हिंदी शब्द का अर्थ और प्रयोग। हिंदी शब्द की उत्पत्ति इतिहास। Hindi Shabd Origin meaning

हिंदी शब्द का अर्थ और प्रयोग, हिंदी शब्द की उत्पत्ति इतिहास

हिंदी शब्द का अर्थ और प्रयोग। हिंदी शब्द की उत्पत्ति इतिहास। Hindi Shabd Origin meaning



 हिंदी शब्द की उत्पत्ति इतिहास संबंध 

  • 'हिंदी' शब्द का संबंध प्राय: संस्कृत शब्द 'सिन्धु' से माना जाता है। प्रस्तुत पंक्तियों का लेखक मूलतः 'सिंधु' शब्द को संस्कृत का न मानकर द्रविड़ या और किसी पूर्ववर्ती भाषा को मानता है जहाँ से यह संस्कृत में आया है।
  • 'सिंधु' 'सिंध' नदी को कहते थे और उसी आधार पर उसके आसपास की भूमि को 'सिंधु' कहने लगे। यह 'सिंधु' शब्द ईरानी में जाकर 'हिंदु' और फिर 'हिंद' हो गया और इसका अर्थ था 'सिंध प्रदेश'। 
  • बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द अर्थ में विस्तार होता गया तथा यह 'हिंद' शब्द धीरे-धीरे पूरे भारत का वाचक हो गया। इसी में ईरानी का ईक प्रत्यय लगने से हिंदीक' बना जिसका अर्थ है 'हिंद का'। 
  • यूनानी 'इंदिका' या अंग्रेजी 'इंडिया' आदि इस 'हिन्दीक' के ही विकसित रूप हैं। 'हिंदी' भी 'हिन्दीक' का ही परिवर्तित रूप है और इसका अर्थ है 'हिंद का '
  • इस प्रकार यह विशेषण है, किंतु भाषा के अर्थ में संज्ञा हो गया है। हिंदी भाषा के लिए इस शब्द का प्राचीनतम प्रयोग शरफुद्दीन यज्दी के 'जफरनामा' (1424 ई.) में मिलता है।

 

हिन्दी शब्द की व्युत्पत्ति

 

  • 'हिन्दी' शब्द की व्युत्पत्ति भारत के उत्तर-पश्चिम में प्रवाहमान सिंधु नदी से संबंधित है। विदित है कि अधिकांश विदेशी यात्री और आक्रान्ता उत्तर-पश्चिम सिंहद्वार से ही भारत आए। भारत में आनेवाले इन विदेशियों ने जिस देश के दर्शन किए वह 'सिंधु' का देश था। ईरान (फारस) के साथ भारत के बहुत प्राचीन काल से ही संबंध थे और ईरानी 'सिंधु' को 'हिन्दु' कहते थे / सिंधु - हिन्दु, स का ह में तथा ध का द में परिवर्तन-पहलवी भाषा प्रवृति के अनुसार ध्वनि परिवर्तन]। 'हिन्दु' से 'हिन्द' बना और फिर 'हिन्द' में फारसी भाषा के संबंध कारक प्रत्यय '' लगने से 'हिन्दी' बन गया। 'हिन्दी' का अर्थ है— 'हिन्द का । इस प्रकार हिन्दी शब्द की उत्पत्ति हिन्द देश के निवासियों के अर्थ में हुई। आगे चलकर यह शब्द हिन्द की भाषा' के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा ।

 

उपर्युक्त बातों से तीन बातें सामने आती हैं


 (i) 'हिन्दी' शब्द का विकास कई चरणों में हुआ 

  • सिंधु हिन्दु हिन्द + ई हिन्दी। 

 हिन्दीशब्द किस भाषा का है ?

  • (ii) 'हिन्दी' शब्द मूलतः फारसी का है न कि हिन्दी भाषा का । यह ऐसे ही है जैसे बच्चा हमारे घर जनमे और उसका नामकरण हमारा पड़ोसी करे। हालांकि कुछ कट्टर हिन्दी प्रेमी 'हिन्दी' शब्द की व्युत्पत्ति हिन्दी भाषा में ही दिखाने की कोशिश की है, जैसे- हिन (हनन करनेवाला) + दु (दुष्ट) = हिन्दु अर्थात् दुष्टों का हनन करनेवाला हिन्दु और उन लोगों की भाषा हिन्दी; हीन (हीनों) + दु (दलन) = हिन्दु अर्थात् हीनों का दलन करनेवाला हिन्दु और उनकी भाषा हिन्दी । चूँकि इन व्युत्पत्तियों में प्रमाण कम, अनुमान अधिक है इसलिए सामान्यतः इन्हें स्वीकारा नहीं जाता।

 

