मध्य प्रदेश में रेल परिवहन |Rail Transport in Madhya Pradesh

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Rail Transport in Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश में रेल परिवहन

  • रेल परिवहन आवागमन, व्यापार एवं यात्रा का एक सरल, सुगम तथा सस्ता माध्यम है, जो किसी भी देश या राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करता है।
  • राज्य में वर्ष 1867 में प्रथम रेलमार्ग इलाहाबाद-जबलपुर के मध्य प्रारंभ हुआ था। तत्तपश्चात तुकोजीराव होल्कर द्वितीय के प्रयास से वर्ष 1869 में खंडवा-इंदौर रेल लाइन का निर्माण किया गया था, जिसे होल्कर स्टेअ रेल लाइन कहा जाता था।
  • वर्ष 1877 में इंदौर-उज्जैन रेलवे लाईन निर्मित की गई जिसे राजपूताना मालवा रेलवे कहा गया।
  • सिंधिया वंश के महाराजा माधो राव सिंधिया द्वारा वर्ष 1895 में ग्वालियर से शिवपुरी के मध्य नैरोगेज ट्रेन प्रारंभ की गई थी जिसे कुना कुमारी एक्सप्रेस कहा जाता था। इसमें रेलवो विभाग द्वारा प्रयुक्त सबसे छोटे गेज 0.610 मीटर का प्रयोग किया गया था।
  • वर्ष 1899 में ग्वालियर राजवंश के सिंधिया राजा द्वारा बीना से राजस्थान के बारॉ तक रेलवे लाइन का विस्तार किया गया।
  • 30 जून 1935 से 1 अप्रैल 1950 तक नेरोगेज ट्रेन का संचालन ग्रेट इंडियन पेनिन्सुला कंपनी द्वारा होता था। इसे विश्व के सबसे लंबे नेरोगेज ट्रेन का विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।
  • वर्ष 1904 में सतपुड़ा घाटी के प्रसिद्ध नेरोगेज रेल सेवा का प्रारंभ किया गया था। जिसे 1 अक्टूबर 2015 को बंद कर दिया गया। इस नेरोगेज रेल सेवा के अंतर्गत एशिया का सबसे बड़ा नेरोगेज रेलवे स्टेशन नैनपूर में स्थित था।
  • वर्तमान में मध्य प्रदेश के रेलमार्ग की लंबाई 6100 किमी है। जो देश के कुल रेलमार्ग का 10 प्रतिशत है जबकि प्रति 1000 वर्ग किमी. पर रेलमार्ग का घनत्व 15.9 किमी है।
  • पश्चिमी मध्य रेलवे ने अप्रैल 2003 से कार्य प्रारंभ किया, जिसका संभागीय मुख्यालय जबलपुर में है। इसके अंतर्गत कटनी, रीवा एवं सतना जिले आते हैं। वर्तमान में पश्चिम मध्य रेलवे में तीन डिवीजन (जबलपुर, भोपाल एवं कोटा राजस्थान) कार्यरत हैं।
  • भारत सरकार के रेल मंत्रालय तथा विभिन्न राज्यों के पर्यटन विकास विकास निगम के अनुरूप (राजस्थान पर्यटन विकास निगम) रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स पर्यटन ट्रेन (18 जनवरी 2009) मध्य प्रदेश में खजुराहो से होकर गुजरती है।

मध्य प्रदेश से होकर गुजरने वाले अन्य रेलवे जोन

मध्य रेलवे
  • मध्य प्रदेश के ग्वालियर भोपाल, रीवा, जबलपुर में मध्य रेलवे जोन के माध्यम से रेल परिवहन सेवा संचालित होती है। जिसका संभागीय मुख्यालय खंडवा में है।

पश्चिम रेलवे
  • मध्य प्रदेश के इंदौर, देवास, सीहोर,उज्जैन, रतलाम, एवं मंदसौर में पश्चिम रेलवे द्वारा रेल परिवहन होता है जिसका संभागीय मुख्यालय रतलाम है।

दक्षिण पूर्वी रेलवे
  • मध्य प्रदेश के शहडोल, छिंदवाड़ा एवं बालाघाट, सिवनी जिलों में दक्षिण पूर्वी रेलवे द्वारा रेल परिवहन सेवा का संचालन होता है जिसका संभागीय मुख्यालय अनूपपुर में है।

उत्तर मध्य रेलवे
  • मध्य प्रदेश के ग्वालियर, मुरैना, भोपाल, में उत्तर मध्य रेलवें से रेल परिवहन सेवा संचालित होती है, जिसका संभागीय मुख्यालय ग्वालियर है।

मध्य प्रदेश रेलवे महत्वपूर्ण तथ्य MP Railway Important GK

  • मध्य प्रदेश के भोपाल जिले में स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन को वर्ष 2017 में देश का प्रथम निजी रेलवे स्टेशन बनाया गया। इसका संचालन बंसल ग्रुप के माध्यम से किया जा रहा है।
  • हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम वर्ष 2019 में अटल बिहारी वाजपेयी रेलवे स्टेशन रखा गया है।
  • नई रेलवे, नया मध्य प्रदेश पुस्तक का विमोचन 1 जून 2018 को रेलमंत्री पीयूष गोयल द्वारा किया गया।
  • प्रदेश के भोपाल जिले में रेल विश्वविद्यालय प्रस्तावित है।
  • मध्य प्रदेश का प्रथम पिंक स्टेशन वर्ष 2019 में मदन महल, जबलपुर घोषित किया गया है।
  • जबलपुर रेलवे स्टेशन देश का प्रथम वाईफाई एवं स्वचलित रेलवे फाटक सुविधा वाला स्टेशन है।
  • हजरत निजामुद्दीन एक्सप्रेस (भोपाल एक्सप्रेस) देश की प्रथम आई.एस.ओ. प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाली ट्रेन है। इसके अतिरिक्त रेवांचल एक्सप्रेस भी आई.एस.ओ. प्रमाणित ट्रेन है।
  • प्रदेश का सबसे बड़ा रेलवे जंकक्शन इटारसी जिला होशंगाबाद है।
  • रेल कोच फैक्ट्री 1976 भोपाल निशातपुरा है।
  • रेलवे विद्युत इंजन कारखाना भोपाल है।
  • रेलवे डीजल इंजन कारखाना इंदौर एवं विदिशा में है।
  • रेल कोच फैक्ट्री झाबुआ में प्रस्तावित है।
  • रेलवे स्प्रिंग कारखाना ग्वालियर (सिथौली) में है।
  • वैगन रिपेयर वर्कशाप सतना में है।
  • इलेक्ट्रिक लोको शेड कटनी में है।
  • रेलवे भर्ती बोर्ड भोपाल में है।
  • डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री सीहारे के शेरपुर में निर्माणाधीन है।
  • रेलवे स्लीपर बनाने का कारखाना बनखेड़ी (बुधनी) में है।
  • 4 अक्टूबर 2018 को भोपाल मेट्रो (कुल लंबाई 2787 किमी) तथा इंदौर मेट्रो (कुल लंबाई 31.55 किमी) परियोजना को केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है।

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