विद्युत एवं चुम्बकत्व -स्थिर वैद्युतिकी । Electricity and Magnetism in Hindi)

 विद्युत एवं चुम्बकत्व - Electricity and Magnetism in Hindi)

विद्युत एवं चुम्बकत्व -स्थिर वैद्युतिकी । Electricity and Magnetism in Hindi)



स्थिर वैद्युतिकी (Electrostatics)

 

वैद्युत आवेश (Electric Charge) 

  • आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व (600 B.C.) यूनान के थेल्स नामक एक दार्शनिक ने अम्बर (Amber) नामक पदार्थ को ऊन (wool) या बिल्ली की खाल से रगड़ने के बाद देखा कि उसमें (अम्बर में) हल्की वस्तुएँ जैसे कागज के टुकड़ों तथा तिनकों को अपनी ओर आकर्षित (attract) करने का गुण आ गया। 
  • अम्बर व ऊन की तरह ऐसी बहुत सी वस्तुएं हैं जिन्हें एक दूसरे से रगड़ने पर उनके अन्दर ऐसा ही गुण उत्पन्न हो जाता है। जैसे फलालेन, रेशम, काँच, लकड़ी, रबर इत्यादि।
  • इस प्रकार वह कारक (factor) जिसके कारण वस्तुओं को एक दूसरे के संपर्क में लाने या रगड़ने (by rubbing) पर उनमें दूसरी वस्तुओं को अपनी तरफ आकर्षित करने का गुण उत्पन्न हो जाता है, वैद्युत आवेश (electric charge) कहलाता हैं। आवेश उत्पन्न करने की इस प्रक्रिया को आवेशन (Charging) कहते हैं। इस गुण को प्राप्त पदार्थ वैद्युतमय (electrified) या आवेशित (Charged) पदार्थ कहलाते हैं। आवेश के कारण वस्तु में दूसरी वस्तुओं को आकर्षित करने का गुण विद्युत (electricity) कहलाता है। 
  • घर्षण से प्राप्त इस प्रकार की विद्युत को घर्षण विद्युत (Frictional Electricity) कहते हैं। 
  • यदि घर्षण से प्राप्त आवेश (charge) वहीं पर स्थिर रहे तो इसे स्थिर विद्युत (Static electricity) कहते हैं। 
  • इस प्रकार स्थिर विद्युत के गुणों व अनुप्रयोगों का अध्ययन करने वाले विज्ञान को स्थिर वैद्युतिकी (Electrostatics) कहते हैं।

 

आवेशों के प्रकार (Types of Charges)

  • आवेशन (Charging) हेतु जिन दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है उन दोनों पर ही आवेश (charge) उत्पन्न होता है। दोनों पदार्थों पर उत्पन्न आवेश का परिमाण (quantity) समान परन्तु प्रकृति भिन्न होती है। एक वस्तु पर उत्पन्न आवेश आवेश (positive charge) तथा दूसरे को ऋण आवेश (negative charge) कहते हैं।) 
  • ये नाम अमेरिकी वैज्ञानिक फ्रैंकलिन ने 1750 ई. मे दिये। 
  • सजातीय (Same type) आवेश एक-दूसरे को नी प्रतिकर्षित (repel) करते हैं तथा विजातीय ( opposite type) आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।


 विद्युतीकरण का इलेक्ट्रॉन सिद्धान्त (Electron Theory of Charging)

 

  • पदार्थ की संरचना के आधुनिक सिद्धान्त के अनुसार, पदार्थ के सभी परमाणु तीन प्रकार के मूल कणों (Fundamental particles) से मिलकर बनेहैं- (i) इलेक्ट्रॉन (Electron), (ii) प्रोटॉन (Proton) तथा (iii) न्यूट्रॉन (Neutron )

 

  • परमाणु के केन्द्र में स्थित भाग को नाभिक कहते हैं। परमाणु का नाभिक प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों से मिलकर बनता है। 
  • इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं। नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन के गति करने का अर्थ है कि नाभिक तथा इलेक्ट्रॉन के बीच कोई आकर्षण बल कार्य करता है जो इलेक्ट्रॉन को नाभिक की ओर त्वरित करता है। 
  • प्रयोगों द्वारा यह ज्ञात होता है कि यह आकर्षण बल प्रोटॉनों तथा इलेक्ट्रॉनों के बीच होता है। इसी के साथ यह भी ज्ञात होता है कि दो प्रोटॉन अथवा दो इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे को प्रतिकर्षित (repulse) करते हैं। 
  • दो प्रोटॉनों, दो इलेक्ट्रॉनों अथवा प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन के बीच लगने वाले इस (प्रतिकर्षण/आकर्षण) बल को विद्युत्-बल (electrical force) कहते हैं। 
  • मूल कणों के इस गुण को जिसके कारण विद्युत-बल उत्पन्न होता है, विद्युत् आवेश (electric charge) कहा जाता है।
 

विद्युत्-आवेश दो प्रकार का होता है 

(i) (+) (Positive), तथा 
(ii) ऋणात्मक (-) (Negative)

प्रोटॉन का आवेश धनात्मक तथा इलेक्ट्रॉन आवेश ऋणात्मक माना जाता है । 

 

  • सामान्य अवस्था में परमाणु में प्रोटॉनों तथा इलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर होती है, जिससे परमाणु उदासीन (neutral) रहता है। दो उदासीन परमाणुओं के बीच विद्युत-बल 'शून्य' होता है।

 

  • परमाणुओं के संयोग से बने अणु तथा अणुओं के समूहन से बने पदार्थ (ठोस, द्रव तथा गैस) भी सामान्य अवस्था में उदासीन होते हैं, जिससे उनके बीच कोई विद्युत-बल परिलक्षित नहीं होता है।

 

पदार्थों का विद्युत् आवेशन (Electric charging of matter) - 

  • जब किसी वस्तु में उपस्थित प्रोटॉनों तथा इलेक्ट्रॉनों की संख्या में असमानता उत्पन्न हो जाती हैं, तो वस्तु विद्युत आवेशित (electrically charged) हो जाती है। सामान्यतः यह आवेशन, से अथवा वस्तु में कुछ इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण वस्तु के कारण होता है।
  • यदि वस्तु से कुछ इलेक्ट्रॉन बाहर निकल जाते हैं तो वस्तु धनावेशित ( positivety charged) हो जाती है। 
  • इसके विपरीत यदि वस्तु बाहर से कुछ इलेक्ट्रॉन आ जाते हैं तो वस्तु ऋणावेशित (negatively charged) हो जाती है। 
  • प्रोटॉनों तथा इलेक्ट्रानों की भाँति समान आवेशित वस्तुएँ एक दूसरे को प्रतिकर्षित तथा विपरीत आवेशित वस्तुएँ एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं।

 

इलेक्ट्रॉन प्रवाह कब रुक जाता है 

  • यदि दो विपरीत आवेशित वस्तुओं को परस्पर संपर्क में लाया जाय ऋणावेशित वस्तु से इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह धनावेशित वस्तु में तब तक होता रहता है जब तक कि दोनों में प्रोटॉनों एवं इलेक्ट्रॉनों की संख्याएं बराबर न जाय। आवेशों की समानता जाने पर इलेक्ट्रॉन प्रवाह रुक जायगा । इस प्रकार दो वस्तुओं के बीच आवेशों के असंतुलन के कारण होने वाले आवेशों के प्रवाह को विद्युत्-धारा कहते हैं।

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