आंगिक संप्रेषण: अर्थ और स्वरूप श्रेणियाँ कठिनाइयाँ।Non-verbal Communication

 आंगिक संप्रेषण (Non-verbal Communication): अर्थ और स्वरूप

आंगिक संप्रेषण: अर्थ और स्वरूप श्रेणियाँ कठिनाइयाँ।Non-verbal Communication


 

आंगिक संप्रेषण से तात्पर्य

  • आंगिक संप्रेषण से तात्पर्य है शब्द रहित संदेश का प्रेषण शब्द रहित संदेश भेजने और प्राप्त करने की प्रक्रिया से यह सिद्ध होता है कि शाब्दिक भाषा ही संप्रेषण का एकमात्र साधन नहीं है। संप्रेषण के अन्य साधन भी हैं।

 

  • आंगिक संप्रेषण को शारीरिक चेष्टाओं-हाव-भावस्पर्श (हैपटिक संप्रेषण)शारीरिक भाषा (Body Language), भावभंगिमाचेहरे की अभिव्यक्ति या आँखों के संपर्क से भी अभिव्यक्त  किया जा सकता है। आवाज या वाणी के अंतर्गत समांतर भाषा नामक अवाचिक तत्व समाविष्ट होते हैं। इनमें आवाज की गुणवत्ताभावनाबोलने के तरीके आदि के साथ ही ताललयआलापआरोह-अवरोह एवं तनाव जैसे छंदशास्त्र संबंधी लक्षण भी शामिल हैं। 
  • नृत्य भी अशाब्दिक या आंगिक संप्रेषण की ही एक शैली है। यद्यपि हम सर्वत्र नृत्य का उपयोग नहीं कर सकतेकिंतु साहित्य संस्कृति के अंतर्गत नृत्य एक सशक्त आंगिक संप्रेषण है। इसी तरह लिखित पाठ में भी अशाब्दिक तत्व होते हैंजैसे हस्तलेखन - तरीकाशब्दों की स्थान संबंधी व्यवस्था या इमोटिकॉन (Emoticon) का प्रयोग । आंगिक संप्रेषण के लिए 'अवाचिक संप्रेषण', 'वाचेतर संप्रेषण', 'अशाब्दिक संप्रेषणया 'शब्दतेर  संप्रेषण आदि शब्द प्रयुक्त किए जाते हैं। 

 

  • आंगिक संप्रेषण या अशाब्दिक संप्रेषण अधिकतर अनियंत्रित संकेतों पर आधारित होता है। अलग-अलग संस्कृतियों के अनुसार यह पृथक-पृथक हो सकता है। कुछ हद तक यह अधिकतर मूर्ति सदृश (आइकॉनिक) है। इसे वैश्विक रूप से समझा जा सकता है। चेहरे की अभिव्यक्ति के संबंध में पॉल एकमैन (1960 के दशक में) ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन प्रस्तुत किया है कि गुस्साघृणाभयप्रसन्नताउदासी एवं आश्चर्य आदि भावनाओं की अभिव्यक्ति सार्वभौमिक होती है और यह अभिव्यक्ति आंगिक संप्रेषण से स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त भी हो सकती है।

 

  • आंगिक संप्रेषण का व्यावहारिक अध्ययन अधिकतर आमने-सामने की अंतःक्रिया (बातचीत) पर ध्यान केंद्रित करता है। मूक-बधिर स्कूलों में भी बच्चों को आंगिक संप्रेषण से ही संप्रेषण कराया जाता है। 


आंगिक संप्रेषण को तीन प्रमुख वर्गों में विभाजित किया गया है -

 

  • वातावरण परक स्थितियाँ जहाँ संप्रेषण घटित होता है। 
  • संप्रेषण का शारीरिक चरित्र चित्रण एवं अंतःक्रिया (बातचीत )
  • प्रेषक एवं प्रेषिती का व्यवहार

 

  • संप्रेषण में भौतिक जगह के अध्ययन को प्रॉक्सीमिक्सकहते हैं। यह वह अध्ययन है जिसमें यह पता लगाते हैं कि व्यक्ति अपने आसपास मौजूद भौतिक जगह को किस प्रकार ग्रहण एवं प्रयोग करता है। किसी संदेश के प्रेषक एवं प्राप्तकर्ता के मध्य का स्थान संदेश की विवेचना को प्रभावित करता है। अलग-अलग संस्कृतियों एवं उनके विभिन्न ढाँचों में जगह को ग्रहण एवं प्रयोग करना भिन्न-भिन्न है।

 

आंगिक संप्रेषण की मुख्य श्रेणियाँ

 

आंगिक संप्रेषण या अशाब्दिक को मुख्यतः चार श्रेणियों में विभक्त कर सकते हैं -

 

i) अंतरंग 

ii) सामाजिक 

iii) व्यक्तिगत 

iv) सार्वजनिक जगह 


हर्जी एंड डिकसन (2004) ऐसे चार क्षेत्र चिह्नित करते हैंजहाँ मनुष्य का संप्रेषणात्मक व्यवहार आंगिक या अशाब्दिक होता है- 

