नाभिकीय अम्ल क्या होते हैं कार्य एवं प्रकार | What is Nucleic Acids types in Hindi

नाभिकीय अम्ल क्या होते हैं कार्य एवं प्रकार

नाभिकीय अम्ल क्या होते हैं कार्य एवं प्रकार | What is Nucleic Acids types in Hindi



नाभिकीय अम्ल (NUCLEIC ACID) 

न्यूक्लिक अम्ल को खोज सर्वप्रथम प्रसिद्ध स्विस वैज्ञानिक फ्रेडरिक मिशर (F. Miescher) द्वारा 1871 ई. में की गयी। इन्होंने इसे पस कोशिकाओं (Pus cells) से पृथक् किया। रासायनिक विश्लेषण करते हुए मिशर ने न्यूक्लिक अम्ल को सफेद चूर्ण (White powder) के रूप में प्राप्त किया। केन्द्रक से प्राप्त होने के कारण उन्होंने इसका नाम न्यूक्लिन (Nuclein) दिया। अम्लीय स्वभाव (Acidic nature) का होने के कारण आल्टमेन (Altman) ने इसे न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic acid) कहा। बाद में रासायनिक विश्लेषण से स्पष्ट हुआ कि न्यूक्लिक अम्ल न्यूक्लियोटाइड्स के बहुलक होते हैं। 


न्यूक्लिक अम्ल की परिभाषा निम्नानुसार दी जा सकती है

न्यूक्लिक अम्ल, कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस से बने जटिल यौगिक हैं, जो न्यूक्लियोटाइड्स के बहुलक होते हैं एवं जीवों में आनुवंशिक गुणों को धारण करते हैं।"

 

नाभिकीय अम्लों की संरचना of Nucleic Acid) 

न्यूक्लिक अम्लों का जब जल अपघटन (Hydrolysis) करवाया जाता है, तो विभिन्न प्रकार के पदार्थ प्राप्त होते हैं। इन पदार्थों के अध्ययन से न्यूक्लिक अम्ल के रासायनिक संगठन के बारे में पता चलता है। न्यूक्लिक अम्ल न्यूक्लिोटाइड्स के बने होते हैं, जो पुनः फॉस्फोरिक अम्ल, शर्करा एवं नाइट्रोजीनस क्षार के बने होते हैं।

 

न्यूक्लिोटाइड्स (Nucleotides) 

न्यूक्लियोटाइड्स ऐसे कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो कि न्यूक्लियोसाइड्स (Nucleosides) एवं फॉस्फोरिक अम्ल (Phas- phoric acids) के बने होते हैं। न्यूक्लियोसाइड्स नाइट्रोजनी क्षारक (Nitrogenous buses) एवं पेन्टोज शर्करा (Pentose sugars) के बने होते हैं। चूँकि नाभिकीय अम्ल बहुत-से न्यूक्लियोटाइड्स से मिलकर बने होते हैं । अतः इन्हें पॉलिन्यूक्लियोटाइड्स श्रृंखला (Polynucleotides chain) भी कहते हैं।


न्यूक्लियोसाइड्स (Nucleosides) 

न्यूक्लियोसाइड्स ऐसे कार्बनिक यौगिक होते हैं, जो कि नाइट्रोजनी क्षारकों (Nitrog- enous bases) एवं पेन्टोज शर्करा के बने होते हैं।

 
(A) नाइट्रोजनी क्षारक (Nitrogenous bases) 

नाभिकीय अम्लों में सामान्यतः दो प्रकार के नाइट्रोजनी क्षारक (Nitrogenous bases) पाये जाते हैं- 

1. प्यूरीन (Purine) वे क्षारक हैं, जिनमें दो रिंग वाले नाइट्रोजनी यौगिक पाये जाते हैं।प्यूरीन क्षारक भी मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- (i) ऐडीनीन (Adenine = 'A'), (ii) ग्वानीन (Guanine = 'G') 


2. पिरिमिडीन (Pyrimidine) वे क्षारक हैं, जिनमें केवल एक रिंग वाले नाइट्रोजनी यौगिक पाये जाते हैं। ये मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं— (i) सायटोसीन (Cytosine 'C'), (ii) थायमीन (Thymine = 'T'), (iii) यूरेसिल (Uracil 'U') न्यूक्लियोटाइड्स में पाये जाने वाले क्षारकों, शर्कराओं और फॉस्फोरिक अम्लों के नाम व संरचनात्मक सूत्र सारिणी

 

