शिक्षण सहायक सामग्रियों के प्रकार।हिन्दी शिक्षक एवं सहायक शिक्षण सामग्री। Hindi Teacher and Teaching Aids

 हिन्दी शिक्षक एवं सहायक शिक्षण सामग्री 
शिक्षण सहायक सामग्रियों के प्रकार
Hindi Teacher and Teaching Aids
शिक्षण सहायक सामग्रियों के प्रकार। हिन्दी शिक्षक एवं सहायक शिक्षण सामग्री। Hindi Teacher and Teaching Aids


 

 हिन्दी शिक्षक एवं सहायक शिक्षण सामग्री

  • हिन्दी शिक्षक अनुदेशनात्मक सामग्री की सहायता से हिन्दी साहित्य एवं भाषा का ठोस ज्ञान छात्रों को दे सकता है। भाषाभावों एवं विचारों को व्यक्त करती है। लेकिन अनुदेशनात्मक सामग्री इन भावों एवं विचारों के सूक्ष्म स्वरूप को ठोस बनाती है। सरससरल व रुचिकर बनाती है।


अतः अनुदेशनात्मक सामग्री को प्रयुक्त करते वक्त शिक्षक को अग्रांकित बातें ध्यान में रखनी चाहिए-

 

  • शिक्षक को ठोस जानकारी होतभी इन साधनों का प्रयोग करें।
  • शिक्षक मनोविज्ञान का ज्ञाता हो । 
  • अध्यापक छात्रों के अधिगम को प्रभावशाली बनाने के लिए एक समय में कई साधनों का प्रयोग नहीं करे। 
  • उपकरणों के चयन में शिक्षक पर्याप्त सावधानी बरतें। 
  • शिक्षक को यह महत्त्वपूर्ण तथ्य ध्यान में रखना होगा कि उपकरण साधन हैसाध्य नहीं।

 

शिक्षण सहायक सामग्री के प्रयोग में सावधानी Cautions in Uses of Teaching Aids 

 

उपयुक्त स्थान अनुदेशनात्मक सामग्री का प्रयोग वातावरण एवं परिस्थिति के अनुसार सही स्थान पर होना चाहिए ।


उचित तैयारी सहायक सामग्री के प्रयोग में अति शीघ्रता नहीं करनी चाहिए क्योंकि शीघ्रता में उद्देश्यपूर्ण नहीं होता। सामग्री का प्रयोग पूर्ण तैयारी के आधार पर सटीक होना चाहिए।

 

उचित प्रयोग अनुदेशनात्मक सामग्री का प्रयोग उचित ढंग से होना चाहिए। यूनेस्को के प्रकाशन 'टीचिंग ऑफ मॉर्डन लैंग्वेज' में लिखा है कि शिक्षक के लिए किसी सहायक साधन को गलत और बुरी तरह प्रयोग करने से अच्छा उसे प्रयोग नहीं करना है।

 

उचित सुरक्षा प्रायः दृश्य-श्रव्य उपकरण मूल्यवान होते हैंअतः उनकी उचित सुरक्षा आवश्यक है।

 

शिक्षण सहायक सामग्रियों के प्रकार Types of Teaching Aids

 

दृश्य साधन 

  • दृश्य का अर्थ हैदेखने योग्य। इसका अभिप्राय यह हुआ कि ये वे उपकरण हैंजिन्हें छात्र देख सकते हैं। इसका सम्बन्ध नेत्रों से है। श्यामपट्टचित्रमानचित्रमूकचित्रचित्र विस्तारक यन्त्र आदि।

 

श्रव्य साधन 

  • इनका सम्बन्ध श्रवणेन्द्रिय (कानों) से होता है। इन्हें श्रवण कर छात्र ज्ञान प्राप्त करते हैं। मुख्य उपकरण यह है रेडियोग्रामोफोनटेलीफोनटेप- रिकॉर्ड आदि ।

 

दृश्य-श्रव्य साधन

  •  इन उपकरणों का सम्बन्ध छात्रों की आँखों एवं कानों दोनों से है। इसमें दृश्येन्द्रिय एवं श्रवणेन्द्रिय दोनों का एकसाथ प्रयोग करके छात्र ज्ञान प्राप्त करते हैं। उदाहरणस्वरूप टेलीविजनचल चित्रनाटक इत्यादि ।

