जैव-विकास से सम्बंधित नियम, Rules related to Bio-development


  • 1. एलेन का नियम Allen’s Rule- अधिकारिक ठंडे प्रदेशों में रहने वाली जंतु-जातियों में शारीर के खुले भाग जैसे पूंछ, कान, पाद आदि क्रमशः चोतेहोते जाते हैं, ताकि इनके माध्यम से ताप की कम हानि हो।
  • 2. बर्गमान का नियम (Bergmann’s Rule)- नियततापी (Warm-blooded) जंतुओं में ठंडे प्रदेशों में रहने वाले सदस्यों का शरीर अधिकाधिक बड़ा होता जाता है।
  • 3. कोप का नियम Cope’s Rule- जैव विकास के लम्बे इतिहास में जंतुओं के शरीर के अधिकाधिक बड़े होते रहने की प्रवृत्ति रही है।
  • 4. डोलो का नियम Dollo’s Law- जैव विकास के दौरान लक्षणों में जो प्रमुख भेद हो चुके हैं, वे दुबारा नहीं हो सकते, अर्थात जैव विकास उलटी दिशा में कभी नहीं बढ़ता है।
  • 5. ग्लोगर का नियम Gloger’s Law-  गर्म व् नम प्रदेशों के नियततापी जंतुओं में मिलेनिन (Milanin) उत्पाद अधिक होता है।
  • 6. गॉस का नियम Gause’s Law- ऐसी डो जीव जातियां जिनकी पर्यावरणीय आवश्यकताएं बिलकुल एकसमान होती है, अनिश्चितकल तक एक ही स्थान पर नहीं बनी रह सकतीं।
प्रमुख जीव वैज्ञानिकों  के नाम  और योगदान 

  • 1. विलियम हार्वे (1578-1657) ने रुधिर परिसंचरण तंत्र (1628) एवं भ्रौणिकी का प्रयोगात्मक अध्ययन किया।
  • 2. रॉबर्ट हुक ने सबसे पहले मृत पादप ऊतक (कॉर्क) में कोषाएं (1665) देखीं और उन्हें कोशिका की संज्ञा दी।
  • 3. कैरोलस लिनियस ने अपनी पुस्तक सिस्टेमा नेचुरी (Systema Natural, 1735) पादपों एवं जंतुओं का वर्गीकरण किया और जीव-जातियों के लिए द्विनाम पद्धति (Binomial Nomenclature, 1749) बनाई। अतः इन्हें आधुनिक वर्गिकी का जनक (Father of Modern Taxonomy) कहते हैं।
  • 4. लैमार्क ने जैव विकास पर मत प्रतिपादन किया तथा फिलॉसफी जूलोजिक (1809) नामक पुस्तक लिखी।
  • 5. वॉन बेयर ने तुलनात्मक शारीरिक (Comparitive Anatomy) एवं भ्रौणिकी का व्यापक अध्ययन किया, ये आधुनिक भ्रौणिकी के जनक कहलाते हैं।
  • 6. श्लाइडेन एवं श्वान ने सन 1838-39 में कोशिका मत का प्रतिपादन किया।
  • 7. मेंडेल ने सन 1866 में प्रसिद्द आनिवंशिकी (Genetics) के नियम बनाये।

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