(B) पेन्टोज शर्करा (Pentose sugar) - 

नाभिकीय अम्लों में पायी जाने वाली शर्करा पेन्टोज (Pentose) अर्थात् 5 कार्बन वाली होती है। नाभिकीय अम्लों के न्यूक्लियोटाइडों में दो प्रकार की पेन्टोज शर्कराएँ पाई जाती हैं- 

1. राइबोज शर्करा (Ribose sugar) एवं 

2. डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा (Deoxyribose sugar)

 

डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा में द्वितीय कार्बन अणु पर ऑक्सीजन का एक अणु कम होता है इसलिए इसे डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा कहा जाता है। चूँकि नाइट्रोजनी क्षारकों की कुल संख्या पाँच है। अतः न्यूक्लियोसाइड्स (Nucleosides) एवं न्यूक्लियोटाइड्स (Nucleotides) भी प्रकार के होते हैं। 


न्यूक्लियोसाइड्स के प्रकार (Types of nucleosides) - 

न्यूक्लियोसाइड नाइट्रोजनी क्षारक एवं पेन्टोज शर्करा के बने होते हैं। न्यूक्लियोटाइडों के निर्माण के समय पाँचों क्षारकों में से पहले एक क्षारक राइबोज या डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा से मिलकर एक अणु न्यूक्लियोसाइड बनाते हैं। चूंकि न्यूक्लियोसाइडों के निर्माण में भाग लेने वाले क्षारक पाँच प्रकार के होते हैं। इस कारण पाँच प्रकार के न्यूक्लियोसाइड भी बनते हैं। 

न्यूक्लियोसाइड का नाम

  1. ऐडीनोसीन
  2. ग्वानोसीन
  3. सायटीडीन
  4. थायमीडीन
  5. यूरिडीन


DNA में पेन्टोज शर्करा डी-ऑक्सीराइबोज शर्करा के रूप में होती है तथा RNA में यह राइबोज शर्करा के रूप में होती है।

 

न्यूक्लियोटाइड्स के प्रकार (Types of nucleotides)- 

न्यूक्लियोटाइड्स, नाइट्रोजनी क्षारक, पेन्टोज शर्करा एवं फॉस्फोरिक अम्ल से मिलकर बने होते हैं। चूँकि क्षारकों की संख्या पाँचहोता है। अत: न्यूक्लियोटाइड्स भी पाँच प्रकार के होते हैं-

न्यूक्लियोटाइड का नाम

ऐडीनीलिक अम्ल

ग्वानीलिक अम्ल

सायटीडीलिक अम्ल

थायमीडीलिक अम्ल

यूरिडीलिक अम्ल

नाभिकीय अम्लों के अतिरिक्त कुछ विटामिनों (जैसे- निकोटिनामाइड और राइबोफ्लेविन) तथा सह एन्जाइम्स (Co-en- zymes) में भी न्यूक्लियोटाइड पाये जाते हैं। ये सह एन्जाइम श्वसन तथा प्रकाश-संलेषण में काम आते हैं। न्यूक्लियोटाइड युक्त कुछ महत्वपूर्ण सह एन्जाइम निम्नलिखित हैं-

 

I. N.A.D. Nicotinamide Adenine Dinucleotide. 

2. N.A.D.P. Nicotinamide Adenine Dinucleotide Phosphate. 

3. F.M.N.- Mono Nucleotide. 4. F.A.D.- Flavin Adenine Dinucleotide.

 

कुछ न्यूक्लियोटाइड जीवों के शरीर में ऊर्जा संचय तथा स्थानान्तरण करने वाले पदार्थों या उनके अवयवों के रूप में पाये जाते हैं। इन पदार्थों में ऊर्जा फॉस्फेट समूह के उच्च बन्धों में निहित रहती है। जब ये बन्ध बनते हैं, तो उच्च ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है और जब ये टूटते हैं, तो संचित ऊर्जा मुक्त होती है, जिसका उपयोग जैविक कार्यों के लिए किया जाता है। न्यूक्लियोटाइड्स, न्यूक्लियोसाइड्स के सोनो, डाइ अथवा ट्राइ फॉस्फेट्स होते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि उनमें एक, दो या तीन में से कितने फॉस्फेट अणु उपस्थित हैं, वह न्यूक्लियोटाइड्स जिनमें एक-से-अधिक फॉस्फेट अणु होते हैं, उन्हें उच्च न्यूक्लियोटाइड्स (Higher nucleotides) कहते हैं, उदाहरण - A.D.P. एवं A.T.P. I

