शैक्षिक प्रशासन में सम्प्रेषण में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय |Measures to remove communication barriers in educational administration

शैक्षिक प्रशासन में सम्प्रेषण में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय

शैक्षिक प्रशासन में सम्प्रेषण में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय |Measures to remove communication barriers in educational administration


 

शैक्षिक प्रशासन में सम्प्रेषण में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय

शैक्षिक प्रशासन के सभी कार्य तभी सफलतापूर्वक संचालित हो सकते हैं जब शैक्षिक प्रशासन से जुड़े व्यक्तियों के प्रभावशाली सम्प्रेषण हो। एक प्रभावशाली सम्प्रेषण में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-

 

(1) शैक्षिक प्रशासक को उत्तरदायित्व निदेशन के दौरान सन्देश / निर्देश बहुत ही अच्छी प्रकार से तैयार करके देना चाहिये। 

(2) विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को भी पूर्वाग्रह से रहित होकर स्पष्ट भाषा एवं उच्चारण के साथ शिक्षण करना चाहिये। 

(3) शैक्षिक प्रशासक को समूह की राय / प्रतिक्रिया लेते समय गंभीरतापूर्वक सभी के विचारों को चाहिये तभी किसी निष्कर्ष पर पहुँचना चाहिए।

(4) शैक्षिक प्रशासक संस्था के हित में कर्मचारियों का मूल्यांकन करता है। उसे संस्था से जुड़े व्यक्तियों के समक्ष मूल्यांकन के उद्देश्यों को उचित प्रकार से स्पष्ट करना चाहिये । 

(5) शैक्षिक प्रशासन की सबसे बड़ी बाधा प्रशासक एवं अधीनस्थ कर्मचारियों के बीच संवादहीनता की स्थिति बनी रहना। यह सम्प्रेषण में बड़ी बाधा है। प्रशासक को समय-समय पर व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से कर्मचारियों से औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों रूप से मिलते रहना चाहिए। 

(6) शैक्षिक प्रशासक को सरलसुगमसुबोध तथा स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए। किस शब्द प्रयोग कहा तथा किस लिए किया गया है यह संदर्भ स्पष्ट होना चाहिए। 

(7) संदेश को लिखते समय विशेष सावधानी बरतना चाहिए उसे इस प्रकार लिखा जाना चाहिए कि संदेश ग्रहण करने वाला उसे आसानी से समझ सके। संदेश की ईकोडिंग उचित तरीके से की जानी चाहिए। अर्थात प्रशासक द्वारा तैयार कराया गया कोई भी निर्देश भाषायी दृष्टि से सही होना चाहिए। 

(8) संदेश में यदि किसी बात पर विशेष बल देने की आवश्यकता है तो उसकी पुनरावृति एक निश्चित सीमा तक की जा सकती है.  

(9) संदेश के स्वरूप या प्रकृति के अनुसार ही उचित चैनल या माध्यम का चुनाव किया जाना चाहिए तथा यदि आवश्यक हो तो एक साथ अनेक चैनल का प्रयोग क्रमानुसार भी किया जा सकता है। 

(10) प्रतिपुष्टि (Feedback) अवश्य प्रदान की जानी चाहिए तथा प्रतिपुष्टि प्रदान करने में विलंब नहीं किया जाना चाहिए ताकि पता चल सके कि संदेश अपना सही अर्थ प्रेषित कर सका है कि नहीं। 

(11) सम्प्रेषण प्रक्रिया में देरी करने वाले तत्वों पर नजर रखी जानी चाहिए।  

(12) संदेश स्रोत / संदेश भेजने वाले तथा संदेश ग्रहणकर्ता ऐसा होना चाहिए जिसका उच्चारण सुस्पष्ट हो तथा उसके संदेश में भाषायी कमियाँ कम से कम हो अर्थात ऐसे शिक्षककर्मचारी तथा शैक्षिक प्रशासक शैक्षिक संस्था में नियुक्त किये जाने चाहिए जिनमें भाषायी योग्यता हो । 

(13) संदेश ग्रहण कर्ता को सुनने की अच्छी आदत डालनी चाहिए इसके लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए। 

(अ) जो व्यक्ति संदेश लाया है उसे देख कर अथवा संदेश का लिफाफा देख कर संदेश के बारे में अनुमान लगाना गलत है। 

(ब) संदेश सुन कर अथवा पढ़कर विचारों की अपेक्षा संदेश में निहित तथ्यों की ओर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। 

(स) यदि कक्षा में कोई बात स्पष्ट न हुई हो तो तुरंत पूछने के अपेक्षा कक्षा के अंत में अपनी समस्या रखना चाहिए जिससे शिक्षक को प्रारम्भ से अंत तक बिना किसी हस्तक्षेप के सुना जा सके । 

(द) सुनते समय अन्य दृश्यों अथवा शोर आदि पर ध्यान नहीं देना चाहिए । 

(य) सुनते समय कहने वाले की बातउसकी मुखमुद्राउसकी आवाज़उसकी कहने की गति आदि पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि अच्छे प्रकार सुनने वाले व्यक्ति हमेशा अच्छा सम्प्रेषण करने में समर्थ होते है। 

(र) यदि सुनते समय आस-पास बहुत शोर हो रहा हो तो उस शोर को कम करवाने हेतु प्रयास किया जाना चाहिए।

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