MP (Madhya Pradesh) Geography One Liner Fact।मध्यप्रदेश का भूगोल महत्वपूर्ण जानकारी (तथ्य )

MP (Madhya Pradesh) Geography on Liner Fact (मध्यप्रदेश का भूगोल महत्वपूर्ण तथ्य)

MP (Madhya Pradesh) Geography on Liner Fact।मध्यप्रदेश का भूगोल महत्वपूर्ण जानकारी (तथ्य )



MP (Madhya Pradesh) Geography on Liner Fact

  • भौगोलिक दृष्टि मध्य प्रदेश, देश का दूसरा बड़ा राज्य है।
  • मध्य प्रदेश देश के कुल भाग के लगभग 9.38 प्रतिशत क्षेत्रफल अर्थात् 307.56 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। 
  • मध्य प्रदेश के सकल भौगोलिक क्षेत्रफल के लगभग 25.21 प्रतिशत क्षेत्रफल पर वन हैं। 
  • मध्य प्रदेश में 11 कृषि जलवायु क्षेत्र और 5 फसल क्षेत्र हैं ।  
  • मध्य प्रदेश की वन संपदा के 3 मुख्य भाग हैं- सागौन वन, साल वन एवं अन्य विविध वन। बांस आच्छादित क्षेत्र भी राज्य में दूर-दूर तक फैला हुआ है।
  • मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण खनिजों में तांबा अयस्क, मैंगनीज अयस्क, चूना पत्थर, कोयला एवं लौह अयस्क सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त एल्यूमीनियम अयस्क भी राज्य में पाया जाता है। 
  • मध्य प्रदेश का लौह अयस्क उच्च श्रेणी का माना जाता है और पन्ना क्षेत्र विश्व स्तर पर हीरा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। 
  • मध्य प्रदेश का धरातल समतल, पहाड़ी एवं विभिन्न ऊंचाइयों की भूमि, घाटियों एवं जल क्षेत्रों से भरा हुआ है और भौगोलिक दृष्टि से इसको गढ़ क्षेत्र, मालवा पठार, सतपुड़ा रेंज, नर्मदा घाटी एवं छत्तीसगढ़ के मैदानों में विभाजित किया गया है। 
  • मध्य प्रदेश में सतपुड़ा, विंध्याचल एवं मैकाल की मुख्य पर्वत श्रेणियां हैं। 
  • मध्य प्रदेश के केंद्रीय भाग से गुजरती हुई नर्मदा नदी राज्य की जीवन रेखा मानी जाती है। अन्य मुख्य बारहमासी नदियों में माही, चम्बल, काली सिंध, बेतवा, सोन, केन, पेंच और ताप्ती नदियां सम्मिलित हैं। 
  • मध्य प्रदेश की वर्तमान भौगोलिक स्थिति 21°6' उत्तरी अक्षांश से 263' उत्तरी अक्षांश तथा 749 ' पूर्वी देशांतर से 82°48' पूर्वी देशांतर के मध्य में है। 
  • मध्य प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 3,08,244 वर्ग कि.मी. है, जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 9.38 प्रतिशत है। 
  • मध्य प्रदेश का  पूर्व से पश्चिम विस्तार 870 कि.मी. तथा उत्तर से दक्षिण 605 कि.मी. है। 
  • मध्य प्रदेश की उत्तरी सीमा चम्बल नदी तथा दक्षिणी सीमा ताप्ती नदी बनाती है।
  • मध्य प्रदेश की पश्चिमी तथा पूर्वी सीमाएं क्रमश: गुजरात एवं मैकाल - कैमूर की श्रेणियों द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
  • कर्क रेखा, नर्मदा नदी के समानान्तर मध्य प्रदेश को दो बराबर भागों में बांटते हुए 14 जिलों से गुजरती है। 
