बसन्तीकरण क्या होता है इसका महत्त्व| Vernalization in Hindi

  बसन्तीकरण  क्या होता है

बसन्तीकरण  क्या होता है इसका महत्त्व| Vernalization in Hindi



बसन्तीकरण  क्या होता है

  • अनेक पौधों में पुष्पन न केवल ठीक-ठीक दीप्तिकाल (Photoperiod) से बल्कि तापमान द्वारा प्रभावित होता है। कुछ पौधे एक उचित दीप्तिकाल के अलावा पुष्पन के लिए अपने जीवन-चक्र की प्रारम्भिक अवस्थाओं में कम ताप का उपचार (Treatment) चाहते हैं। कम तापमान के उपचार बिना इन पौधों में जनन अवस्था प्रारम्भ नहीं होती है। इस तथ्य को सर्वप्रथम क्लीपार्ट (Klipart, 1958) ने गेहूँ की दो किस्मों-शरद-गेहूँ (Winter wheat) एवं बसन्त-गेहूँ (Spring wheat) पर कार्य करते हुए महसूस किया। शरद-गेहूँ की फसल शरद ऋतु के प्रारम्भ में बोई जाती है तथा इसमें पुष्पन ग्रीष्म ऋतु में होता है। बसन्त-गेहूँ को मार्च में बोया जाता है तथा इसमें पुष्पन शरद-गेहूँ के साथ ग्रीष्म में होता है। परन्तु यदि शरद-गेहूँ को बसन्त-गेहूँ के साथ में बोया जाय तो उसमें केवल कायिक वृद्धि होती है तथा पुष्पन नहीं। होता है। क्लीपार्ट ने पाया कि शरद-गेहूँ को बसन्त-गेहूँ में परिवर्तित किया जा सकता है। यदि उसके अंकुरित बीजों को कम तापमान से उपचारित कर दिया जाय। इसी प्रकार द्विवर्षी पौधों में पुष्पन के लिए शीतकाल के प्रभाव की आवश्यकता होती है

 

  • रूसी वैज्ञानिक टी. डी. लायसेन्को (T. D. Lysenko, 1928) ने देखा कि शरद गेहूँ के अंकुरित एवं भीगे बीजों को कृत्रिम ढंग से 0°-5°C तापमान पर कुछ समय तक रखा जाए तो उनमें बसन्त-गेहूँ के गुण उत्पन्न हो जाते हैं अर्थात् उन्हें बसन्त में बोया जा सकता है और उसी वर्ष ग्रीष्म के अन्त तक काटा जा सकता है। इसी घटना को उन्होंने बसन्तीकरण (Vernalization) का नाम दिया।

 

वसन्तीकरण को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है- 

"बसन्तीकरण वह क्रिया है जो बीजों को अंकुरण के समय उचित निम्न तापमान उपचार (Low temperature treatment) देने से पौधों में कायिक अवस्था को कम करती है तथा शीघ्र पुष्प उत्पन्न करती है।"

 

बसन्तीकरण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Vernalization) 

(1) जल (Water)- 

  • शुष्क बीजों में बसन्तीकरण नहीं होता है। बीज जब जल को अवशोषित कर लेते हैं तभी उनमें उपस्थित एन्जाइम क्रियाशील होकर बसन्तीकरण क्रिया में सहायक होते हैं। 

(2) ऑक्सीजन (Oxygen) - 

  • बीजों में बसन्तीकरण के लिए ऑक्सीजन अत्यन्त आवश्यक होती है। जब बीजों की शीत उपचार के साथ-साथ नाइट्रोजन के वायुमण्डल में रख दिया जाता है तो उनमें बसन्तीकरण नहीं होता है। 

(3) पौधे की आयु (Age of the plant) - 

  • विभिन्न प्रकार के पौधे की आयु के अनुसार ही बसन्तीकरण होता है। खाद्यानों के बीजों के अंकुरण के समय वृद्धि करते हुए भ्रूणों में बसन्तीकरण किया जाता है। 

(4) कम तापमान (Low temperature)- 

  • बीजों में बसन्तीकरण उत्पन्न करने के लिए उन्हें कम तापमान पर उपचारित करना जरूरी होता है। 

वसन्तीकरण का महत्त्व (Importance of Vernalization) 

(1) बसन्तीकरण द्वारा वर्धी अवस्था कम हो जाती हैकिन्तु बनने वाले बीज चमकीलेअधिक भार वाले एवं स्वस्थ होते हैं जिससे पैदावार अधिक होती है। 

(2) बसन्तीकरण किये गये पौधों की पत्तियों में क्लोरोप्लास्ट की मात्रा अधिक होती है जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अधिक तीव्र गति से होने लगती है। 

(3) द्विवर्षी पौधे बसन्तीकरण के प्रभाव से एक वर्ष में ही पुष्पन करने लगते हैं। एकवर्षों पौधे समय से पूर्व उसी मौसम में पुष्पन करने लगते हैं। 

(4) बसन्तीकरण द्वारा पौधों में शुष्कता प्रतिरोध (Drought resistance), शीत प्रतिरोध (Cold resistance) एवं कवक रोगों के प्रति भी प्रतिरोध बढ़ जाता है।

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