श्रोणि मेखला तथा निम्न अग्रांग | Pelvic Girdle and Lower Extremity

श्रोणि मेखला तथा निम्न अग्रांग (Pelvic Girdle and Lower Extremity)

श्रोणि मेखला तथा निम्न अग्रांग | Pelvic Girdle and Lower Extremity


 

श्रोणि मेखला तथा निम्न अग्रांग

इनमें 62 अस्थियाँ पायी जाती हैं जिनका वितरण निम्न प्रकार से होता है-

 

1 श्रोणि मेखला (Pelvic girdle)- 

  • श्रोणि मेखला हमारे निम्न अग्रांगों के कंकाल को अक्षीय कंकाल से जोड़ती है। यह दो बड़ीचपटीअसममित तथा चापनुमा (Arched) अस्थियों से मिलकर बनती है। इन अस्थियों को कूल्हा या नितम्ब की अस्थियाँ (Hip bones) कहते हैं। दोनों नितम्ब अस्थियाँ आगे की तरफ मध्य रेखा में श्रोणि संधायक (Pubic symphysis) नामक अत्यधिक लचीले जोड़ द्वारा परस्पर जुड़ी रहती हैं। बाल्यावस्था में प्रत्येक नितम्ब अस्थि में तीन पृथक् पृथक् अस्थियाँ होती हैं जिन्हें इलियम (Ilium), प्यूबिस (Pubis) तथा इस्चियम (Ischium) कहते हैं। वयस्क होने तक ये तीनों अस्थियाँ परस्पर मिल जाती हैं। इन तीनों अस्थियों के समेकन (Fusion) स्थल पर बाहर की तरफ एक प्याले के आकार का गड्डा बन जाता है जिसे एसिटाबुलम (Acetabulum) कहते हैं। इसी एसिटाबुलम में फीमर का सिर धैसा रहता है जिससे कूल्हे का जोड़ (Hip joint) बनता है।

 

  • कूल्हे की अस्थि के सबसे ऊपर का भाग इलियम (Ilium) बनाती है जो सबसे बड़ी अस्थि होती है। इसका ऊपरी भाग चपटा तथा पंखनुमा होता है जिसका ऊपरी किनारा कुछ खुरदरा तथा मुड़े हुए मोटे रिम की तरह का होता है। इसे इलियक क्रेस्ट (Iliac crest) कहते हैं। यह क्रेस्ट पेशियों से जुड़ने के लिए स्थान उपलब्ध कराता है। इलियम के अन्दर की तरफ कान के आकार की सतह (Auricular surface) होती है जो त्रिकास्थि (Sacrum) के साथ जुड़ती है तथा इसकी आन्तरिक सतह पर बड़ा अवतल क्षेत्र होता है जिसे इलियक फोसा (Iliac fossa) कहते हैं। यह इलियक पेशियों के जुड़ने हेतु सतह प्रदान करता है।

 

  • प्यूबिस (Pubis) नितम्ब अस्थि के सामने का निचला भाग बनाती है। दोनों ओर की प्यूबिक अस्थियाँ तन्तुमय उपास्थि द्वारा मध्य रेखा में परस्पर जुड़कर श्रोणि संधायक (Pubic symphysis) बनाती हैं। प्यूबिस से उच्च (Superior) और निम्न (Inferior) दो शाखाएँ (Rami) निकलती है जिनमें से उच्च शाखा इलियम से तथा निम्न शाखा इस्वियम से जुड़ती है। प्यूबिस तथा इस्चियम परस्पर इस प्रकार जुड़ती है कि इनके मध्य एक बड़ा छिद्र बन जाता है जिसमें होकर रक्तवाहिकाएँ एवं तन्त्रिकाएँ जाँघों में पहुँचती हैं। इस छिद्र को ऑब्दुरेटर फोरामेन (Obturator foramen) कहते हैं। 

  • इस्चियम (Ischium) कूल्हे की अस्थि का निचला एवं पिछला भाग बनाती है। यह मजबूत 'V' के आकार की अस्थि होती है जो बैठने पर शरीर का भार वहन करती है। 
  • श्रोणि मेखलात्रिकास्थि तथा अनुत्रिक के साथ मिलकर एक चिलमचीनुमा (Basinlike) श्रोणि (Pelvis) बनाती है जिसमें मूत्राशय तथा स्त्रियों में गर्भाशय घिरा रहता है। स्त्री की श्रोणि का आकार पुरुषों की श्रोणि के आकार से भिन्न होती है जो कि जन्म के समय बच्चे के बाहर निकलने हेतु उपयोजित होती है। स्त्रियों की श्रोणि पुरुषों की श्रोणि से अधिक चौड़ी और गोलाकार होती है। श्रोणि संधायक (Pubic symphysis) के अत्यधिक लचीला होने के कारण बच्चे के जन्म के समय श्रोणि अत्यधिक फैल जाती है।

 

(2) निम्न अग्रांग (Lower extremity)- 

  • हमारे प्रत्येक निम्न अग्रांग में ऊपर से नीचे की ओर तीन भाग होते हैं जिन्हें क्रमशः जाँघ (Thigh), टाँग (Leg) तथा पैर (Foot) कहते हैं। जाँघ में एक ही अस्थि होती है जिसे फीमर (Femur) कहते हैं। टाँग में टोबिया (Tibia) तथा फिबुला (Fibula) नामक दो अस्थियाँ होती हैं। जाँघ तथा टाँग के जोड़ पर पटेला (Patella) नामक सिसैमौएड अस्थि पायी जाती है। पैर के टखने (Ankle) में टार्सल्स (Tarsals), तलुवे (Sole) में मेटाटार्सल्स (Metatarsals) तथा पादांगुलियों (Toes) में अँगुलास्थियाँ (Phalanges) नामक अस्थियाँ पायी जाती है।