  • मध्य प्रदेश की सीमा देश के पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से मिलती है। 
  • चम्बल की घाटी जलोढ़ निक्षेपण से बनी है, जिसे 'चम्बल उप आर्द्र प्रदेश' भी कहा जाता है। 
  • मध्य भारत का पठार बुंदेलखंड, अरावली पर्वत तथा मालवा के पठार से घिरा है, जो विंध्य शैल समूह का पठार है। 
  • बुंदेलखंड का पठार ग्रेनाइट-नीस से निर्मित है। 
  • मध्य प्रदेश की जलवायु समशीतोष्ण मानसूनी प्रकार की है। 
  • मध्य प्रदेश में सर्वाधिक तापमान ग्वालियर, मुरैना व दतिया क्षेत्रों में तथा न्यूनतम तापमान पचमढ़ी शिवपुरी में पाया जाता है। 
  • नर्मदा नदी की मध्य प्रदेश में लम्बाई 1077 कि.मी. है। 
  • चम्बल नदी की धाराओं से ग्वालियर के निकटवर्ती भागों में अवनालिका अपरदन से बीहड़ों का निर्माण हुआ है।
  • मध्य प्रदेश में ऋतु संबंधी आंकड़ों को एकत्रित करने वाली वेधशाला इंदौर में स्थित है। 
  • उत्तरी मध्य उच्च प्रदेश में सबसे ऊंचा स्थान जानापाव है, जो 854 मीटर ऊंचा है। 
  • बुंदेलखंड पठार की सबसे ऊंची चोटी सिद्ध बाबा चोटी (1172 मीटर) है।
  • रीवा - पन्ना के पठार को विंध्य का पठारी प्रदेश भी कहते हैं, जो विंध्य शैलों से निर्मित है। 
  • मालवा के पठार का निर्माण क्रिटेशियस काल के अंतिम चरण में दक्कन ट्रेप के निक्षेपण से निर्मित निक्षेपित भूमि से हुआ है। 
  • नर्मदा-सोन घाटी एक प्रकार की भ्रंश घाटी है। 
  • सतपुड़ा मैकाल श्रेणी में तीन श्रेणियां राजपीपला, सतपुड़ा और मैकाल हैं । 
  • सतपुड़ा की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ ( 1350 मीटर) की चोटी है। 
  • सतपुड़ा श्रेणी का पूर्वी भाग मैकाल का पठार कहलाता है। 
  • बघेलखंड के पठार में तीन शैल समूह गोंडवाना शैल समूह, विंध्य शैल समूह और आद्यमहाकल्पी शैल समूह मिलते हैं।
  • मध्य प्रदेश की दक्षिणी सीमा ताप्ती नदी तथा उत्तरी सीमा चम्बल नदी बनाती है। 
  • मध्य प्रदेश  की अधिकतम सीमा उत्तर प्रदेश से तथा न्यूनतम सीमा गुजरात से लगती है। 
  • मध्य प्रदेश की पश्चिमी सीमा गुजरात एवं पूर्वी सीमा मैकाल-कैमूर श्रेणियां निर्धारित करती है ।
  • मध्यप्रदेश में क्रिटेशियस कल्प की चट्टानें बाघ सीरीज एवं लमेटा सीरीज के रूप में पाई जाती हैं।
  • मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले एवं रायसेन जिले के सिद्ध घाट से भू-वैज्ञानिक को जुरैसिक काल के डायनासोर के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। 
  • सतपुड़ा पर्वत व ग्वालिगढ़ पहाड़ियां मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र सीमा पर स्थित हैं।
  • सतमाला पहाड़ियां मध्य प्रदेश व गुजरात की सीमा पर हैं। 
  • मैकाल पर्वत श्रेणी मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ की सीमा पर अवस्थित हैं।


