अनुबन्धीय कंकाल-अंस मेखला तथा उच्च अग्रांग | Appendicular Skeleton in Hindi

 अनुबन्धीय कंकाल-अंस मेखला तथा उच्च अग्रांग

अनुबन्धीय कंकाल-अंस मेखला तथा उच्च अग्रांग


अनुबन्धीय कंकाल (Appendicular Skeleton) 

इसके अन्तर्गत हमारे ऊपरी तथा निचले पादों के कंकाल तथा उन्हें अक्षीय कंकाल से जोड़ने वाली अंस तथा श्रोणि मेखलाएँ आती है।

 

अंस मेखला तथा उच्च अग्रांग (Pectoral Girdle and Upper Extremity) 

इनमें 64 अस्थियाँ पायी जाती हैं जिनका वितरण निम्न प्रकार से होता है- 

अंश मेखला (Pectoral girdle)- 

यह दो अस्थियों की बनी होती है-हँसुली (Clavicle) तथा अंसफलक (Scapula)। 

(1) हँसुली (Clavicle)-

  • इसे कॉलर बोन (Collar bone) भी कहते हैं। यह एक लम्बी, क्षैतिज और दो वक्रों वाली अस्थि है जो ग्रीवा के निचले भाग के समीप स्थित होती है। इसके मुख्य दण्ड (Shaft) के एक तरफ गोल उरोस्थीय सिरा होता है जो उरोस्थि के मैन्यूब्रियम से स्टॉक्लैविकुलर सन्धि (Sternoclavicular joint) द्वारा जुड़ता है तथा दूसरी ओर एक्रोमियल सिरा होता है जो अंसफलक के एक्रोमियल प्रवर्ध से एक्रोमिनोक्लैविकुलर सन्धि (Acrominoclavicular joint) द्वारा जुड़ता है. 

 

(1)असफलक (Scapula)- 

  • इसे कन्फलक (Shoulder bone) भी कहते हैं। यह एक त्रिकोणाकार चपटी अस्थि है जो पश्च वक्षीय भित्ति पर दूसरी से सातवीं पसलियों के ऊपर स्थित होती है। इसकी पसलियों की तरफ वाली अग्र या कॉस्टल सतह (Anterior or Costal surface) पर एक बड़ा गड्‌ढ़ा होता है जिसे सब-स्क्रैपुलर फोसा (Sub-scapular fossa) कहते हैं। इसकी पश्च या पृष्ठ सतह (Posterior or dorsal surface) पर एक कंटकनुमा उभार (Spiny ridge) होता है जिसे स्पाइन (Spine) कहते हैं। यह स्पाइन एक बड़े, चपटे एक्रोमियन प्रवर्ध (Acromian process) के रूप में समाप्त होती है। हँसुली का बाहरी सिरा इसी प्रवर्ध से जुड़ा होता है। इसी प्रवर्ष के ठीक नीचे एक उथला गड्ढ़ा होता है जिसे ग्लिनॉएड गुहा (Glenoid cavity) कहते है। इसी ग्लिनॉएड गुहा में ह्यूमरस (Humerus) अस्थि का सिर धँसा रहता है। एक्रोमियन प्रवर्ध के निकट ऊपर की ओर एक उभरी हुई रचना होती है जिसे कोराकॉण्ड प्रवर्च (Coracoid process) कहते हैं। इससे बाहु (Arm) तथा वक्ष की कुछ पेशियाँ लगी होती है।

 

(B) उच्च अग्रांग (Upper extremity)- 

हमारे प्रत्येक उच्च अग्रांग में ऊपर से नीचे की ओर तीन भाग होते हैं जिन्हें क्रमशः बाहु (Arm), प्रबाहु (Forearm) तथा हाथ (Hand) कहते हैं। बाहु में एक ही अस्थि होती है जिसे ह्यूमरस (Humerus) कहते । प्रबाहु में रेडियस तथा अल्ना (Radius and ulna) नामक दो अस्थियाँ होती हैं। हाथ की कलाई में कार्यल्स (Carpals), हथेली में मेटाकार्पल्स (Metacarpals) तथा अँगुलियों में अँगुलास्थि (Phalanx) नामक अस्थियाँ होती हैं। इन अस्थियों का विवरण निम्नलिखित है- 

(i) ह्यूमरस (Humerus) - 

  • ह्यूमरस उच्च अग्रांग की सबसे बड़ी एवं लम्बी अस्थि है जो कन्धे तथा कोहनी के मध्य स्थित होती है। इसके ऊपरी सिरे पर एक गोल-सा शीर्ष (Head) होता है जो अंसफलक की ग्लिनॉएड गुहा में धँसा रहता है। शीर्ष के ठीक नीचे के सँकरे भाग को एनाटॉमिकल ग्रीवा (Anatomical neck) कहते हैं। इस ग्रीवा के पास एक बड़ा एवं एक छोटा दो उभार होते हैं जिन्हें क्रमशः बड़ी गुलिका (Greater tubercle) तथा छोटी गुलिका (Lesser tubercle) कहते हैं। इन दोनों गुलिकाओं के मध्य में बाइसिपिटल खाँच (Bicipital groove) होती है जिसमें से बाइसेप्स पेशी की। कण्डराएँ गुजरती हैं।

 

  • ह्यूमरस का प्रमुख भाग अर्थात् दण्ड (Shaft) ऊपर की ओर बेलनाकार, बीच में त्रिकोणाकार तथा नीचे की ओर चौड़ा और चपटा होता है। इसके मध्य भाग पर बाहर की ओर एक खुरदरा उभार होता है जिसे डेल्टॉएड उभार (Deltoid ridge) कहते हैं। इससे डेल्टॉएड पेशी लगी रहती है।  

