विश्व रेडियो दिवस इतिहास उद्देश्य महत्व | World radio day History Importance

विश्व रेडियो दिवस इतिहास उद्देश्य महत्व

विश्व रेडियो दिवस इतिहास उद्देश्य महत्व | World radio day History Importance

विश्व रेडियो दिवस इतिहास उद्देश्य महत्व

प्रति वर्ष 13 फरवरी विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। यह दिवस रेडियो के महत्व के बारे में आम जनता और समाचार माध्यमों में जागरूकता बढ़ाने तथा रेडियो के जरिये सूचना उपलब्ध कराने के लिए नीति-निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह दिवस दुनिया भर के लोगों के जीवन को प्रभावित करने और उन्हें परस्पर जोड़ने की रेडियो की अद्भुत क्षमता को याद करने का अवसर भी होता है।

आपको बता दें स्पेन रेडियो अकैडमी ने 2010 में पहली बार इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव रखा था।इसके बाद 2011 में यूनेस्को की महासभा के 36वें सत्र में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस घोषित किया गया। 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के तौर पर यूनेस्को की घोषणा को संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 14 जनवरी, 2013 को मंजूरी प्रदान की। इसके लिए 13 फरवरी की तारीख रखने का विशेष कारण यह था कि संयुक्त राष्ट्र संघ के अपने यू एन रेडियो की स्थापना 13 फरवरी 1946 को हुई थी। तब से प्रतिवर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाने लगा।

विश्व रेडियो दिवस के 10वीं वर्षगाठ और रेडियो के 110 साल होने पर यूनेस्को द्वारा समस्त रेडियो स्टेशन को यह दिवस मनाने का आह्वाहन किया है।


कनाडा के वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेंसडेन ने 24 दिसबंर, 1906 को रेडियो प्रसारण (Radio Broadcast) शुरू किया था।  इसके बाद वर्ष 1918 में ली द फोरेस्ट ने न्यूयॉर्क के हाईब्रिज में दुनिया के पहले रेडियो स्टेशन की शुरुआत की थी। कहा जाता है कि उस समय वहाँ की पुलिस ने इसे अवैध बताकर बंद करा दिया था तो वहीं भारत में वर्ष 1936 में पहले सरकारी रेडियो इम्पीरियल रेडियो ऑफ इंडियाकी शुरुआत हुई थी। देश की आज़ादी के बाद इसे ऑल इंडिया रेडियो या आकाशवाणी नाम दे दिया गया। वर्तमान में भारत में कुल 214 सामुदायिक रेडियो प्रसारण केंद्र हैं। वर्ष 2022 में विश्व रेडियो दिवस की थीम विकास’ (Evolution) है।

सूचना और प्रौद्योगिकी के इस नए दौर में रेडियो का महत्व

दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में स्थित लोगों के मनोरंजन एवं सूचनाओं के प्रसार हेतु

स्थानीय और क्षेत्रीय मुद्दों के संदर्भ में जागरूकता को बढ़ाने हेतु

स्थानीय संस्कृति के प्रोत्साहन एवं विकास हेतु(सामुदायिक रेडियो के माध्यम से)

आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित सूचनाओं के संप्रेषण हेतु

आपातकालीन परिस्थितियों में लोगों को आपदाओं यह अन्य जोखिमों के प्रति तैयारी को निर्देशित करने हेतु


भारत में रेडियो का इतिहास 

भारत में रेडियो प्रसारण की पहली शुरुआत जून 1923 रेडियो क्लब मुंबई द्वारा हुई थी लेकिन इंडियन ब्रॉडकास्ट कंपनी के तहत देश के पहले रेडियो स्टेशन के रूप में बॉम्बे स्टेशन तब अस्तित्व में आया जब 23 जुलाई 1927 को वाइसराय लार्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया, लेकिन 8 जून 1936 को इंडियन स्टेट ब्राडकास्टिंग सर्विस को ऑल इंडिया रेडियोका नाम दे दिया गया जिस नाम से यह आज तक प्रचलित है।

हमारे देश में तकनीकी रूप से तीन प्रकार के रेडियो प्रसारण केन्द्र काम कर रहे हैं- मीडियम वेव, शोर्ट वेव और एम.एम. प्रसारण केन्द्र। इन प्रसारणों की तरंगों की फ्रीक्वेंसी अलग-अलग होती है।

वर्तमान समय में इंटरनेट रेडियो या डिजिटल रेडियो का भी प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है। आपको बता दें उदारीकरण के बाद निजी रेडियो चैनलों की संख्या में काफी तेजी से वृद्धि हुई।

इसके साथ-साथ भारत में सामुदायिक रेडियो का भी विकास हो रहा है। आज भारत में 180 से अधिक सामुदायिक रेडियो स्टेशन हैं, जो बुंदेलखंडी, गढ़वाली, अवधी और संथाली जैसी भाषाओं में प्रसारित होते हैं। उल्लेखनीय है कि इन स्थानीय भाषाओँ को आमतौर पर टेलीविजन पर बहुत कम या कोई स्थान नहीं मिल नहीं पता हैं।


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