गुरु नानक देव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी | Important Fact About Guru Nanak in Hindi

गुरु नानक देव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 

गुरु नानक देव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी | Important Fact About Guru Nanak in Hindi



  • गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल वर्ष 1469 में लाहौर के पास तलवंडी राय भोई (Talwandi Rai Bhoe) गाँव में हुआ था जिसे बाद में ननकाना साहिब नाम दिया गया।
  • वह सिख धर्म के 10 गुरुओं में से पहले और सिख धर्म के संस्थापक थे।
  • गुरु नानक देव की मृत्यु 22 सितम्बर वर्ष 1539 में करतारपुरपंजाब में।

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गुरु नानक देव का योगदान:

  • गुरु नानक देव जी एक दार्शनिक, समाज सुधारक, चिंतक एवं कवि थे।
  • इन्होंने समानता और भाईचारे पर आधारित समाज तथा महिलाओं के सम्मान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
  • गुरु नानक देव जी ने विश्व को 'नाम जपो, किरत करो, वंड छको' का संदेश दिया जिसका अर्थ है- ईश्वर के नाम का जप करो, ईमानदारी व मेहनत के साथ अपनी ज़िम्‍मेदारी निभाओ तथा जो कुछ भी कमाते हो उसे ज़रूरतमंदों के साथ बाँटो।
  • उन्होंने यज्ञ, धार्मिक स्नान, मूर्ति पूजा, कठोर तपस्या को नकार दिया।
  • वे एक आदर्श व्यक्ति थे, जो एक संत की तरह रहे और पूरे विश्व को 'कर्म' का संदेश दिया।
  • उन्होंने भक्ति के 'निर्गुण' रूप की शिक्षा दी।
  • इसके अलावा उन्होंने अपने अनुयायियों को एक समुदाय में संगठित किया और सामूहिक पूजा (संगत) के लिये कुछ नियम बनाए।
  • उन्होंने अपने अनुयायियों को एक ओंकार’ (Ek Onkar) का मूल मंत्र दिया और जाति, पंथ एवं लिंग के आधार पर भेदभाव किये बिना सभी मनुष्यों के साथ समान व्यवहार करने पर ज़ोर दिया।

गुरु नानक देव जी पर 10 लाइन 10 Line on Guru Nanak


  • गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक महीने में पूर्णिमा के दिन ननकाना साहिब (वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है) में हुआ था।
  • गुरु नानक देव 10 सिख गुरुओं में से पहले और सिख धर्म के संस्थापक थे।
  • गुरु नानक देव जी एक दार्शनिक, समाज सुधारक, चिंतक और कवि थे
  • इन्होने समानता और भाईचारे पर आधारित समाज तथा महिलाओं के सम्मान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
  • गुरु नानक देव जी ने विश्व को 'नाम जपो, किरत करो, वंड छको' का संदेश दिया जिसका अर्थ है- ईश्वर के नाम का जप करो, ईमानदारी और मेहनत के साथ अपनी ज़िम्‍मेदारी निभाओ तथा जो कुछ भी कमाते हो उसे ज़रूरतमंदों के साथ बाँटो।
  • ये एक आदर्श व्यक्ति थे, जो एक संत की तरह रहे और पूरे विश्व को 'कर्म' का संदेश दिया।
  • उन्होंने भक्ति के 'निर्गुण' रूप की शिक्षा दी।
  • इसके अलावा उन्होंने अपने अनुयायियों को एक समुदाय में संगठित किया और सामूहिक पूजा (संगत) के लिये कुछ नियम बनाए।

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