 

प्रमुख श्रव्य सामग्री Main Audio Aids

 

रेडियो 

  • यह शिक्षा का महत्त्वपूर्ण उपकरण है वर्तमान में नवीन यन्त्रों के रहते इसके प्रयोग में कमी अवश्य आई है किन्तुग्रामीण अँचलों में आज भी यह प्रभावशाली है। इसके माध्यम से उच्च कोटि के शिक्षा शास्त्रीभाषाविदों के उद्गारराष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय चर्चानाटकोंकहानियों का प्रसारण आदि से भाषा शिक्षण में काफी मदद मिलती है।

 

ग्रामोफोन तथा लिंग्वाफोन

  • रेडियो की ही भाँति यह शिक्षण का प्राचीन माध्यम है वर्तमान में इसका प्रयोग कम ही देखने को मिलता है। इसके माध्यम से छात्रों के अशुद्ध उच्चारणों को शुद्ध करने में काफी मदद मिलती है।

 

टेप-रिकॉर्डर 

  • टेप-रिकॉर्डर ध्वनियों के ज्ञान हेतु विशेष भूमिका निभाता है जिसमें छात्र अपनी ही आवाज को रिकॉर्ड कर बार-बार सुन सकते हैं ताकि शब्दों के सही उच्चारणबोलने की गतिआरोह-अवरोहविराम चिह्नों का प्रयोगअपने वक्तव्य तथा उच्चारण सम्बन्धी त्रुटियों को भली-भाँति समझकर उसमें सुधार कर सकते हैं।

 

प्रमुख दृश्य सामग्री Main Visual Aids

 

श्यामपट्ट 

  • श्यामपट्ट के बगैर हिन्दी शिक्षण की कल्पना नहीं की जा सकती है। हिन्दी शिक्षण में शब्दों के उच्चारणस्पष्टीकरणविषय को रुचिकर बनानेकठिन अंशों को सरल करनेलिखावट में सुधार लानेव्याकरण शिक्षण में परिभाषा लिखने उदाहरण बताने अभ्यासार्थ प्रश्न देने में श्यामपटूट की आवश्यकता होती है।

 

सूचनापट्ट 

  • बुलेटिन बोर्ड या सूचनापट्ट के द्वारा छात्रों को राजनीतिक, • सामाजिकआर्थिकसाहित्यिक व समसामयिक आदि पक्षों की जानकारी से सम्बन्धित सूचना दी जाती है। साथ ही यह बात भी ध्यान रखने योग्य है कि सूचनापट्ट की सूचनाएँ छात्रों की रुचि प्रवृत्ति व योग्यता के अनुरूप होनी चाहिए।

 

वास्तविक पदार्थ 

  • ये सामग्री बालक की इन्द्रियों को प्रेरणा देती है जिन्हें छूकर उनका निरीक्षण व परीक्षण कर छात्र अपनी सोच व कल्पनाशक्ति को सुदृढ़ बना सकते हैंजैसे-तितलीफूलपतंग ।

 

नमूने (मॉडल) 

  • ये वास्तविक वस्तु का ही छोटा रूप होता है ऐसी सामग्री जो आकार में बड़ी है अथवा जिसको कक्ष में लाना या दिखाना सम्भव नहीं ऐसी वस्तुओं के नमूने को शिक्षण सामग्री के रूप में प्रयुक्त किया जाता हैजैसे- हाथीजहाजकहानी में शेर आदि ।

 

चित्र वास्तविक

  • वस्तुएँ उपलब्ध न होने परनमूने प्राप्त न होने पर इन सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। शिक्षक चाहे तो श्यामपट्ट पर स्वयं चित्र बनाकर अथवा तैयार चित्रों का प्रयोग कर अपना शिक्षण कार्य कर सकता हैजैसे महापुरुषों के चित्रपेड़बादल आदि ।

 