 

ATP (Adenosine Tri Phosphate) 

जीवों के शरीर में अनेक ऐसे न्यूक्लियोटाइड्स पाये जाते हैं, जो शरीर में ऊर्जा संचय एवं स्थानान्तरण (Storage and Transferof energy) का कार्य करते हैं। इन न्यूक्लियोटाइड्स में उच्च ऊर्जायुक्त फॉस्फेट बन्ध पाये जाते हैं। जब ये फॉस्फेट समूह न्यूक्लियोटाइड्स से टूटते हैं, तो इनमें संचित ऊर्जा (7-6 kcal) मुक्त होती है। इस ऊर्जा का उपयोग जैविक कार्यों के लिये किया जाता है। एक न्यूक्लियोटाइड अणु के साथ जुड़े हुए फॉस्फेट समूह की संख्या एक, दो अथवा तीन हो सकती है। इसके अनुरूप इनके मोनी, डाइ अथवा ट्राइ-फॉस्फेट, बनते हैं। ATE, GTP, ADP एवं AMP ऊर्जा का स्थानान्तरण करने वाले महत्वपूर्ण फॉस्फेटयुक्त न्यूक्लियोटाइड्स हैं। इनमें ऊर्जा मात्रा फॉस्फेट समूहों की संख्या की स्थिति पर निर्भर करती है। न्यूक्लियोटाइड्स के ट्राइफॉस्फेट्स जैसे— ATP के तीसरे फॉस्फेट समूह में ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है। दूसरे एवं पहले फॉस्फेट में यह मात्रा क्रमशः होती है। एक-से-अधिक फॉस्फेट समूह धारण करने वाले न्यूक्लियोटाइड्स को उच्च न्यूक्लियोटाइड्स (Higher nucleotides) कहते हैं। इनमें एडीनोसीन के फॉस्फेट प्रमुख हैं। एडीनोसीन के साथ एक, दो अथवा तीन फॉस्फेट समूह जुड़े होतेहैं, यथा- 

A.M.P-Adenosine mono-phosphate 

A.D.P. Adenosine di phosphate: 

A.T.P.-Adenosine tri-phosphate.

 

न्यूक्लियोटाइड का कोशिका में स्थान (Cellular location of nucleotide ) – 

न्यूक्लियोटाइड समस्त आनुवंशिक पदार्थों (R.N.A. और D.N.A.) में पाये जाते हैं। ये माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) (R.N.A. और D.N.A., A.T.P, A.D.P. में) राइबोसोम (Ribosomes) तथा हरितलवक (Chloroplast) में पाये जाते हैं। कोशिका के कोशिकाद्रव्य में भी स्वतंत्र रूप से के रूप कुछ न्यूक्लियोटाइड बिखरे रहते हैं और R.N.A. के रूप में प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेते हैं।

 

न्यूक्लियोटाइड्स के कार्य (Functions of nucleotides) - 

1. विभिन्न प्रकार के न्यूक्लियोटाइड्स बहुलीकरण (Polymerisation) द्वारा नाभिकीय अम्लों का निर्माण करते हैं, जो आनुवंशिक पदार्थ के रूप में कार्य करते हैं। 

2. यह ATP ADP के रूप में ऊर्जा का संचय तथा स्थानान्तरण करते हैं। 

3. कुछ न्यूक्लियोटाइड्स सह एन्जाइम (Co-enzyme) के रूप में कार्य करते हैं। 

उदाहरण - NAD, NADP, FMN, FAD आदि। 

4. कुछ न्यूक्लियोटाइड विटामिन के रूप में भी कार्य करते हैं। 

5. कुछ न्यूक्लियोटाइड कोशिकांगों, जैसे- राइबोसोम, माइटोकॉण्ड्रिया, हरितलवक

 

नाभिकीय अम्लों के प्रकार (Types of Nucleic Acids) 

पेन्टोज शर्करा के प्रकारों के आधार पर नाभिकीय अम्ल दो प्रकार के होते हैं-

 

1. डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid DNA) 

2. राइबोन्यूक्लिक एसिड (Ribonucleic Acid RNA)

 

राइबोन्यूक्लिक एसिड पुनः तीन प्रकार के होते हैं- 

(i) सन्देशवाहक RNA (Messenger RNA)  mRNA

(ii)  ट्रांसफर RNA (Transfer RNA)  - tRNA 

(iii) राइबोसोमल RNA (Ribosomal RNA) rRNA

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