सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषताएँ भाग-02 |Features of Indus Valley Civilization Part-02

 सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषताएँ भाग-02

Features of Indus Valley Civilization Part-02

सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषताएँ भाग-02 |Features of Indus Valley Civilization Part-02



शान्ति प्रधान

  • सिन्धु क्षेत्र से प्राप्त पुरातात्विक वस्तुओं के आधार पर हमें पता चलता है कि यहां के लोग बड़े ही शांतिप्रिय थे खुदाई में कवचढालतलवारशिरस्त्राण आदि युद्धोपयोगी सामानों के नहीं मिलने से लगता है कि यहां के निवासी युद्धप्रिय प्रवृत्ति के नहीं थे उत्खनन से घनुष-बाणभालाकुल्हाड़ी आदि औजारों के मिलने से हम कह सकते हैं कि यहां के निवासी शिकार भी करते थे। दूसरी प्राचीन सभ्यताओं की तुलना में सिन्धु सभ्यता अधिक ऊँचे स्तर की थी। यहां के लोग कलाकौशल तथा वाणिज्य व्यापार की उन्नति कर देश को सुखी एवं समृद्ध बनाने के लिए सदा तत्पर रहते थे।

 

लोकतांत्रिक सभ्यता

  • राजाओं और राजभवनों के नहीं मिलने के कारण विद्वानों का कहना है कि सिन्धु सभ्यता काल में राजतंत्रात्मक व्यवस्था नहीं थी। यहां पाये गये विशाल सभा भवन तथा स्नानागार उस काल के लोगों के सामूहिक जीवन को बतलाते हैं। यह सभ्यता समष्टिवाहिनी तथा लोकतंत्रात्मक थी। यहां का शासन केन्द्रीय स्तर पर बहुत ही सशक्त था। सिन्धु क्षेत्र के दो प्रधान केन्द्र थे-हड़प्पा और मोहनजोदड़ो अनुमान किया जाता है कि उत्तरी क्षेत्र की राजधानी हड़प्पा थी। जबकि मोहनजोदड़ो दक्षिणी क्षेत्र की राजधानी था।

 

नागरिक सभ्यता

  • सिन्धु घाटी की सभ्यता ग्रामीण एवं कृषि प्रधान नहीं थी। यह सभ्यता वास्तव में नागरिक थी। यहां के समाज में व्यापार की प्रधानता थी। व्यापार के ही कारण यहां बड़े-बड़े शहर थे। इन शहरों का व्यापार के दृष्टिकोण से विदेशों के साथ काफी सम्बंध था। ऐसा लगता है कि यहां के लोगों के आर्थिक जीवन का मुख्य आधार औद्योगिक विशिष्टीकरण था। यहां के निवासियों की दृष्टि में प्रत्येक वस्तु का कोई न कोई महत्त्व था। 

पुरानी सभ्यता

  • 1921 के पहले विद्वानों का कहना था कि नील नदी तथा दजला-फरात नदियों की घाटियों में फैली है। सभ्यता ही विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता थी। लेकिन सिन्धु घाटी से प्राप्त अवशेषों का जब अध्ययन किया गया तो विद्वानों की पुरानी धारणाएं बदल गयीं। 
  • भारत के पुरातत्व विभाग के भूतपूर्व अध्यक्ष सर जॉन मार्शल के अनुसार, “सैन्धव घाटी का एक साधारण नागरिक भी सुखसामग्री एवं भोगविलास की वस्तुओं का जिस मात्रा में उपभोग करता था उसकी तुलना उस समय के सभ्य संसार के किसी भी देश से नहीं की जा सकती। आधुनिक काल की तरह सैन्धव काल में पक्की ईंटों का प्रयोग था। ढ़की हुई नालियों का इस्तेमाल किया जाता था। 
  • मनुष्य के सामूहिक स्नान के लिए ठंडा तथा गरम दोनों प्रकार के स्नानागारों का वृहत् पैमाने पर प्रचलन था। मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता में इस तरह की व्यवस्था का हम सर्वथा अभाव पाते हैं। इससे प्रमाणित होता है कि सिन्धु सभ्यता दूसरे देशों की तुलना में काफी विकसित थी। इसीलिए बहुत से विद्वानों ने इसे मानव सभ्यता का प्रथम केन्द्र माना है।

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.