संगीत के प्रमुख राग और उनकी विशेषता |भारत के प्रमुख संगीतज्ञ और घराना |Major ragas of music and their specialties

संगीत के प्रमुख राग और उनकी विशेषता 

संगीत के प्रमुख राग और उनकी विशेषता  |भारत के प्रमुख संगीतज्ञ और घराना


राग की परिभाषा 

स्वरों की वह सुन्दर रचना जो कानों को अच्छी लगे उसे राग कहते हैं. आजकल राग गायन हीं प्रचार में है. संगीत रत्नाकर में राग की परिभाषा इस प्रकार दी गयी है. 

'स्वर और वर्ण से विभूषित ध्वनि जो मनुष्य के मन का रंजन करे, राग कहलाता है'

 

राग में क्या होना चाहिए 

राग के नियम - 

  • प्रत्येक राग में रञ्जकता अर्थात मधुरता आवश्यक है, अर्थात कानों को अच्छा लगना आवश्यक है।
  • राग में कम से कम 5और अधिक से अधिक 7स्वर होने चाहिए।
  • प्रत्येक राग किसी न किसी थाट से उत्पन्न माना गया है।
  • किसी भी राग में षडज अर्थात सा कभी-भी वर्जित नहीं होता, क्यूंकि यह सप्तक का आधार स्वर होता है।
  • प्रत्येक राग में म और प में से कम से कम एक स्वर अवश्य होना चाहिए।  दोनों स्वर एक साथ वर्जित नहीं हो सकते।  यदि पंचम के साथ शुद्ध म भी वर्जित हो तो तीव्र-म अवश्य रहना चाहिए।
  • प्रत्येक राग में आरोह अवरोह, वादी-सम्वादी, पकड़, समय आदि होना चाहिए।
  • किसी भी राग में एक स्वर का दोनों रूप अर्थात शुद्ध-कोमल एक साथ नहीं प्रयोग होना चाहिए।

 

संगीत के प्रमुख राग और उनकी विशेषता 


रागों का नाम 

विशेषता एवं गायन का स्वरूप

राग मालकोस

यह शरद ऋतु में गाया जाने वाला राग है, इसे मध्य रात्रि में गाया जाता है ।

राग भैरवी

भक्ति रस के इस राग का गायन काल प्रात:काल है ।

राग भूपाली

इस राग का गायन रात्रि के प्रथम प्रहर में होता है।

राग बागेश्री

यह राग अर्धरात्रि में गाया जाता है।

राग भैरव

इसका गायन काल प्रभात वेला है।

राग देश

इसका गायन काल रात्रि का द्वितीय प्रहर है।

राग विलावल

यह राग रात्रि के पहले प्रहर में गाया जाता है ।

राग काफी

यह होली के समय रात्रि में गाया जाने वाला राग है।

राग विहाग

इस राग का गायन रात्रि के द्वितीय प्रहर में किया जाता है ।

राग हिण्डोल

यह बसंत ऋतु में प्रात:काल गाया जाने वाला एक मधुर राग है।

राग मेघ

इस राग का गायन वर्षा ऋतु में दोपहर में किया जाता है

राग श्री

शरद ऋतु में सूर्यास्त के समय गाया जाने वाला यह मधुर राग है।

राग ललित

यह राग रात्रि के अंतिम प्रहर में गाया जाता है।

राग मुल्तानी

यह राग मध्याह्न में गाया जाता है।

राग सारंग

यह राग भी दोपहर के समय गाया जाता है।

राग रामकली

यह प्रात:काल में गाया जाने वाला राग है।


संगीत के पहर

संगीत के समय चक्र के अनुसार दिन के 24 घण्टे आठ प्रहरों में बाँटा गया है। तीन घण्टों का एक पहर होता है ये पहर हैं :-

प्रहर  समय 

प्रात:कालीन प्रथम प्रहर

7 से 10 बजे तक

दिन का द्वितीय प्रहर

10 से 1 बजे तक

दिन की तृतीय प्रहर

1 से 4 बजे

सायंकालीन संधि प्रकाश प्रहर

4 से 7 बजे

सायंकालीन संधि प्रकाश प्रहर

7 से 10 बजे तक

रात्रि का द्वितीय प्रहर

10 से 1 बजे तक

रात्रि का तृतीय प्रहर

1 से 4 बजे तक

प्रात:कालीन संधि प्रकाश प्रहर

4 से 7 बजे तक


भारत के प्रमुख संगीतज्ञ और घराना


संगीतज्ञ

घराना 

पं.भीमसेन जोशी, डॉ.प्रभा अत्रे

किराना घराना

बालकृष्ण बुआ, रहमत खाँ

ग्वालियर घराना

नत्थन खाँ, फैयाज खाँ, लक्ष्मण पंडित

आगरा घराना

अल्लादिया खाँ

जयपुर घराना

अबुल करीम खाँ, अब्दुल वाहिद खाँ

किराना घराना

पं.जसराज

मेवाली घराना


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