संप्रेषण क्या है अर्थ और सिद्धांत संप्रेषण के विविध रूप। Communication Meaning Sidhant

संप्रेषण क्या है, अर्थ और सिद्धांत, संप्रेषण के विविध रूप

संप्रेषण क्या है अर्थ और सिद्धांत संप्रेषण के विविध रूप। Communication Meaning Sidhant


संप्रेषण के विविध रूप प्रस्तावना

 

  • संप्रेषण के विविध रूपों और उनकी उपयोगिता पर विचार करते हुए भाषा के मौखिक,  लिखित और आंगिक रूप पर विचार करना आवश्यक हो जाता है। भाषा की विकासगत विशेषताओं के साथ-साथ भाषा और लेखन का अंतःसंबंध उपयोगिता एवं आरोह-अवरोह आदि का ज्ञान किसी भी भाषा-भाषी समाज के लिए आवश्यक है। 
  • संप्रेषण के विविध रूपों के संदर्भ में उसकी सूक्ष्मताओं तथा परिवर्तन आदि से हमें अवगत होते रहना चाहिए। इस प्रकार भाषा के साथ-साथ उसमें लिखित साहित्य एवं समाज से संबंधित जानकारी हमें भली प्रकार हो सकती है। इसके लिए लेखन विधि एवं भाषिक संरचना की चर्चा आवश्यक है। 
  • इसके अतिरिक्त आंगिक संप्रेषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आंगिक संप्रेषण से शब्द रहित संप्रेषण होता है जिसे भाव-भंगिमा हाव-भाव आदि शारीरिक चेष्टाओं से अपना संदेश भेजा जाता है।

 

संप्रेषण क्या है अर्थ और सिद्धांत

 

  • संप्रेषण एक सामाजिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में अकेला व्यक्ति संप्रेषण करने में असमर्थ होता है। उसे एक श्रोता की जरूरत होती है। अगर एक व्यक्ति कोई बात करता है तो दूसरा व्यक्ति उसे सुनता है। अतः व्यक्ति सामाजिक होने के साथ-साथ संप्रेषणशील भी होता है। 
  • वस्तुतः संप्रेषण का अर्थ है किसी एक संदेश को दो व्यक्तियों या समूहों को एक समान या उसी प्रकार दूसरे के पास भेजना। एक स्थान से दूसरे स्थान में संदेश या जानकारी भेजना भी संप्रेषण है। इसमें वक्ता, श्रोता और संदेश के अतिरिक्ति स्रोत, माध्यम और लक्ष्य भी होता है। वक्ता या संप्रेषणकर्ता अपना संदेश स्व-अभिव्यक्ति से, पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों, टेलीफोन, मोबाइल, टी.वी., रेडियो यंत्र आदि विविध पद्धतियों से प्रेषित करता है। संप्रेषण परस्पर संबंधों का निर्माण करता है; गलतफहमी दूर करता है, तनाव कम करता है और आत्मविश्वास पैदा करता है। 
  • दि किसी सूचना का अध्ययन तकनीकी प्रक्रिया से किया जाता है तो वह संप्रेषण सिद्धांत होगा जो सूचना सिद्धांत का एक क्षेत्र है। इससे लोग विचार-विमर्श करते हुए अपने संदेश या मंतव्य का सृजन करते हैं और उसके अर्थों की व्यवस्था बनाए रखते हैं।
  • संप्रेषण सिद्धांत के अनुसार भाषिक संप्रेषण में कोडीकरण और विकोडीकरण की प्रक्रिया निहित रहती है। एक भाषा में वक्ता या लेखक अपने संदेश को भाषाबद्ध रूप देता है अर्थात् कोडीकरण करता है, इसका संचरण वह मुखोच्चार और लेखन के माध्यम से करता है जिसे क्रमश: मौखिक और लिखित माध्यम कहा जाता है। श्रोता वक्ता द्वारा उच्चरित ध्वनियों का अभिज्ञान करता है अर्थात् ध्वनियों का श्रवण कर या देखकर पहचानता है। इसके बाद वह उनका विकोडीकरण कर अर्थ ग्रहण करता है। इस प्रक्रिया में भाषा का संप्रेषण होता है, किंतु यह आवश्यक है कि कोडीकरण और विकोडीकरण के लिए कोड एक समान होना अपेक्षित है। 


संप्रेषण सिद्धान्त के अनुसार इस प्रक्रिया को निम्नलिखित आरेख द्वारा समझा जा सकता है -

 

  • यह ध्यान में रहे कि इस संप्रेषण प्रक्रिया में वक्ता और श्रोता का एक कोड होगा तो संदेश समझा जा सकता है। यदि वक्ता हिन्दी जानता है तो श्रोता को भी हिन्दी का ज्ञान आवश्यक है। यह कोड भाषा केवल भाषा नहीं, संकेत भी हो सकते हैं, अंग-संचालन भी हो सकता है। बस इतना है कि उसे वक्ता और श्रोता दोनों समान रूप से समझ सकें। संप्रेषण मौखिक और लिखित रूप में तो होता ही है, किंतु आंगिक संप्रेषण का भी कम महत्व नहीं है।


संप्रेषण के मुख्य तीन प्रकार

इस प्रकार संप्रेषण के मुख्य तीन प्रकार हैं- 

  1. मौखिक संप्रेषण
  2. लिखित संप्रेषणऔर 
  3. अशाब्दिक अथवा आंगिक संप्रेषण

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