पी. चटर्जी के अनुसार मध्य प्रदेश के भौतिक प्रदेश

पी. चटर्जी ने मध्य प्रदेश को धरातल की विविधता के आधार पर निम्न दो वृहत भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया- 

 

MP (Madhya Pradesh) Geography on Liner Fact।मध्यप्रदेश का भूगोल महत्वपूर्ण जानकारी (तथ्य )
मध्य प्रदेश के भौतिक प्रदेश



भौतिक प्रदेश 

1. मध्य उच्च प्रदेश 

  • मालवा पठार
  • मध्य भारत का पठार
  • बुन्देलखंड का पठार
  • विन्ध्यन कगारी प्रदेश

2. प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश 

  • सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां
  • बघेलखंड पठार

 

मध्य उच्च प्रदेश महत्वपूर्ण तथ्य  

मध्य उच्च प्रदेश एक त्रिभुजाकार पठारी प्रदेश है, जो कि दक्षिण में नर्मदा-सोन घाटी, पूर्व में कैमूर के कगार एवं पश्चिम में अरावली श्रेणियों से घिरा है। इन धरातलीय विशेषताओं के आधार पर इस प्रदेश को अग्रलिखित भागों में बांटा गया है । 

 

01 मालवा पठार महत्वपूर्ण जानकारी 

  • मध्य प्रदेश के मध्य पश्चिमी भाग को मालवा पठार के नाम से जाना जाता है। 
  • मालवा पठार का विस्तार गुना, राजगढ़, भोपाल, रायसेन, सागर, विदिशाशाजापुर, आगर-मालवा, देवास, इंदौर, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, झाबुआ एवं धार जिलों में है। 
  • मालवा पठार की भौगोलिक स्थिति 20°17' उत्तरी अक्षांश से 25°8' उत्तरी अक्षांश तथा 74°20' पूर्वी देशान्तर से 7920' पूर्वी देशान्तर के मध्य है। 
  • कर्क रेखा मालवा पठार को दो बराबर भागों में विभाजित करती है। 
  • मालवा पठार पर क्रिटेशियस काल के दरारी ज्वालामुखी उद्भेन के साक्ष्य मिलते हैं।
  • समुद्रतल में मालवा पठार की औसत ऊंचाई 500 मीटर है, परन्तु मालवा पठार की सबसे ऊंची चोटी सिगार 881 मीटर ऊंची है। 
  • मालवा पठार प्रदेश की जलवायु उष्णकटिबन्धीय मानसूनी है तथा इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां क्षिप्रा, बेतवा, सोनार व चम्बल हैं। 
  • मालवा पठार में काली मिट्टी की प्रमुखता के कारण इस क्षेत्र की मुख्य फसल गेहूं एवं कपास हैं।
  • मालवा क्षेत्र के अधिकतर लोग कृषि  एवं पशुपालन करते हैं। 
  • मालवा मध्य प्रदेश का  प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है। । 
  • मालवा पठार के प्रमुख नगर इंदौर, भोपाल, उज्जैन, सागर, - रतलाम, देवास, विदिशा, धार  हैं। 

  • मालवा पठार का क्षेत्रफल - 88222.2 वर्ग कि.मी. (मध्य प्रदेश का 28.62 प्रतिशत) है। 
  • मालवा पठार के अंतर्गत 18 जिलों का पूर्ण/आंशिक भाग आता है-मंदसौरराजगढ़, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, धार, गुना, रतलाम, झाबुआ, देवास, शाजापुर, आगर-मालवा, सीहोर, अशोकनगर, विदिशा, रायसेन, सागर व अलीराजपुर । मालवा क्षेत्र की प्रमुख नदियां काली सिंध, शिप्रा पार्वती, चम्बल, बेतवा हैं । 
  • मालवा क्षेत्र में वर्षा- 125 सेमी. से 75 सेमी. होती है ।  
  • मालवा के प्रमुखउद्योग - नागदा - कृत्रिम रेशा इंदौर, रतलाम, देवास, उज्जैन व भोपाल में सूती कपड़ा। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लि., भोपाल। पीथमपुर- ऑटोमोबाइल उद्योग।
  • जानापाव पहाड़ी (854 मी.) से चम्बल नदी का उद्गम (बान्चू पाइंट) मालवा के पठार की सबसे ऊंची चोटी सिगार चोटी है, इसकी ऊंचाई 881 मीटर है। 