 

1. एक घर जहाँ उसके स्वामी की अनुमति के बिना कोई प्रवेश नहीं कर सकता। 

2. कोई व्यक्ति रेलगाड़ी की एक ही सीट पर बैठता हैयदि कोई और बैठ जाए तो व्यथित होता है।

3. जब कोई व्यक्ति पार्किंग के लिए जगह की प्रतीक्षा में हो तो व्यक्ति पार्किंग की जगह छोड़ने में अधिक वक्त लेते हैं। 

4. जब कोई समूह फुटपाथ पर बातचीत में मशगूल हो तो अन्य व्यक्ति उन्हें टोकने के बजाय बगल से निकल जाएँगे। 

 

  • आंगिक संप्रेषण में समय के प्रयोग का भी अध्ययन किया गया हैइसे क्रॉनेमिक्स कहते हैं। समय को लेकर अनुभव एवं प्रतिक्रिया एक सशक्त संप्रेषण है। समय की अनुभूति मेंसमयबद्धता इंतजारबोलने वाले की वाणी की गति और श्रोता कब तक सुनना चाहता हैआदि बातें अशाब्दिक या आंगिक संप्रेषण की विवेचना में योगदान करते हैं। समय की इस अनुभूति की जड़ें एवं समझ औद्योगिक क्रांति में निहित है। 
  • अमेरिकी लोगों के लिए समय एक बहुमूल्य स्रोत है जिसे वे व्यर्थ नहीं गँवाते और न ही हलके में लेते हैं। समयबद्ध संस्कृतियों वाले देश 'मोनोक्रोनिककहलाते हैं, जैसे- अमेरिकाजर्मनीनरलैंड। इसके विपरीत 'पॉलीक्रानिकसमय ली समय को लेकर अधिक तरलता होती है। लैटिन अमेरिकाएवं अरब संस्कृतियाँ समय की पॉलीक्रानिक प्रणाली का प्रयोग करती हैं। इसमें कार्य की अपेक्षा संबंधों और परंपराओं को अधिक महत्व दिया जाता है। यदि ये अपने परिवार या मित्रों के साथ हैं तो समय की विशेष सीमा या समस्या नहीं होती। पॉलीक्रानिक संस्कृतियों में सउदी अरबमिस्रमैक्सिकोफिलीपींसभारत एवं कई अफ्रीकी देश आते हैं।

 

  • शारीरिक स्थिति एवं संचलन विषयक काइनेसिक्स का अध्ययन सर्वप्रथम 1952 में मानव विकास विज्ञानी रेबर्ड विहिस्टैल ने किया था। उनके अध्ययन से आंगिक संप्रेषण पर काफी प्रकाश पड़ता हैजैसे शारीरिक मुद्राभाव-भंगिमास्पर्शशारीरिक संचलन के तरीके।

 

आंगिक संप्रेषण के विभिन्न कार्यों को भी ध्यान में रखना पड़ता है

जैसे

  • भावनाओं को व्यक्त करना । 
  • पारस्परिक रुख को व्यक्त करना । 
  • वक्ता एवं श्रोता के मध्य अंतःक्रियाओं के संकेतों का प्रबंध करने में वाणी का साथ देना 
  • किसी के व्यक्तित्व का स्व-प्रदर्शन 
  • अनुष्ठान (अभिवादन)हैलोहायबाय-बाय तथा नमस्कार आदि ।

 

आंगिक संप्रेषण की कठिनाइयाँ

 

आंगिक संप्रेषण में कई कठिनाइयाँ भी होती हैं। जो इस प्रकार हैं 

  • प्रेषक एवं प्रेषिती की क्षमता में भिन्नता होना । प्रायः महिलाएँ आंगिक संप्रेषण में पुरुषों की अपेक्षा अधिक बेहतर होती हैं। 
  • आंगिक संप्रेषण की योग्यताओं का परिमाप तथा सहानुभूति अनुभव करने की क्षमता शाब्दिक से अधिक सूक्ष्म और गहरी होने के कारण दोनों की योग्यताएँ एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं ऐसे लोग जिन्हें आंगिक संप्रेषण में तुलनात्मक रूप से अधिक समस्या हैउनको में ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता हैविशेषकर पारस्परिक संबंधों में । 
  • यद्यपि ऐसे संसाधन भी हैं जो विशेष रूप से इन्हीं लोगों के लिए हैं तथा उन्हें अन्य लोगों की तरह आसानी से सूचनाओं को समझने में सहायता दी जाती है। इन चुनौतियों का सामना करने वाले वर्ग को 'एस्पर्गर सिन्ड्रोमसहित 'आस्टिस्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डरसे ग्रसित भी कहा जा सकता है।

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