मानचित्र व रेखाचित्र

  • प्रायः ऐतिहासिक घटनाओं व भौगोलिक स्थान के अध्ययन के लिए प्रयुक्त होते हैं। जैसे-नक्शे के माध्यम से दर्शाना कौन-सा देशकौन-सी भाषा-भाषी है किस प्रदेश में कौन-सी भाषा बोली जाती हैकिस भाषा को बोलने वाले लोगों का प्रतिशत कितना हैआदि

 

चार्ट 

  • शिक्षण की सफलता में चार्ट का महत्त्वपूर्ण स्थान है। भाषा के वर्णमात्रावाक्यविभिन्न शब्दोंमानव अंगोंध्वनि अवयवों के चित्रों को चार्ट के माध्यम से समझाया जा सकता है। इसी तरह के कई चार्ट हम नर्सरी कक्षाओं में लगे देखते हैं।

 

फ्लेनेल बोर्ड 

  • यह बच्चों की कल्पनाशक्ति व सृजन क्षमता को विकसित करने का अच्छा माध्यम है। उन्हें कुछ विषय दिए जा सकते हैं जिनके बारे में कोई जानकारी या चित्र एकत्र करने को कहा जाए जैसे चाचा नेहरू के बारे में 10 वाक्य एक सुन्दर चित्र के साथ लिखकर फ्लेनेल बोर्ड पर चस्पा करेंसाँची पर चित्र सहित लेखबाल केन्द्रित कविता आदि। अच्छे प्रदर्शन के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना न भूलें।

 

संग्रहालय 

  • जहाँ महत्त्वपूर्ण व दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह होता है विद्यार्थियों को समय-समय पर ऐसे संग्रहालयों में ले जाना चाहिए वहाँ महान सन्तोंकवियोंसाहित्यकारोंप्राचीन ग्रन्थोंसमाचार पत्र-पत्रिकाओंडाक टिकटोंअस्त्र-शस्त्रों के संग्रह के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जा सकती है।

 

प्रक्षेपण 

  • प्रक्षेपण के माध्यम से स्लाइड के द्वारा चित्र प्रभावशाली ढंग से छात्रों से दिखाए जा सकते हैं। फिल्म स्ट्रिप प्रोजेक्टर पर चित्रों को बड़ा करके परदे पर दिखाने से छात्र आकृष्ट होते हैं।

 

चित्र विस्तारक यन्त्र

  • आधुनिक शिक्षा प्रणाली में चित्र विस्तारक यन्त्रों का विशेष महत्त्व हैऐसे चित्र जिन्हें आँखों की मदद से नहीं देखा जा सकता उन्हें चित्र विस्तारक यन्त्रों (प्रोजेक्टर) के माध्यम से दिखाया जाता है जिसमें एक अन्धेरे कमरे में बड़े से पर्दे पर स्लाइड के माध्यम से दिखाया जाता है। वैसे एक महँगी शिक्षण सामग्री होने से इसका प्रयोग प्रायः कम ही होता है।

 

मूक चित्र

  • मूक चित्रों का अध्ययन में अपना विशेष स्थान होता है क्योंकि इसमें भावाभिव्यक्ति सशक्त होती है। यह एक प्रकार से मौन भाषा का ही रूप है जिसमें मुँह के अलावा शरीर का प्रत्येक अंग भाव व्यक्त करते हैं और यह बच्चों में बेहद लोकप्रिय भी है।

 

संवाद सामग्री Dialogue Aids

 

  • यह नई तकनीकी की देन है यह संवाद सामग्री जो निःसन्देह दृश्य-श्रव्य सामग्री के साथ छात्रों से परस्पर संवाद भी करती है उन्हें सही-गलत का एहसास कराती है। यद्यपि यह सुविधा भारत जैसे देश में समस्त छात्रों को उपलब्ध नहीं है। 

 

  • जैसे-इन्टरेक्टिव ब्लैक बोर्डइन्टरनेटवीडियो कॉलिंग। किन्तु फिर भी कम्प्यूटर में वे इन्टरनेट की मदद से भाषाओं का अनुवादअक्षरों का ज्ञान व उन्हें सही  लिखना। ई-मेल के माध्यम से पत्र लेखनसमाचारों का आदान-प्रदानचैटिंग रूप में आदि।

 