मध्य भारत का पठार महत्वपूर्ण तथ्य 

  • मध्य भारत का पठार मध्य भारत का पठार मालवा के पूर्वोत्तर में स्थित है। 
  • मध्य भारत के पठार की भौगोलिक स्थिति 24° उत्तरी अक्षांश से 26°48' उत्तरी अक्षांश तथा 75°50' पूर्वी देशान्तर से 79°10' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। 
  • मध्य भारत के पठार में दोमट मिट्टी से बढ़ी हुई जलज चट्टानें पाई जाती हैं। 
  • मध्य प्रदेश के भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, श्योपुर, नीमच व मंदसौर जिले मध्य भारत के पठार प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं। 
  • मध्य भारत के पठार क्षेत्र की प्रमुख नदियां चम्बल, काली सिंध, पार्वती आदि हैं। 
  • मध्य भारत का पठार 24° से 26° 48' उत्तरी अक्षांश व 74°50' से 79°10' पूर्वी देशान्तर तक फैला हुआ है।  
  • मध्य भारत का पठार का क्षेत्रफल- 32896 वर्ग कि.मी. (प्रदेश का 10.7 प्रतिशत) 
  • मध्य भारत का पठार के जिले- भिण्ड, मुरैना, श्योपुर ग्वालियर, शिवपुरी, गुनानीमच व मंदसौर हैं । 
  • मध्य भारत का पठार का तापमान अधिकतम 40 से 44° से. न्यूनतम 15 से 18° से. के मध्य होता है ।  
  • मध्य भारत के पठार में वर्षा 75 सें.मी. से कम होती है ।  
  • मध्य भारत के पठार में 20 से 27 प्रतिशत वन (मुख्य वृक्ष शीशम, खैर, बबूल) 
  • मध्य भारत के पठार में जलोढ़ तथा काली मिट्टी पायी जाती है ।  
  • मध्य भारत के प्रमुख उद्योग- कैलारस (सहकारी शक्कर) डबरा (चीनी कारखाना), गुना (चीनी कारखाना) शिवपुरी व बानमौर (खैर उद्योग), बानमौर (सीमेन्ट) व ग्वालियर में कृत्रिम रेशा, बिस्कुट, चीनी मिट्टी बर्तन हैं । 

 

बुन्देलखंड का पठार महत्वपूर्ण तथ्य 

  • बुन्देलखंड का पठार, मध्य उच्च भूमि के उत्तरी भाग को कहते हैं। 
  • बुन्देलखंड का पठार में मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दतिया, शिवपुरी एवं गुना जिलों के कुछ भाग आते हैं । 
  • बुन्देलखंड का पठार बुन्देलखंड नीस नामक प्राचीन चट्टानों के अपक्षय से निर्मित है।
  • बुन्देलखंड पठार की भौगोलिक स्थिति 24°06' उत्तरी अक्षांश से 26°22' उत्तरी अक्षांश तथा 77°51' पूर्वी देशान्तर से 8020' पूर्वी देशान्तर के मध्य में फैली है। 
  • बुन्देलखंड पठार क्षेत्र में काली मिट्टी तथा लाल मिट्टी के मिश्रण से बनी हुई बलुई दोमट मिट्टी पाई जाती है। 
  • बुन्देलखंड के उष्णकटिबन्धीय शुष्क पतझड़ वनों में सागौन, तेन्दू, खैर, नीम, महुआ, बीजा आदि के वृक्ष पाए जाते हैं। 
  • बुन्देलखंड का पठार के प्रमुख नदियां- बेतवा, धसान, केन हैं ।  
  • बुन्देलखंड पठार के अन्तरगत आने वाले जिले दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़ निवाड़ी, शिवपुरी (पिछोर, एवं करेरा तहसीलें), ग्वालियर (डबरा, भाण्डेर), भिण्ड ( लहार तहसील )। 
  •  बुन्देलखंड तापमान अधिकतम 40-41° से. न्यूनतम 9 से 12 से. है ।  
  • बुन्देलखंड की मिट्टी- काली, लाल, बलुई व दोमट है 
  • बुन्देलखंड के दर्शनीय ओरछा- बुन्देला राजाओं के किले, दतिया - सतखंडा महल, खजुराहो में शैव, वैष्णव, जैन मंदिर, चन्देरी किला ( प्रतिहार कीर्तिपाल- 11वीं सदी में निर्मित) जौहर कुण्ड, नौखंडा महल हैं ।  
  • बुन्देलखंड की सबसे ऊंची चोटी सिद्ध बाबा 1172 मीटर है। 

 

