इन पेशियों का सम्बन्ध आहार नाल, श्वसननाल, मूत्राशय, गर्भाशय, रक्त वाहिकाओं तथा त्वचा की चर्म आदि से होता है अत: इन्हें आन्तरांगीय पेशियाँ (Visceral muscles) कहते हैं। कार्य में ये पेशियाँ अनैच्छिक होती अत: इन्हें अनैच्छिक पेशियाँ (Involuntary muscles) भी कहते हैं। चूंकि इन पेशियों में पट्टियाँ (Bands) नहीं पायी जाती है अतः इन्हें अरेखित या चिकनी पेशी (Unstriated or Smooth muscle) भी कहते हैं।
आंतरांगीय पेशी तन्तु एक-एक करके (Singly) पाये जाते हैं अथवा ये सामान्य संयोजी ऊतक में छोटे-छोटे समूहों में पायी जाती हैं, जैसे आन्त्रीय रसांकुरों (Intestinal villi) की लेमिना प्रोप्रिया (Lamina propria) में जहाँ इनके संकुचन से रसांकुर छोटे हो जाते है जिससे लैक्टियल्स (Lacteals) से लसिका (Lymph) निष्कासन में मदद मिलती है।
इस प्रकार पेशी तन्तुओं की व्यवस्था के आधार पर आंतरांगीय पेशियों को निम्नलिखित दो प्रकारों में बाँटा गया है-
इस प्रकार की पेशी में प्रत्येक पेशी तन्तु एक स्वतन्त्र इकाई के रूप में होता है तथा ये तन्त्रिजनिक (Neurogenic) होती है; जैसे त्वचा को एरेक्टर पिलाई (Arrecter pilli), नेत्रों की सौलियरी (Ciliary) आइरिस तथा (Iris) पेशियाँ।
(ii) एकल इकाई आंतरांगीय पेशी (Single unit visceral muscles) -
इस प्रकार की पेशी में अनेक पेशी तन्तु एकत्रित होकर एक क्रियात्मक समूह बना लेते हैं और अन्तराल सन्धियों (Gap junctions) द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं तथा एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं। ये पेशियाँ स्वप्रेरण द्वारा संकुचित होती हैं; जैसे - आहार नाल, श्वासनाल, मूत्राशय की पेशियाँ ।
आन्तरांगीय पेशी के पेशी तन्तु छोटे, तर्कुरूपी होते हैं जिनके मध्य में केन्द्रक पाया जाता है। इन तन्तुओं की सार्कोलेमा केवल प्लाज्मा झिल्ली की बनी होती है।
आंतरांगीय पेशियों की संकुचनशीलता भी ऐक्टिन तथा मायोसिन प्रोटीन छड़ों के कारण होती हैं परन्तु ये छड़ें अत्यन्त छोटी होती हैं और पेशी तन्तुक नहीं बनातीं अपितु ये सार्कोप्लाज्म में जाल बनाती हैं। मायोसिन छड़ों की संख्या ऐक्टिन छड़ों की अपेक्षा बहुत कम होती है।
अरेखित पेशियों को तन्त्रिकीय आपूर्ति स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Auto-nomic nervous system) से होती है।
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