  • ह्यूमरस का निचला चौड़ा चपटा सिरा रेडियस तथा अल्ना के साथ मिलकर कोहनी का जोड़ (Elbow joint) बनाता है। इस पर आगे की ओर कैपिटुलम (Capitulum) नामक गोल उभार होता है जो रेडियस के शीर्ष से जुड़ता है। इसके ठीक ऊपर की ओर रेडियल फोसा (Radial fossa) होता है जो बाँह के मुड़ने पर रेडियस के शीर्ष को स्थान देता है। कैपिटुलम के अन्दर की तरफ अल्ना से जुड़ने के लिए ट्रॉक्लिया (Trochlea) नामक घिरनीनुमा (Pulleylike) रचना होती है जिस पर नीचे की तरफ कोरोनॉएड फोसा (Coronoid fossa) होता है जो बाँह मुड़ने पर अल्ना के कोरोनॉएड प्रवर्ध को स्थान देता है। कुहनी पर पीछे की तरफ एक ओलिकेनन फोसा (Olecranon fossa) होता है जिसमें बाँह के सीधी होने पर अल्ना का ओलिकेनन प्रवर्ध धँसता है।

 

(ii) अल्ना (Ulna) - 

  • यह प्रबाहु में अन्दर की ओर अर्थात् छोटी अँगुली की ओर स्थित होती है तथा अग्रबाहु की दूसरी अस्थि-रेडियस की अपेक्षा कुछ लम्बी होती है। अल्ना का ऊपरी सिरा चौड़ा होता है तथा इस पर ओलिक्रेनन तथा कोरोनॉएड दो प्रवर्ध होते हैं। ओलिक्रेनन प्रवर्ध (Olecranon process) पीछे से ऊपर की ओर निकला होता है तथा कुहनी के सीधे रहने की स्थिति में ह्यूमरस के ओलिक्रेनन फोसा में फिट हो जाता है । तथा  कुहनी के सीधे रहने की स्थिति में ह्यूमरस के ओलिक्रेनन फोसा में फिट हो जाता है तथा कुहनों के पीछे की ओर उभार बनाता है। कोरोनॉएड प्रवर्ध (Coronoid process) सामने की ओर निकला होता है तथा कुहनी के मुड़े रहने पर ह्यूमरस के कोरोनॉएड फोसा में फिट रहता है। इन दोनों प्रवर्थों के मध्य एक बड़ी ट्रोक्लियर खाँच (Trochlearnotch) में ह्यूमरस की ट्रोक्लिया फिट रहती है। ट्रोक्लियर खाँच के ठीक नीचे तथा बाहर की ओर एक रेडियल खाँच (Radial notch) होती है जिसमें रेडियस का शीर्ष जुड़ता है। अल्ना का निचला सिरा छोटा तथा गोल होता है जिसे शीर्ष कहते हैं। इस पर एक उभार भी होता है जिसे स्टाइलॉएड प्रवर्ध (Styloid process) कहते हैं। 

(iii) रेडियस (Radius) - 

  • यह अल्ना के पार्श्व में अर्थात् अँगूठे की ओर स्थित होती है। इसके ऊपरी सिरे पर शीर्ष (Head) होता है जो ह्यूमरस की कैपिटुलम तथा अल्ना के रेडियल खाँच से सन्धित होता है। शीर्ष के नीचे सँकरी ग्रीवा होती है जिसके पार्श्व में अल्ना की तरफ रेडियल उभार (Radial tuberosity) होता है। जिस पर बाइसेप्स पेशी जुड़ती है। रेडियस का दण्ड दूरस्थ सिरे पर चौड़ा होकर कलाई को अस्थियों से सन्धित होता है। इस सिरे के बाहर की ओर स्टाइलॉएड प्रवर्ध (Styloid process) होता है जिसे कलाई पर बाहर की ओर महसूस किया जा सकता है। एक इन्टरओसियस कला (Interosseus membrane) रेडियस तथा अल्ना के दण्डों को आपस में जोड़ती है।

 

(iv) कार्पल्स (Carpals)- 

  • ये अस्थियाँ कलाई का निर्माण करती है। प्रत्येक कलाई में कुल 8 कार्पल्स होती हैं जो 4-4 की दो पंक्तियों में व्यवस्थित होती हैं। कलाई की तरफ की समीपस्थ पंक्ति में बाहर से अन्दर की ओर क्रमश: स्कैफॉएड (Scaphoid). त्यूनेट (Lunate), ट्राइक्वीटूल (Triquetral) तथा पिसिफॉर्म (Pisiform) कार्पल्स तथा दूरस्थ पंक्ति में बाहर से अन्दर की ओर क्रमशः ट्रैपीजियम (Trapezium), ट्रैपीजॉएड (Trapezoid), कैपिटेट (Capitate) तथा हैमेट (Hamate) नामक कार्पल्स व्यवस्थित रहती हैं। सभी कार्पल्स स्नायुओं द्वारा परस्पर जुड़ी रहती है। 

(v) मेटाकार्पल्स (Metacarpals)- 

  • पाँच लम्बी मेटयकार्पत्स हथेलो का निर्माण करती हैं। प्रथम मेटाकार्पल अँगूठे को होती है जो सबसे छोटी होती है। प्रत्येक मेटाकार्पल अस्थि के शीर्ष भाग से अँगुलियों को गाँठ (Knuckles) बनती हैं जिन्हें बाहर से अनुभव कर सकते हैं। 

(vi) अँगुलास्थियाँ (Phalanges)- 

  • प्रत्येक हाथ को अँगुलियों में: अन्य अँगुलियों में तीन-तीन अँगुलास्थियाँ पायी जाती है।

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