रायसीना डायलॉग का इतिहास |रायसीना संवाद 2024 की महत्वपूर्ण बातें |Raisina Dialogue Fact 2024

 

रायसीना डायलॉग का इतिहास |रायसीना संवाद 2024 की महत्वपूर्ण बातें |Raisina Dialogue Fact 2024


रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) 2024

  • रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) का 9वाँ संस्करण नई दिल्ली में आयोजित किया गया जिसमें लगभग 115 देशों के 2,500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। 
  • ग्रीस के प्रधानमंत्री क्यारीकोस मित्सो-ताकिस उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

रायसीना डायलॉग का इतिहास 

  • रायसीना डायलॉग भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर आयोजित किया जाने वाला एक एक वार्षिक सम्मेलन है जिसका उद्देश्य विश्व के सम्मुख सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों का समाधान करना है। इसकी प्रेरणा शांगरी-ला डायलॉग से ली गई थी।
  • यह भारत की "आसूचना कूटनीति" का एक घटक है जो प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शित नहीं होता है किंतु राजनयिक पृष्ठभूमि और सशस्त्र बलों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा ढाँचे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है और इसमें राजनीतिक, व्यावसायिक, मीडिया तथा नागरिक समाज पृष्ठभूमि के लोग भाग लेते हैं।
  • इस वार्ता को एक बहु-हितधारक, अंतर-क्षेत्रीय चर्चा के रूप में संरचित किया गया है जिसमें राज्य के प्रमुख, कैबिनेट मंत्री और स्थानीय सरकारी अधिकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्र, मीडिया तथा शिक्षा जगत के विचारक शामिल होते हैं।
  • दिल्ली स्थित थिंक टैंक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF), विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में सम्मेलन की मेज़बानी करता है।

रायसीना डायलॉग वर्ष 2024 थीम और विषयगत स्तंभ:

  • चतुरंग: संघर्ष, प्रतियोगिता, सहयोग, निर्माण।
  • प्रतिभागियों ने छह "विषयगत स्तंभों" पर एक-दूसरे से संवाद की। इसमें शामिल हैं:
  • टेक फ्रंटियर्स: विनियम और वास्तविकताएँ
  • ग्रह के साथ शांति: निवेश और नवप्रवर्तन
  • युद्ध और शांति: शस्त्रागार और विषमताएँ
  • उपनिवेशवाद से मुक्ति बहुपक्षवाद: संस्थाएँ और समावेशन
  • वर्ष 2030 के बाद का एजेंडा: लोग और प्रगति
  • लोकतंत्र की रक्षा: समाज और संप्रभुता।

दुनिया भर में इसी तरह के संवाद:

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (MSC): 

जर्मनी के म्यूनिख में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला MSC अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर चर्चा के लिये सबसे प्रमुख मंचों में से एक है।

शांगरी-ला डायलॉग: 

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ (IISS) द्वारा आयोजित और सिंगापुर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला शांगरी-ला डायलॉग एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा मुद्दों पर केंद्रित है।

ओस्लो स्वतंत्रता मंच: 

यह मानवाधिकार, लोकतंत्र और स्वतंत्रता पर केंद्रित एक वार्षिक सम्मेलन है। यह विश्व स्तर पर मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने के लिये विचारों और रणनीतियों को साझा करने हेतु कार्यकर्त्ताओं, पत्रकारों तथा नीति निर्माताओं को एक साथ लाता है।


रायसीना संवाद 2024 की महत्वपूर्ण बातें 

भू-राजनीतिक बदलाव:

  • प्रतिभागियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस और यूरोपीय देशों जैसे प्रमुख खिलाड़ियों के बीच विकसित हो रही शक्ति गतिशीलता सहित चल रहे भू-राजनीतिक बदलावों पर चर्चा की।
  • नई चुनौतियों और अवसरों के उद्भव के साथ, चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि राष्ट्र अपनी रणनीतियों तथा गठबंधनों को कैसे अपना रहे हैं।

भारत ब्रिजिंग पावर की ओर:

  • भारत के विदेश मंत्री ने भारत को एक "ब्रिजिंग पावर" कहा और कहा कि लोगों ने देश को अपेक्षाकृत निष्पक्ष देखा है साथ ही "विश्वमित्र" या दुनिया के मित्र की भूमिका निभा रहा है।

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा:

  • ग्रीक के प्रधानमंत्री ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं के महत्त्व के बारे में चर्चा की।

बाल्टिक-नॉर्डिक फोरम:

  • मध्य तथा पूर्वी यूरोप के मंत्रिस्तरीय दल जिसमें बाल्टिक-नॉर्डिक फोरम के सभी मंत्री शामिल थे, ने सरकार के लिये एक नई राजनयिक पहुँच को सक्षम बनाया।
  • प्राय: यूरोप के कम महत्त्व वाले लेकिन आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्द्धी क्षेत्र के साथ व्यापार एवं निवेश समझौते स्थापित करना इस प्रयास का लक्ष्य है।

विश्वव्यापी संघर्ष:

  • वार्ता का अधिकांश भाग वैश्विक संघर्षों पर केंद्रित रहा। यूरोपीय गणमान्य व्यक्तियों की अधिक उपस्थिति ने यूक्रेन में रूसी युद्ध को सुर्खियों में ला दिया।
  • सैन्य एवं नौ-सैनिक रणनीति पर पैनल ने आक्रामक चीन को संभालने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें "ग्रे वॉरफेयर" पर चर्चा भी शामिल थी।
  • यूरोपीय मंत्रियों ने भारत से आग्रह किया कि वह रूस के साथ व्यापार और संबंधों पर पुनर्विचार करे तथा 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की दूसरी वर्षगाँठ से पहले यूक्रेन की संप्रभुता के मामले पर ज़ोर दे।
  • विशेष रूप से उन्होंने भारत से यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के अनुरोध पर स्विट्ज़रलैंड में शीघ्र ही आयोजित होने वाले "शांति सम्मेलन" में शामिल होने का आग्रह किया।

क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:

  • सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को संबोधित किया गया, जिसमें भारत-प्रशांत, मध्य-पूर्व तथा पूर्वी यूरोप जैसे क्षेत्रों में तनाव भी शामिल है।
  • प्रतिभागियों ने संघर्ष समाधान, शांति-निर्माण प्रयासों तथा क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता के प्रबंधन की रणनीतियों पर चर्चा की।

प्रौद्योगिकी एवं नवाचार:

  • भू-राजनीति तथा वैश्विक शासन को आकार देने में प्रौद्योगिकी एवं नवाचार की भूमिका एक महत्त्वपूर्ण विषय रही होगी।
  • संवाद में साइबर सुरक्षा, डिजिटल परिवर्तन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर उनके प्रभाव जैसे विषयों को शामिल किया गया है।

ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन

  • यह नई दिल्ली में स्थित एक स्वतंत्र थिंक टैंक है जिसके तीन केंद्र- मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में हैं।
  • इसका उद्देश्य एक निष्पक्ष और न्यायसंगत जगत में एक सुदृढ़ एवं समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में नीतिगत सोच का नेतृत्व तथा सहायता करना है जो भारत के लिये विकल्पों को खोजने व सूचित करने में मदद करता है। यह भारतीय आह्वान और विचारों को वैश्विक संवाद को आयाम देने वाले मंचों तक लाता है।
  • यह विश्व भर में सरकारों, व्यावसायिक समुदायों, शिक्षा जगत और नागरिक समाज में विविध निर्णय निर्माताओं को गैर-पक्षपातपूर्ण, स्वतंत्र, अच्छी तरह से शोधित विश्लेषण तथा इनपुट प्रदान करता है।

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