मध्यप्रदेश में झंडा सत्याग्रह आंदोलन

 मध्यप्रदेश में झंडा सत्याग्रह आंदोलन

MP PSC Mains Solution Paper 1 2018


मध्यप्रदेश में झंडा सत्याग्रह आंदोलन पर प्रकाश डालिए ? MP PSC MAIN 2018 | Paper-I

राष्ट्रध्वज किसी राष्ट्र की सम्प्रभुता, अस्मिता एवं गौरव का प्रतीक होता है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के हितों में चरखेयुक्त तिरंगे झंडे को यह गौरव प्राप्त था। इस तिरंगे को सरकारी कार्यालयों में फहराकर स्वतंत्रता आंदोलन का  बिगुल जबलपुर में 1923 में बजाया गया ।

मार्च 1923 में जबलपुर नगर पालिका में कांग्रेस का बहुमत था। असहयोग आंदोलन की तैयारी के परिप्रेक्ष्य में जबलपुर का दौरा कर रहे अजमल खां और कांग्रेसियों के सम्मान के लिए जबलपुर जिला कांग्रेस कमेटी ने जबलपुर टाउन हाॅल में तिरंगा फहरा दिया। यह झंडा दमोह के एक युवा प्रेमचंद जैन उस्ताद ने फहराया। पूरे भारत में यह पहला अवसर था, जब कांग्रेसियों ने भवन पर झंडा फहराकर ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी थी। अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर ने इस झंडे को उतारने का आदेश दिया । पुलिस ने झंडे को उतारकर पाॅव तले रौंदा, इस पर कांग्रेस ने सत्याग्रह शुरू कर दिया। इस सत्याग्रह में प. सुंदरलाल, नाथूराम मोदी, सुभद्राकुमारी चैहान, लक्ष्मणसिंह चैहान, नरसिंह अग्रवाल आदि ने भाग लिया । इस जुलूस का नेतृत्व करने वाले लागों को गिरफ्तार कर लिया गया था। पं. सुन्दरलाल को छः माह का कारावास दिया गया।

दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस सत्याग्रह के महत्व को समझकर अखिल भारतीय स्तर पर इसे मनाने हेतु नागपुर को चुना, जहां जमनालाल बजाज के नेतृत्तव में तैयारियाँ की गईं। नागपुर सत्याग्रह के साथ एक बार पुनः जबलपुर में सत्याग्रह शुरू किया गया । जब भारत कोकिला सरोजनी नायडू एवं मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे कद्दावर नेताओं की उपस्थिति में कन्छोड़ीलाल, बंशीलाल, तथा काशीप्रसाद ने जबलपुर टाउन हाॅल पर झंडा लहरा दिया। तीनों को तीन-तीन माह की सजा दी गई। उधर नागपुर में सत्याग्रहियों ने भी झंडा फहराने में सफलता प्राप्त कर ली।

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