विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2023: इतिहास उद्देश्य महत्व |World social justice day 2023

विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2023: इतिहास उद्देश्य महत्व 

विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2023: इतिहास उद्देश्य महत्व |World social justice day 2023



विश्व सामाजिक न्याय दिवस 2023: इतिहास उद्देश्य महत्व

प्रतिवर्ष 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस का आयोजन किया जाता है। यह दिवस गरीबी उन्मूलन, रोज़गार सृजन, उचित कार्य स्थिति एवं लैंगिक समानता आदि के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को और अधिक मज़बूत करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।

सामाजिक न्याय का तात्पर्य देशों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और विकास के लिये आवश्यक सिद्धांत से है, जो न केवल अंत:देशीय समानता अपितु अंतर्देशीय समानता की स्थितियों से भी संबंधित है।

सामाजिक न्याय की संकल्पना को आगे बढ़ाने हेतु समाज में लिंग, उम्र, नस्ल, जातीयता, धर्म, संस्कृति या विकलांगता आदि असमानताओं को समाप्त करना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन’ (ILO) के निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिये सामाजिक न्याय पर घोषणाजैसे उपायों के माध्यम से सामाजिक न्याय के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में कार्य कर रहा है। सामाजिक न्याय के 5 प्रमुख सिद्धांतों में शामिल हैं- संसाधनों तक पहुँच, न्याय संगतता, सहभागिता, विविधता और मानवाधिकार।


अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन पृष्ठभूमि

वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा राष्ट्र संघ की एक संबद्ध एजेंसी के रूप में इसकी स्थापना हुई।

वर्ष 1946 में यह संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध पहली विशिष्ट एजेंसी बन गया।

मुख्यालय: जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड

स्थापना का उद्देश्य: वैश्विक एवं स्थायी शांति हेतु सामाजिक न्याय आवश्यक है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानवाधिकारों एवं श्रमिक अधिकारों को बढ़ावा देता है।

वर्ष 1969 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन को निम्नलिखित कार्यों के लिये नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया-

  • विभिन्न सामाजिक वर्गों के मध्य शांति स्थापित करने हेतु
  • श्रमिकों के लिये सभ्य कार्य एवं न्याय का पक्षधर
  • अन्य विकासशील राष्ट्रों को तकनीकी सहायता प्रदान करना
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई-
  • महामंदी के दौरान श्रमिक अधिकारों को सुनिश्चित करना
  • वि-औपनिवेशिकरण की प्रक्रिया
  • पोलैंड में सॉलिडैरिटी (व्यापार संगठन) की स्थापना
  • दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद पर विजय
  • वर्तमान में यह एक न्यायसंगत वैश्वीकरण हेतु नैतिक एवं लाभदायक ढाँचे के निर्माण में आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है।


अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की संरचना

ILO तीन मुख्य निकायों सरकारों, नियोक्ताओं एवं श्रमिकों के प्रतिनिधियों के माध्यम से अपना कार्य संपन्न करता है:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन: यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों एवं ILO की व्यापक नीतियों को निर्धारित करता है। यह प्रतिवर्ष जेनेवा में आयोजित किया जाता है। इसे प्रायः अंतर्राष्ट्रीय श्रम संसद के रूप में संदर्भित किया जाता है।

सामाजिक एवं श्रम संबंधी प्रश्नों पर चर्चा के लिये भी यह एक प्रमुख मंच है।

शाषी निकाय: यह ILO की कार्यकारी परिषद है। प्रतिवर्ष जेनेवा में इसकी तीन बैठकें आयोजित की जाती हैं।

यह ILO के नीतिगत निर्णयों का निर्धारण एवं कार्यक्रम तथा बजट तय करता है, जिन्हें बाद में स्वीकृति हेतु सम्मेलन’ (Conference for Adoption) में प्रस्तुत किया जाता है।

संचालन निकाय एवं श्रम संगठन के कार्यालय के कार्यों में त्रिपक्षीय समितियों द्वारा सहायता की जाती है जो कि प्रमुख उद्योगों को कवर करती हैं।

व्यावसायिक प्रशिक्षण, प्रबंधन विकास, व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य, औद्योगिक संबंध, श्रमिकों की शिक्षा तथा महिलाओं और युवा श्रमिकों की विशेष समस्याओं जैसे मामलों पर विशेषज्ञों की समितियों द्वारा भी इसे समर्थन प्राप्त होता है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय: यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का स्थायी सचिवालय है।

यह ILO की संपूर्ण गतिविधियों के लिये केंद्र बिंदु है, जिसे संचालन निकाय की संवीक्षा एवं महानिदेशक के नेतृत्व में तैयार किया जाता है।

विशेष रुचि के मामलों की जाँच हेतु समय-समय पर ILO सदस्य राष्ट्रों की क्षेत्रीय बैठकें संबंधित क्षेत्रों के लिये आयोजित की जाती हैं।


अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन ILO के कार्य

सामाजिक तथा श्रम मुद्दों को हल करने हेतु निर्देशित समन्वित नीतियों एवं कार्यक्रमों का निर्माण करना।

अभिसमयों के रूप में अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को अपनाना तथा उनके कार्यान्वयन को नियंत्रित करना।

सामाजिक एवं श्रम समस्याओं को सुलझाने में सदस्य राष्ट्रों की सहायता करना।

मानवाधिकारों (काम करने का अधिकार, संघ की स्वतंत्रता, सामूहिक वार्ता, बलात् श्रम से सुरक्षा, भेदभाव से सुरक्षा, आदि) का संरक्षण करना।

सामाजिक एवं श्रम मुद्दों पर कार्यों का अनुसंधान तथा प्रकाशन करना।


अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन ILO के लक्ष्य

कार्य के मानकों एवं मौलिक सिद्धांतों तथा अधिकारों को बढ़ावा देना और उन्हें वास्तविक धरातल पर लाना।

सभ्य कार्य सुनिश्चित करने हेतु महिलाओं एवं पुरुषों के लिये अधिक से अधिक रोज़गार के अवसर सृजित करना।

सभी के लिये सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना तथा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों की प्रभावशीलता को बढ़ाना।

त्रिपक्षीय एवं  सामाजिक संवाद को मज़बूत करना।

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