Madhya pradesh ke pramukh janjatiya vyaktitva | मध्यप्रदेश के जनजातीय व्यक्ति


mp pramukh janjatiya vyaktitva
मध्यप्रदेश के जनजातीय व्यक्ति

मध्यप्रदेश के जनजातीय व्यक्ति Major Tribes Personality of MP

टंट्या भील (तांतिया मामा)
  • टंट्या भील का जन्म 1842 में पश्चिमी निमाड़ के विरी गांव में हुआ था। अंग्रेजो के अत्याचार विरूद्ध टंट्या ने आवाज उठाई लेकिन उन्हें 1 साल की सजा सुनाकर जेल में बंद कर दिया। 

  • एक साल की  सजा काटने के बाद टंट्या मजदूरी मेहनत करते रहे। फिर भी उन पर चोरी का झूठा आरोप लगाया गया। टंट्या भील को अंग्रेजो ने बहन सुरेखा से राखी बंधवाते वक्त पकड़ लिया और 1888 को फांसी दे दी गई ।
रानी लक्ष्मीबाई
  • रानी लक्ष्मी बाई  का जन्म 19 नवंबर 1828 में वाराणसी में हुआ। रानी लक्ष्मी बाई का वास्तिवक नाम मणिकर्णिका या मनु था। माता का नाम भागीरथी बाई तथा पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। बाजीराव मनु को छबीली पुकारते थे। विवाह झांसी के महाराज गंगाधर से हुआ था। 

  • रानी के दत्तक पुत्र दामोदरराव  को लार्ड डलहौजी ने गंगाराव का उत्तराधिकारी मानने से इंकार किया तथा रानी को 5000रू वार्षिक पेंशन निर्धारित की। 7 जून 1857 को झांसी मे विद्रोह हो गया। झांसी पर रानी का पुनः कब्जा हो गया, जो 10 माह तक रहा। मार्च 1858 में अंग्रेज सेनापति ह्यूरोज का सामना कियाऔरर 18 जून 1858 को रानी शहीद हुई। ह्यूरोज ने कहा था विद्रोहियों मेंयदि कोई मर्द था तो वह रानी लक्ष्मीबाई थी।
भीमा जी नायक
  • भीमा जी नायक का जन्म सन् 1840 में पश्चिमी निमाड़ रियासत के पंचमोहली गाँव में हुआ था। 
  • 1857 में भीमा नायक और अंग्रेजों के बीच संघर्ष के दौरान अंग्रेजो ने भीमा नायक की वृद्धा मां को पकड़ लिया, लेकिन भीमा नायक बच निकले।भीमा नायक  की मां को अंग्रेजो ने इतनी यातना दी कि 15 दिन में ही उनका देहांत हो गया।
  • 2 अप्रैल 1868 को सतपुड़ा को सतपुड़ा के घने जंगल में भीमा नायक को अंग्रेज सिपाहियों ने पकड़ लिया और उन्हें बंदी बना लिया गया।
खाज्या नायक
  • खाज्या नायक जन्म सन् 1830 में निमाड़ के एक छोटे गांव में हुआ था। ब्रिटिश सरकार ने खाज्या नायक को एक दिन अचानक हत्या के आरोप में बंदी बना दिया ओर 40 साल की सजा सुना दी और सजा के दौरान उन्हें जेल में डाला गया। 
  • खाज्या नायक को 1856-57 में नौकरी में ले लिया गया। लेकिन खाज्या नायक ने नौकरी छोड़कर भीमा नायक के साथ भीलों की टोलियों को संगठित की। खाज्या और भीमा की जोड़ी ने 1857 की क्रांति का शंखनाद होते ही फिरंगियों के खिलाफ युद्ध छोड़ दिया। कर्नल आउट्रम ने छल से खाज्या को बंदी बना मौत के घाट उतार दिया।
रानी आवंती बाई
  • रानी आवंती बाई का जन्म 16 अगस्त 1831 को सिवनी जिले के मनकेड़ी ग्राम की जागीरदार राव जुझारसिंह लोधी के घर हुआ था। 

  • अवंती बाई बचपन से ही साहसी कन्या थी, उन्हें तलवारबाज एवं युद्ध का बहुत शौक था। रानी आवंती बाई का विवाह  17 वर्ष की आयु में रामगढ़ के राजा विक्रमादित्य से हुआ था। राजा विक्रमादित्य के स्वर्गवास के बाद रानी ने दक्षता पूर्वक राज-काज  संभाला। 

  • 15 जनवरी 1858 को वैलिंगटन के द्वारा घुघुरी के अधिकार करने हुए रामगढ़ की ओर जाने पर रानी और वैलिंग्टन के बीच युद्ध हुआ। अंग्रेज वैलिंगटन की सेना ने भयंकर युद्ध किया।

  •  देवहारगढ़ के जंगल में रानी के मुट्ठी भर सैनिकों और अंग्रेजी सेना के बीच युद्ध हुआ, रानी की सभी सेना मारी गई, रानी अंग्रेजो के हाथ लगने के बजाएं अपनी तलवार से अपने वतन की रक्षा के खातिर बलिदान हो गई।
झलकारी बाई
  • झलकारी बाई का जन्म झाँसी के उत्तर-पश्चिमी दिशा में स्थित भोजला गांव में कोरी समाज में हुआ था। 

  • झलकारी बाई ने महारानी लम्मीबाई की युद्ध में सहायता की थी। 

  • ह्यूरोज ने पीर अली और दुल्हाजू की सहायता से झलकारी बाई को पकड लिया, लेकिन वह भाग निकली, स्वभिमानी झलकारी बाई ने पेट में बरछी भौंक कर अपने प्राणों की आहुति दी।


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