मीय प्रभाव। सीबेक पेल्टियर थाम्सन प्रभाव (Thermal Effects of Electric Current in Hindi)

 विद्युत धारा के प्रभाव (Effects of Electric Current) 

विद्युत धारा के प्रभाव -ऊष्मीय प्रभाव। सीबेक पेल्टियर थाम्सन प्रभाव  (Thermal Effects of Electric Current in Hindi)


 

विद्युत धारा के मुख्यतः निम्नलिखित प्रभाव होते है-

 

  • ऊष्मीय प्रभाव ( Thermal Effect) 
  • प्रकाशीय प्रभाव (Light effect) 
  • रासायनिक प्रभाव (Chemical Effect) 
  • चुंबकीय प्रभाव (Magnetic Effect)

 

विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव (Heating Effect of Electricty)

"किसी चालक में विद्युत् धारा के प्रवाह से चालक की तापवृद्धि को विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव (Heating ef fect of current) कहते हैं।'

 

  • तार के भीतर विद्यमान मुक्त इलेक्ट्रानों के गतिशील होने से विद्युत धारा बहती है और इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रान का तार (चालक) के परमाणुओं से टकराने की बारंबारता (Frequency) अल्पाधिक बढ़ जाती है, फलतः इलेक्ट्रान अपनी गतिज ऊर्जा ( Kinetic Energy) का कुछ भाग परमाणुओं को भी दे देते हैं, जिसके फलस्वरूप तार का ताप  बढ़ जाता है। इस प्रकार वैद्युत ऊर्जा का कुछ भाग ऊष्मीय ऊर्जा में बदल जाता है। जिसे विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं।

 

ऊष्मा विद्युत व सीबेक प्रभाव (Thermo electricity and See beck Effect) 

  • किसी तार या चालक को गर्म करने पर उसमें विद्युत धारा का प्रवाह होने लगता है, जिसे ऊष्मा विद्युत (Thermal Electricity) कहते हैं। इस धारा की प्राप्ति हेतु सीबेक नामक वैज्ञानिक ने एक युक्ति बो (Technique) विकसित की जिसे ताप-युग्म ( Ther mocouple) कहते हैं व इस प्रभाव को सीबेक प्रभाव कहते हैं। 
  • इसके लिए सीबेक ने दो भिन्न-भिन्न धातुओं से बने दो चालकों को दो सिरों पर जोड़कर एक संधि (Joint) को ठंडा रखा व दूसरे को गरम किया। इस तापान्तर के कारण चालकों से होकर पर गरम हो धारा प्रवाहित होने लगती है। इसे सीबेक प्रभाव कहते हैं।
  • सीबेक प्रभाव में ऊष्मीय ऊर्जा का रूपान्तरण वैद्युत ऊर्जा में होता है। 
  • जिस विद्युत वाहक बल (e.m.f.) कारण यह ऊष्मा विद्युत प्राप्त होती है, उसे ऊष्मीय विद्युत वाहक बल (Thermal Electro motive force) कहते हैं।

 

पेल्टियर प्रभाव (Peltier Effect)

  • यह सीबेक प्रभाव के विपरीत प्रक्रिया है। जिसकी व्याख्या पेल्टियर नामक वैज्ञानिक ने की थी। इसमें यदि दो अलग-अलग धातुओं के चालकों को जोड़कर उसमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो संधियों पर या तो ऊष्मा का उत्पादन होता है या अवशोषण । अर्थात् एक संधि पर यदि ऊष्मा का उत्पादन होता है तो दूसरे पर अवशोषण । धारा की दिशा उलटने पर गरम हो रही संधि ठंडी व ठंडी हो रही संधि गरम होने लगती है। इसे ही पेल्टियर प्रभाव कहते हैं।

 

थाम्सन प्रभाव (Thomson Effect)

  • जब किसी चालक तार के दोनों सिरों का ताप समान रखकर बीच से उसे गर्म किया जाता है और  साथ ही उसमें विद्युत धारा भी प्रवाहित की जाती है तो तार का आधा भाग ठंडा व आधा भाग गर्म हो जाता है, इसे ही थाम्सन प्रभाव कहते हैं। जिसकी व्याख्या थाम्सन नामक वैज्ञानिक ने की थी। धारा की दिशा उलटने पर गर्म हो रहा भाग ठंडा व ठंडा हो रहा भाग गर्म होने लगता है। धारा प्रवाह की दिशा में प्रथम आधा भाग ठंडा व बाद का आधा भाग गर्म होता है।

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