Rashtriya Manav adhikar ayog | National Human Rights Commission |राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग


राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन
मानवाधिकार संरक्षण कानून 1993 पारित किया गया था, जो 28 सितम्बर,1993 को प्रभावी हुआ। इसे मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) कानून 2005 के तहत संशोधित किया गया।

उपर्युक्त कानून की धारा 3 के तहत सितम्बर, 1993 मेँ राष्ट्रपति द्वारा जारी एक अध्यादेश द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया।

नियुक्ति एवं त्यागपत्र
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्र सरकार प्रधानमंत्री की अध्यक्षता मेँ गठित समिति जिसमेँ लोकसभा के अध्यक्ष, राज्यसभा के उप सभापति, संसद मेँ दोनो सदनोँ मेँ विपक्ष के नेता, गृहमंत्री की अनुशंसा पर करती है।

आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त होने के लिए वही उम्मीदवार पात्र होगा, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रह चुका हो।
आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति उसके कार्यभार ग्रहण करने के दिन से 5 साल के लिए या 70 वर्ष की आयु पूरी करने तक होती है।
आयोग के सदस्य की नियुक्ति 5 साल के लिए होती है और वह एक बार और पांच वर्ष की नियुक्त होने के लिए आवश्यक है, परन्तु वह 70 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद सदस्य नहीँ रहैगा।
आयोग का अध्यक्ष या सदस्य आयोग से हटने के बाद भारत सरकार या फिर राज्य सरकार मे नौकरी पाने के लिए अनर्ह होगा।
आयोग के अध्यक्ष या सदस्य अपने पद से राष्ट्रपति को संबोधित इस्तीफे द्वारा पद छोड़ सकता है।
आयोग के अध्यक्ष या सदस्य को सिद्ध अव्यवहारों या अक्षमता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है, हालांकि हटाने से पूर्व सर्वोच्च न्यायालय की जांच की आवश्यकता है।
इस आयोग के संबंध मेँ सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके पास अपनी भी जांच मशीनरी है, और यह केवल पुलिस आदि पर निर्भर नहीँ रहती।
मानवाधिकार संरक्षण कानून की धारा 21 मेँ राज्य मानवाधिकार आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है।
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