विन्ध्यन कगारी प्रदेश महत्वपूर्ण तथ्य 

  • विन्ध्यन कगारी प्रदेश मालवा पठार के उत्तर-पूर्व में फैला हुआ है। इसे रीवा पन्ना का पठार भी कहते हैं। 
  • विन्ध्यन कगारी प्रदेश की भौगोलिक स्थिति 23°10' उत्तरी अक्षांश से 25°12' उत्तरी अक्षांश और 78° 4' पूर्वी देशान्तर से 82° 18' पूर्वी देशान्तर के मध्य विस्तृत है।
  • विन्ध्यन कगारी प्रदेश के पठार की ऊंचाई 300 से 450 मीटर तक है। 
  • विन्ध्यन कगारी प्रदेश में  बलुई, लाल एवं पीली मिट्टी पाई जाती है। 
  • विन्ध्यन कगारी प्रदेश की औसत वर्षा 125 सेमी. के लगभग है। 
  • विन्ध्यन कगारी प्रदेश गेहूं प्रमुख फसल है। इस क्षेत्र में पूर्व की ओर चावल की खेती होती है। 
  • विन्ध्यन कगारी प्रदेश चूना पत्थर एवं हीरा यहां पाए जाने वाले प्रमुख खनिज हैं।
  • विन्ध्यन कगारी प्रदेश क्षेत्र के प्रमुख नगर सतना, रीवा, पन्ना, दमोह आदि हैं। 

विन्ध्यन श्रेणी की जानकारी 

  • विन्ध्याचल श्रेणी पश्चिमी मध्य प्रदेश से लेकर पूर्व में बिहार तक फैली है। 
  • विन्ध्याचल श्रेणी को पश्चिम से पूर्व की ओर क्रमशः विन्ध्याचल, भाण्डेर तथा कैमूर की श्रेणियों के नाम से जाना जाता है।
  • होशंगाबाद के पश्चिम में यह विन्ध्यन युग की चट्टानों से बनी है तथा गनूरगढ़ के पश्चिम में यह श्रेणी लावा चट्टानों से बनी है। 
  • विन्ध्याचल श्रेणी की औसत ऊंचाई 500 मीटर के आसपास है
  • विन्ध्याचल श्रेणी की पश्चिम से पूर्व की ओर ऊंचाई कम होती जाती है। 
  • भाण्डेर, कैमूर की श्रेणियां गंगा और नर्मदा बेसिन की जलद्धिभाजक हैं। 
  • विन्ध्याचल श्रेणी से निकलने वाली नदियां चम्बल, बेतवा तथा केन उत्तर की ओर सम्पूर्ण मध्य उच्च प्रदेश से बहती हुई यमुना में मिल जाती हैं।

 

नर्मदा-सोन घाटी की जानकारी 

  • मध्य प्रदेश के पूर्वी तथा पश्चिमी भाग में नर्मदा तथा सोन नदी की संकरी घाटियों के मध्य का भाग नर्मदा सोन नदी की घाटी कहलाता है। 
  • नर्मदा घाटी 22 30' उत्तरी अक्षांश से 23° 45' उत्तरी अक्षांश तथा 74° पूर्वी देशान्तर से 81°30' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। 
  • नर्मदा सोन नदी की घाटी मध्य प्रदेश का सबसे नीचा भाग है। 
  • नर्मदा सोन नदी की घाटी में  गहरी काली मिट्टी पाई जाती है।
  • महादेव एवं सतपुड़ा श्रेणी पर सदाबहार वन पाए जाते हैं। 
  • नर्मदा सोन नदी की घाटी में गेहूं, कपास, ज्वार, चावल, बाजरा आदि फसलें उगाई जाती हैं। 
  • नर्मदा घाटी में चूने का पत्थर, फायर क्ले, गेरू, संगमरमर, पत्थर, मैंगनीज आदि प्रमुख खनिज पाए जाते हैं। सोन नदी की घाटी में चूने का पत्थर तथा कोयला पाया जाता है।
  • नर्मदा सोन नदी की घाटी के प्रमुख नगर जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, रायसेन, खंडवा तथा खरगौन हैं।

 

2-  मध्य प्रदेश - प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश

 

