भीमाबाई कौन थीं | मध्यप्रदेश का स्वधीनता संग्राम और महिलाएं

 मध्यप्रदेश का स्वधीनता संग्राम और महिलाएं 

वीरांगना भीमाबाई Bhima Bai

मध्यप्रदेश का स्वधीनता संग्राम और महिलाएं


भीमाबाई कौन थीं Bhima Bai Holkar


वीरांगना भीमाबाई, इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर के दत्तक पुत्र तुकोजीराव के पुत्र यशवंत राव की पुत्री थीं।

भीमाबाई ने अस्त्र-शस्त्र व घुड़सवारी की शिक्षा बचपन में ही प्राप्त की। युद्ध की व्यवहारिकता बाल्यकाल में पिता द्वारा, सिंधिया, पेशवा और अंग्रेजों से किये गये अनेक युद्धों द्वारा समझी। इस दक्षता के आधार पर भीमाबाई ने अंग्रेजों के द्वारा किये गये हमलों का सामना किया।

भीमाबाई का विवाह 12 फरवरी 1809 को गोविंदराव बोलिया से हुआ। दुर्भाग्यवश 14 दिसंबर 1815 को पति की असमय मृत्यु होने से भीमाबाई अल्पवय मे विधवा हो गयीं। 

पिता होल्कर महाराजा यशवंत राव की मृत्योपरांत, एक दासी ने महल पर अधिकार कर लिया। भीमाबाई राज्य संरक्षण के लिए उठ खड़ी हुई। उन्होंने राज्य शासन-प्रबंध कृषि, व्यापार संबंधी अनेके सुधार किये।

उन्हें जनकल्याण के कार्यों में अंग्रेजों के एंजेंट का दखल भी पंसद नहीं था। इस बात से क्षुब्ध होकर इंदौर रेजीमेंट कर्नल  मालकम ने होल्कर स्टेट पर आक्रमण कर दिया।

1817 में महिदपुर में भीषण संग्राम हुआ। 20 वर्षीय भीमाबाई ने यद्ध का कुशल संचालन किया। फिर भी अपनी सेना को पराजय नहीं बचा सकीं। भीमाबाई पीछे हटी और  भीमाखेड़ी गांव में पुनः सेना को संगठित किया । उन्होंने अपने पूर्वजों के विशेष रणकौशल छापामार युद्ध नीति अपनाई। छापे मारकर अंग्रेजों के कई खजाने लूट लिए और अंग्रेजों की फौज को पीछे धकेला। 

अंग्रेज कर्नल मालकम भारी-भरकम सेना लेकर जंगल में भीमाबाई के शिविर में जा पहूँचा। घुड़सवारी करती रानी को घेर लिया। घिरा देखकर रानी मालकम की ओर बढ़ी, सबने जाना रानी आत्मसमर्पण करेंगी, पर अचानक रानी ने घोड़े को जोर से ऐड़ लगाई ओर घेरे को लांघकर निकल गईं। 

साहस और आत्मसम्मान का पर्याय वीरांगना भीमाबाई दुशमनों के हाथ नहीं लगी। इसके बाद रानी ने अज्ञातवास का जीवन व्यतीत किया।


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