  • (iii) 'हिन्दी' शब्द के दो अर्थ हैंहिन्द देश के निवासी' (यथा – 'हिन्दी है हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा'- इकबाल) और 'हिन्द की भाषा'। हाँ, यह बात अलग है कि अब यह शब्द इन दो आरंभिक अर्थों से पृथक् हो गया है। इस देश के निवासियों को अब कोई 'हिन्दी' नहीं कहता बल्कि भारतवासी, हिन्दुस्तानी आदि कहते हैं। दूसरे, इस देश की व्यापक भाषा के अर्थ में भी अब 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नहीं होता क्योंकि भारत में अनेक भाषाएँ हैं जो सब हिन्दी नहीं कहलाती। बेशक ये सभी हिन्द की भाषाएं हैं लेकिन केवल हिन्दी नहीं हैं। उन्हें हम पंजाबी, बांग्ला, असमिया, उड़िया, मराठी आदि नामों से पुकारते हैं इसलिए हिन्द की इन सब भाषाओं के लिए 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता।

हिंदी' शब्द का अर्थ और प्रयोग-

  • वस्तुतः शब्दों में अरबी-फारसी तथा संस्कृत के आधिक्य की बात छोड़ दें तो हिंदी-उर्दू में कोई खास अंतर नहीं है। दोनों ही एक ही भाषा की दो शैलियाँ हैं। इसलिए प्रारंभ में 'हिंदी' शब्द का प्रयोग हिंदी और उर्दू दोनों के लिए होता था। तजकिरा मखजन-उलग रायब में आया 'दर जबाने हिंदी कि मुराद उर्दू अस्त'। यहाँ हिंदी उर्दू का समानार्थी है तो दूसरी तरफ हिंदी के सूफी कवि नूर मुहम्मद ने कहा है-'हिन्दू मग पर पाँव न राख्यौ । का बहुतै जो हिन्दी भाख्यौ ।' यहाँ इस शब्द का प्रयोग हिंदी के लिए है। मुल्ला वजही, सौदा, मीर आदि ने अपने शेरों को हिंदी शेर कहा है। गालिब ने भी अपने पत्रों में कई स्थानों पर हिंदी-उर्दू को समानार्थी रूप में प्रयुक्त किया है। प्रस्तुत पंक्तियों के लेखक का अनुमान है कि 19वीं सदी के प्रथम चरण में अंग्रेजी की विशेष भाषा नीति के कारण ही इन दोनों को अलग-अलग भाषाएँ माना जाने लगा तथा उर्दू को मुसलमानों से जोड़ दिया गया तो हिंदी को हिंदुओं से यदि अंग्रेजी बीच में न पड़ी होती तो आज ये दोनों एक भाषाएँ होतीं। यों भाषा विज्ञानवेत्ता आज भी इन दोनों को एक ही भाषा की दो शैलियाँ मानते हैं।

 

'हिंदी' शब्द का प्रयोग आज मुख्य रूप से तीन अर्थों में हो रहा है: 

  • (क) 'हिंदी' शब्द अपने विस्तृततम अर्थ में हिंदी प्रदेश में बोली जाने वाली 17 बोलियों का द्योतक है। हिंदी साहित्य के इतिहास में 'हिंदी' शब्द का प्रयोग इसी अर्थ में होता है जहाँ ब्रज, अवधी, डिंगल, मैथिली, खड़ी बोली आदि सभी में लिखित साहित्य का विवेचन किया जाता है। वस्तुतः अब हिंदी साहित्य के इतिहास में पूरा उर्दू और पूरा दक्खिनी साहित्य भी समाहित कर लिया जाना चाहिए। इस प्रकार उर्दू तथा दक्खिनी को मिलाकर हिंदी 17 बोलियों, उर्दू तथा दक्खिनी को अपने अंतर्गत समाहित किए हुए है।

 

  • (ख) भाषा विज्ञान में प्राय: 'पश्चिमी हिंदी' और 'पूर्वी हिंदी' को ही हिंदी मानते हैं। ग्रियर्सन ने इसी आधार पर हिंदी प्रदेश की अन्य उपभाषाओं को राजस्थानी पहाड़ी बिहारी कहा था जिनमें 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग नहीं है, किंतु अन्य दो को हिंदी मानने के कारण पश्चिमी हिंदी' तथा 'पूर्वी हिंदी' नाम दिया था। इस प्रकार इस अर्थ में 'हिंदी' आठ बोलियों (ब्रज, खड़ी बोली, बुन्देली, हरियाणी, कनौजी, अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी) का सामूहिक नाम है।

 

  • (ग) 'हिंदी' शब्द का संकुचिततम अर्थ है खड़ी बोली साहित्यिक हिंदी जो आज हिंदी प्रदेशों की सरकारी भाषा है, पूरे भारत की राज्यभाषा है, समाचारपत्रों, फिल्मों में जिसका प्रयोग होता है तथा जो हिंदी-प्रदेश के शिक्षा का माध्यम है और जिसे 'परिनिष्ठित हिंदी' या 'मानक हिंदी' आदि नामों से अभिहित करते हैं। खड़ी बोली हिंदी का उद्भव शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है, किंतु यदि उसे पश्चिमी हिंदी-पूर्वी हिंदी की 8 बोलियों का प्रतिनिधि मानें तो उसका उद्भव शौरसेनी तथा अर्द्ध-मागधी अपभ्रंश से हुआ है और विस्तार में जाकर यदि उसे 17 बोलियों का प्रतिनिधि मानें तो हिंदी का उद्भव शौरसेनी, अर्द्ध-मागधी अपभ्रंश में हुआ है- उद्भव काल मोटे रूप से 1000 ई. के लगभग माना जा सकता है।

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