  • आज बाजारवाद के युग में जहाँ शिक्षा के क्षेत्र में कई नवीनीकरण हुए हैं तो वहीं  शिक्षा बाजारवाद के प्रभाव से मुक्त नहीं रह पाई है इसमें कोई सन्दह नहीं कि उपरोक्त समस्त सहायक सामग्री से शिक्षण में कई प्रभावकारी बदलाव व सकारात्मक परिणाम होने की सम्भावना है और बदलाव हुए भी है।
  • किन्तु  विकसित राष्ट्रों की तुलना में भारत जैसे विकासशील राष्ट्रों में आज भी कई ऐसे शिक्षण संस्थान हैं जहाँ यह सामग्रियाँ प्रयुक्त नहीं हो पाई हैं।  कहीं प्रशिक्षण के अभाव में तो कहीं अर्थाभाव के कारण छात्र इन सुविधाओं से वंचित हैं।

 

प्रमुख दृश्य-श्रव्य सामग्री Main Visual-Audio Aids

चलचित्र अथवा सिनेमा 

  • वर्तमान समय में शिक्षण का सबसे सस्ता और सर्वसुलभ साधन हैजिसके माध्यम से कई अनुसन्धानात्मक जानकारी छात्रों तक पहुँचाई जाती है।

 

समाचार सम्बन्धी फिल्म

  • देश की सामाजिकआर्थिकराजनीतिक,  सामाजिक घटनाओं से छात्रों को अवगत कराया जा सकता है। यू.जी.सी. के कार्यक्रम आदि की जानकारी व समस्याओं की ओर सहजता से ध्यान आकर्षित कराया जा सकता है।

 

टेलीविजन

  • 20वीं शताब्दी में वैज्ञानिक और सबसे लोकप्रिय साधनों में टेलीविजन का अपना महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें शिक्षक चाहे तो स्वयं अपनी पाठ योजना तैयार कर टेप कर सकता है। योग्य शिक्षकों को पढ़ाने की शैली आदि को अपने अध्यापन के लिए प्रयोग कर सकता है। इसके लिए अतिरिक्त बाल सभाक्वीजजैसे कई कार्यक्रमों का प्रसारण टेलीविजन में किया जाता है।


नाटक

  • नाटक दृश्य एवं श्रव्य दोनों प्रकार की विधा है। नाटक के रंगमंच पर अभिनीत कर पाठकोंदर्शकों व अनपढ़ या जनसाधारण के लिए भी ग्राह्य एवं सम्प्रेषणीय बनाया जा सकता है। छात्रों को नाटक देखने के पश्चात् हाव-भावउतार-चढ़ावभाषा में संवाद अदायगीशुद्ध उच्चारण की शिक्षा प्राप्त होगी।

 

अन्य शिक्षक सहायक सामग्री Others Teaching Aids

 

  • भ्रमण इसे सरस्वती यात्रा भी कहते हैं। ये पुस्तक के बाहर की दुनिया का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती है जहाँ छात्र वस्तुओं को प्रत्यक्ष देख समझकर उसका ज्ञान अर्जन करते हैं उसके सम्बन्ध में स्वतन्त्र विचार प्रस्तुत करने की स्थिति में होते हैं जैसे-पाठ्य-पुस्तक में निर्धारित पर्यावरणडाकघरबैंकमेला जैसे पाठों के अध्ययन के लिए यह सामग्री बेहद आवश्यक है।

 

  • फ्लैश कार्ड यह सामग्री प्रायः छोटी कक्षाओं के लिए ज्यादा उपयुक्त है जिसमें कार्ड के माध्यम से शब्द चित्र को जोडनामात्राएँ आदि के लिए कार्ड तैयार करना।

 

  • भाषा खेल भाषा शिक्षक के लिए बेहद आवश्यक है कि वह कक्षा के वातावरण को रोचक व उत्साहवर्धक बनाए रखे इस हेतु समय-समय पर खेल गतिविधियाँ कराई जानी चाहिए। जैसे छात्रों को दो भागों में विभाजित कर उनसे दोहोंकविताओं को लेकर अन्ताक्षरीवाद-विवादभाषणकविता पाठपहेलीनाटक आदि बुलवाई जाती हैं।

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