 

(i) फीमर (Femur)- 

  • यह शरीर को सबसे लम्बी तथा मजबूत अस्थि है जो जाँच में पायी जाती है। इसके समीपस्थ सिरे को शीर्ष (Head) कहते हैं जो श्रोणि मेखला के ऐसिटाबुलम से सन्धित होता है। शीर्ष के नीचे लम्बीसँकरी ग्रीवा होती है। ग्रीवा के नीचे बाहर की ओर दीर्घ ट्रोकैन्टर (Greater trochanter) तथा अन्दर की ओर लघु ट्रोकैन्टर (Lesser trochanter) नामक उभार होते हैं जो जाँच एवं नितम्ब की पेशियों के जुड़ने के लिए स्थान उपलब्ध कराते हैं। फोमर का दण्ड (Shaft) बीच में कुछ सँकरा तथा ऊपर और नीचे चौड़ा होता है। दण्ड के पश्च सतह पर पूरी लम्बाई में एक खुरदरी धार (Edge) होती है जिसे लिनिया एस्पेरा (Linea aspera) कहते हैं। इससे बहुत-सी पेशियाँ जुड़ती है। फीमर का निचला दूरस्थ सिरा कुछ चपटा होता है जिस पर एक मध्यवर्ती तथा एक पाश्वाय उभार (Median and lateral condyles) होते हैं जो टीबिया से जुड़ते हैं। इन उभारों के ऊपर दो बाह्य उभार (Epicondyles) पाये जाते हैं।

 

(ii) पटेला (Patella)-

  • इसे नी कैप (Knee cap) भी कहते हैं। यह घुटने पर आगे की ओर स्थित एक छोटीचपटीत्रिकोणाकार अस्थि है जो कण्डरा (Tendon) के कैल्शियमीकरण (Calcification) से बनती है। इस प्रकार से बनी अस्थि को सिसैमॉएड अस्थि (Sesamoid bone) कहते हैं। यह फीमर के उभारों से सन्धित होती है। इसके अतिरिक्त यह एक लचीले स्नायु द्वारा टीबिया से जुड़ी रहती है। यह घुटने के सन्धि की सुरक्षा करने के साथ-साथ घुटने को मुड़ने में सहायता करती है।

 

(iii) टीबिया (Tibia)- 

  • यह टाँग की बड़ीमोटी तथा मजबूत अस्थि है जो अन्दर की तरफ अर्थात् अँगूठे को और स्थित होती है। इसे शिन बोन (Shin bone) भी कहते हैं। इसका समीपस्थ सिरा काफी चौड़ा होता है जिस पर मध्यवर्ती तथा पाश्वाय उभार (Median and lateral condyles) पाये जाते हैं। ये उभार फीमर के उभारों से सन्धित रहते हैं। पाश्वाय उभार पर एक छोटा-सा गोल गड्डा (Facet) होता है जिस पर फिबुला का शीर्ष जुड़ता है। टोबिया का दूरस्थ सिरा नीचे की ओर निकला तथा कुछ फैला हुआ होता है। इस निकले हुए। भाग को मध्यवर्ती मैलियोलस (Median malleolus) कहते हैं। यह टैलस (Talus) के शीर्ष से जुड़ता है।

 

(iv) फिबुला (Fibula) - 

  • यह टाँग के बाहर की तरफ की छोटी तथा पतली अस्थि है अर्थात् यह छोटी पादांगुली की तरफ स्थित होती है। इसका समीपस्थ सिरा घुटने के ठीक नीचे टीबिया के पार्वीय उभार से जुड़ता है। इसका दण्ड पतला होता है। इसका दूरस्थ सिरा पार्वीय मैलियोलस (Lateral malleolus) के रूप में टखने के बाहर की तरफ उभरा हुआ होता है। यह टीबिया के नीचे तक निकला रहता है तथा टैलस से जुड़ता है।

 

(v) टार्सल्स (Tarsals)- 

  • टार्सल अस्थियाँ पैर के पिछले भाग अर्थात् टखने (Ankle) का निर्माण करती हैं। इनकी संख्या 7 होती है जिनके नाम हैं-टैलस या एंकलबोन (Talus or anklebone), कैल्केनियस या एड़ी की अस्थि (Calca- neus or heelbone), नेविकुलर (Navicular), क्यूनीफॉर्म (Cunciform) तथा क्यूबॉएड (Cuboid)। इनमें क्यूनीफॉर्म अस्थियाँ संख्या में तीन होती है।

 

(vi) मेटाटार्सल्स (Metatarsals)- 

  • ये पाँच लम्बी अस्थियाँ तलुवे में स्थित होती हैं तथा एक चाप (Arch) के रूप में व्यवस्थित रहती हैं। ये आधार पर क्यूनीफॉर्म तथा क्यूबॉएड टार्सल अस्थियों से जुड़ी रहती हैं।

 

vii) अँगुलास्थियाँ (Phalanges)- 

  • ये संख्या में 14 होती हैं जिनमें से अँगूठे में दो तथा अन्य अँगुलियों में तीन-तीन अँगुलास्थियाँ पायी जाती हैं। ये चलने में स्थिरता के साथ-साथ सहारा प्रदान करती हैं।

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