लाल ज्वार किसे कहते हैं | एल्गी प्रस्फुटन क्या है |Algal bloom in Hindi

लाल ज्वार किसे कहते हैं 
एल्गी प्रस्फुटन क्या है 

लाल ज्वार किसे कहते हैं | एल्गी प्रस्फुटन क्या है |Algal bloom in Hindi



लाल ज्वार किसे कहते हैं 

  • हानिकारक एल्गी प्रस्फुटन (लाल ज्वारकी प्रक्रिया तब होती है जब शैवाल समूह नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं और व्यक्तियोंमछलियोंशंखसमुद्री स्तनधारियों तथा पक्षियों पर विषाक्त या हानिकारक प्रभाव पैदा करते हैं। जबकि कई लोग इन ब्लूम्स को 'लाल ज्वारकहते हैंवैज्ञानिक इसके लिये हानिकारक एल्गी प्रस्फुटन’ शब्द का प्रयोग अधिक करते हैं।


लाल ज्वार एल्गी प्रस्फुटन के कारण 


सुपोषण:

  • पोषक तत्त्व शैवाल और साइनोबैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देते हैं और इसके विकास में सहयोग करते हैं। जलमार्गों का सुपोषण (पोषक तत्त्व संवर्द्धन) एक प्रमुख कारक माना जाता है।


तापमान:

  • ब्लूम की घटना गर्मियों या पतझड़ में होने की अधिक संभावना होती है लेकिन यह वर्ष के किसी भी समय घटित हो सकती है।


मैलापन:

  • पानी के स्तंभ में निलंबित कणों और कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति के कारण गंदगी होती है।
  • जब गंदगी कम होती हैतो अधिक प्रकाश जल स्तंभ में प्रवेश कर सकता है। यह शैवाल विकास के लिये अनुकूलतम परिस्थितियों का निर्माण करता है।


एल्गी प्रस्फुटन या लाल ज्वार के नुकसान 

  • अत्यंत खतरनाक विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करते हैं जो लोगों और जानवरों को बीमार या मार सकते हैं।
  • शैवाल से दूषित और मनुष्यों सहित अन्य जीवों द्वारा खाई जाने वाली मछली उनके लिये हानिकारक हो सकती है।
  • एल्गी प्रस्फुटन की घटना जलीय कृषि या समुद्री जीवन को भी प्रभावित कर सकती है।
  • लाल ज्वार के कारण मनुष्यों में साँस लेने में तकलीफ की भी शिकायत हुई है।
  • एल्गी प्रस्फुटन’ जलीय जीवों को सूर्य के प्रकाश और ऑक्सीजन से वंचित करता है तथा जल की सतह के नीचे रहने वाली विभिन्न प्रजातियों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।



लाल ज्वार द्वारा जल में डैड ज़ोन’ का निर्माण करना

  • "डेड ज़ोन" हाइपोक्सिया के लिये एक अधिक सामान्य शब्द हैजो जल में ऑक्सीजन के कम स्तर को संदर्भित करता है।


लाल ज्वार एल्गी प्रस्फुटन का शैवाल

  • करेनिया ब्रेविस’ (Karenia Brevis) शैवाल के कारण होने वाले लाल ज्वार के प्रकोप उत्पन्न होता है । 
  • अमेरिका में सबसे प्रसिद्ध HABs  (लाल ज्वार)की घटना फ्लोरिडा के खाड़ी तट पर लगभग हर गर्मियों में घटित होती है।
  • इस प्रकार का ब्लूमडाइनोफ्लैगलेट की एक प्रजाति के कारण होता है जिसे करेनिया ब्रेविस के नाम से जाना जाता है।
  • दूसरी ओर, मीठे पानी की झीलों और जलाशयों में ब्लूम आमतौर पर नीले-हरे शैवाल (सायनोबैक्टीरिया के रूप में भी जाना जाता है) के कारण होता है।
  • नील-हरित शैवाल प्रस्फुटन का कृषि और शहरी अपवाह से सीधा संबंध है। पोषक तत्त्व प्रदूषण साइनोबैक्टीरिया के विकास को प्रोत्साहित करता है।


लाल ज्वार एल्गी प्रस्फुटन को कम करने के उपाय 


बहिःस्राव का बहु उपचार (Multiple treatment of effluent):

  • सरल उपचार विकल्प प्रभावी नहीं हैं; शैवाल विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिये आमतौर पर कई उपचार चरणों की आवश्यकता होती है।
  • नदियों और झीलों में प्रवाहित करने से पहले फॉस्फेट और नाइट्रेट को हटाने के लिये तृतीयक सीवेज उपचार विधियों का उपयोग करना।


नाइट्रोजन परीक्षण और मॉडलिंग (Nitrogen Testing & Modelling):

  • एन-टेस्टिंग (N-Testing) फसल के पौधों के लिये आवश्यक उर्वरक की इष्टतम मात्रा का पता लगाने की एक तकनीक है। यह आसपास के क्षेत्र में नष्ट हुई नाइट्रोजन की मात्रा को कम करेगा।


जैविक खेती को बढ़ावा (Encouraging Organic Farming):

  • कृषि में उर्वरकों के अति प्रयोग को कम करने और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने से अपवाह के थोक प्रवाह को कम किया जा सकता है तथा यह अति शैवाल वृद्धि को कम करने के लिये प्रभावी हो सकता है।


  • वाहनों और बिजली संयंत्रों से नाइट्रोजन उत्सर्जन में कमी करना।
  • डिटर्जेंट में फॉस्फेट के निर्माणकर्त्ता के रूप में उपयोग को कम करना।


भारत में एल्गी प्रस्फुटन से निपटने के उपाय:


एल्गी प्रस्फुटन सूचना सेवा: 

  • ABIS हानिकारक एल्गी प्रस्फुटन के संबंध में समय पर जानकारी प्रदान करता है, जो तटीय मत्स्य पालन, जल की गुणवत्ता के लिये हानिकारक है और समय-समय पर तटीय आबादी के भीतर श्वसन समस्याओं को भी प्रेरित करता है।


  • वर्ष 2009 में लॉन्च किया गया इसरो का ओशनसैट-2 उपग्रह (ISRO’s Oceansat-2 Satellite) बड़े क्षेत्रों को कवर कर सकता है और वैश्विक महासागरीय रंग प्रदान कर सकता है।

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