  • प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी भाग को दक्कन पठार कहते हैं। 
  • प्रायद्वीपीय पठार पर स्थित सतपुड़ा श्रेणी का विस्तार मध्य प्रदेश के दक्षिणी भाग पर है। इसके पूर्व में स्थित पहाड़ी क्षेत्र को बघेलखंड पठार कहते हैं। 
  • दक्कन पठार के इस पहाड़ी पठारी भाग को निम्न दो प्रमुख हिस्सों में बांटा जा सकता है - सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां , बघेलखंड पठार (पूर्वी पठार)। 

 

सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां की जानकारी  

  • सतपुड़ा मैकाल श्रेणियां दक्षिणी मध्य प्रदेश में पश्चिमी सीमा के पूर्व में स्थित हैं। 
  • सतपुड़ा मैकाल श्रेणि का भौगोलिक विस्तार 21° उत्तरी अक्षांश से 23° उत्तरी अक्षांश तथा 74°30 पूर्वी देशान्तर से 81° पूर्वी देशान्तर के मध्य में स्थित है।
  • सतपुड़ा मैकाल क्षेत्र की अधिकतम ऊंचाई 1350 मीटर (धूपगढ़) है। 
  • सतपुड़ा मैकाल क्षेत्र के प्रमुख नगर छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, खंडवा, सिवनी, बैतूल, मंडला, बालाघाट, खरगौन, बड़वानी, झाबुआ इस क्षेत्र के हैं।

 

बघेलखंड पठार ( पूर्वी पठार ) महत्वपूर्ण जानकारी 

  • मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में सोन नदी से पूर्व एक सोन घाटी के दक्षिण का क्षेत्र बघेलखंड का पठार कहलाता है।
  • बघेलखंड पठार का विस्तार 23°40' उत्तरी अक्षांश से 24°35' उत्तरी अक्षांश तथा 80° 05' पूर्वी देशान्तर से 82°35' पूर्वी देशान्तर के मध्य में स्थित है। 
  • बघेलखंड पठार प्रदेश में आद्य महाकल्प तथा जुरैसिक काल के शैल समूह मिलते हैं। 
  • गोंडवाना शैल समूह इस प्रदेश की भौगोलिक विशेषता है। 
  • मध्य प्रदेश के प्रमुख कोयला क्षेत्र इसी प्रदेश में स्थित हैं। 
  • इस क्षेत्र की प्रमुख नदी सोन है। 
  • यहां काली, लाल, पीली और पथरीली मिट्टी पाई जाती है। 
  • चावल यहां की प्रमुख फसल हैसाथ ही अलसी, ज्वार एवं तिल भी उगाए जाते हैं। 


मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्वत की जानकारी 

 

 विन्ध्याचल पर्वत की जानकारी

 

  • विन्ध्याचल पर्वत नर्मदा नदी के उत्तर में पूर्व से पश्चिम की ओर फैला है। 
  • विन्ध्याचल पर्वत का निर्माण हिमालय से पहले का माना जाता है। 
  • विन्ध्याचल पर्वत की औसत ऊंचाई 457 मीटर से 610 मीटर तक पाई जाती है। परन्तु इसकी सबसे ऊंची चोटी 900 मीटर से भी अधिक है। 
  • विन्ध्याचल पर्वत का निर्माण क्वार्ट्ज एवं बालू पत्थरों से हुआ है। 
  • विन्ध्याचल पर्वत से निकलने वाली नदियों में नर्मदा, सोन, बेतवा एवं केन प्रमुख हैं।

 

सतपुड़ा पर्वत की जानकारी 

 

  • सतपुड़ा पर्वत पर्वत का निर्माण ग्रेनाइट एवं बैसाल्ट की चट्टानों से हुआ है। 
  • सतपुड़ा पर्वत का विस्तार नर्मदा नदी के दक्षिण में विन्ध्याचल के समानान्तर 1120 कि.मी. की लम्बाई में है। पूर्व में यह राजपीपला की पहाड़ियों से शुरू होकर पश्चिम में पश्चिमी घाट तक फैला है। 
  • सतपुड़ा पर्वत पर्वत 700 मीटर से 1350 मीटर तक ऊंचा है।
  • सतपुड़ा पर्वत की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ ( 1350 मीटर) है, जो पचमढ़ी के पास महादेव पर्वत पर स्थित है।

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