मास मीडिया का सरकारी स्वामित्व |Government ownership of mass media

मास मीडिया का सरकारी स्वामित्व

मास मीडिया का सरकारी स्वामित्व |Government ownership of mass media



मास मीडिया का सरकारी स्वामित्व 

भारत में आजादी के बाद जैसे जैसे मास मीडिया का महत्व बढ़ता गयाइसके स्वामित्व के प्रति सरकार की ललक भी बढ़ती गई। आजादी के बाद के प्रारम्भिक दिनों में भारत में मुद्रित माध्यमों पर भले ही सरकारी स्वामित्व नहीं बन पाया था लेकिन दृश्य-श्रव्य माध्यमों पर उसकी पूरी पकड़ थी। ये माध्यम पूरी तरह सरकार के ही स्वामित्व में थे। हालांकि भारत के दृश्य श्रव्य माध्यमों में से एक रेडियो की शुरूआत में इसका स्वामित्व निजी क्षेत्र के ही हाथों में था।

 

1 रेडियो : 

देश का पहला रेडियो प्रसारण 1921 में टाइम्स आफ इण्डिया के मुम्बई कार्यालय से शुरू था। डाक व टेलीग्राफ विभाग की मदद से इस कार्यक्रम के जरिए गर्वनर जार्ज लॉयड ने मुम्बई से 175 किलोमीटर दूर पूना में अपने घर में इस कार्यक्रम का आनन्द लिया। उन्ही दिनों बीबीसी ने भी भारत के लिए रेडियो प्रसारण की एक योजना बनाई जो पूरी नहीं हो सकी। सरकार इस समय तक रेडियो प्रसारण के जरिए अपनी आय बढ़ाने की सोचने लगी थी। नवम्बर 1923 में कोलकाता के रेडियो क्लब ऑफ इण्डिया ने अस्थाई अनुमति के आधार पर प्रसारण शुरू कर दिया। जून 1924 में मुंबई से भी बाम्बे रेडियो क्लब का प्रसारण शुरू हो गया। इसके बाद मद्रास प्रेजीडेंसी रेडियो क्लब ने भी चेन्नई से अपना प्रसारण शुरू कर दिया। इसी ने बाद में 1934 में मद्रास रेडियो प्रसारण का रूप लिया।

 

31 मार्च 1926 को कंपनी एक्ट के तहत इण्डियन ब्राडकास्टिंग कंपनी की स्थापना हुई और 23 जुलाई 1927 को लाई इरविन ने इण्डियन ब्राडकास्टिंग कम्पनी के मुम्बई केन्द्र से पहला प्रसारण शुरू करवाया। इस कंपनी का स्वामित्व भी निजी था और राजा साहब धनराज गिरी 2.64 लाख रूपए लगाकर इसके सबसे बड़े हिस्सेदार बने। दूसरे स्थान पर इण्डियन रेडियो टेलीग्राफ कंपनी थी जिसने 2.63 लाख रूपये लगाए थे। शेष 73,000 रूपये अन्य छोटे हिस्सेदारों के थे। कंपनी के दूसरे रेडियो स्टेशन ने 26 अगस्त 1927 को कोलकाता से प्रसारण शुरू किया। लेकिन इसी दौर में आजादी की माँग तेज होते जाने के कारण सरकार रेडियो के निजी स्वामित्व को खत्म करने की सोचने लगी। 15 जून 1927 को वायसराय के निर्देश के अनुसार इण्डियन ब्रांडकास्टिंग कम्पनी को बताया गया कि उसके द्वारा प्रसारित समाचार वही हो सकते हैं जो राइटर्स और एसोसिएटेड प्रेस नामक समाचार एजेंसियों द्वारा जारी किए गए हों। अन्य स्वतंत्र स्रोतों से प्राप्त समाचार न्यूजबुलेटिन में नहीं रखे जा सकेंगे। इस प्रतिबन्ध को देश के रेडियो प्रसारण में पहली सेंसरशिप माना जाता है। इस दौरान इण्डियन ब्राडकास्टिंग कंपनी लगातार घाटे में आती जा रही थी। बीबीसी लन्दन से आए पाँच बड़े अधिकारियों के एकाएक इस्तीफे के बाद स्थिति और बिगड़ गई और अन्ततः मार्च 1930 में कंपनी दिवालिया घोषित हो गई। परन्तु रेडियो प्रसारण बन्द न हो इसके लिए सरकार की मदद से इण्डियन ब्राडकास्टिंग कंपनी की सम्पत्ति और संसाधनों की सहायता से इण्डियन स्टेट्स ब्राडकास्टिंग सर्विस (आईएसबीएस) नामक एक नई कंपनी बना दी गई। मगर इस प्रयोग के भी अधिक सफल न हो पाने के बाद अन्ततः सरकार ने 1932 में आईएसबीएस को सरकारी स्वामित्व में बदलने का फैसला किया। 8 जून 1935 से आईएसबीएस का नाम ऑल इण्डिया रेडियो कर दिया गया और इसी ने 30 अगस्त 1935 को आल इण्डिया रेडियो के नाम से अपने प्रसारण शुरू कर दिए। हालांकि इसके साथ-साथ लाहौर

 

में वाईएमसीए का निजी प्रसारण 1937 तक तथा इलाहाबाद और देहरादून में निजी रेडियो प्रसारण क्रमश: 1939 और 1940 तक चलते रहे। मैसूर में आकाशवाणी के नाम से और त्रावणकोर में त्रावणकोर रेडियो के नाम से निजी रेडियो कार्यक्रम प्रसारित होते रहे। हैदराबाद के निजाम और बड़ौदा के राजा के भी निजी रेडियो प्रसारण चल रहे थे। उस दौर में अन्य अनेक देशी राजा महाराजाओं के भी अपने निजी रेडियो केन्द्र चल रहे थे। लेकिन आजादी के बाद ये सब ऑल इण्डिया रेडियो का हिस्सा बनते चले गए। आजादी के बाद लगभग 50 वर्ष तक देश में रेडियो पर पूरी तरह सरकारी प्रभुत्व रहा लेकिन 1999 में एफ. एम. रेडियो को निजी क्षेत्र के लिए खोल देने के बाद इस क्षेत्र में एक बार फिर निजी कंपनियों को स्वामित्व मिलने लगा है। 1990 में प्रसार भारती अधिनियम के बन जाने के बाद अब रेडियो और टीवी का स्वामित्व सरकारी होने के साथ ही स्वायत्त भी हो गया है।

 

2 टेलीविजन :

 

भारत में फिलिप्स कंपनी ने 1955 में पहली बार दिल्ली के औद्योगिक मेले में टेलीविजन प्रसारण का प्रदर्शन किया था। बाद में फिलिप्स के ट्रांसमीटर और अन्य उपकरणों के जरिए अप्रैल 1958 में आकाशवाणी भवन नई दिल्ली से टीवी के प्रायोगिक प्रसारण की शुरूआत की गई। 15 सितम्बर 1959 को दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट में देश के पहले टीवी ट्रांसमीटर ने काम करना शुरू कर दिया और राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने इस पहले प्रसारण का उद्घाटन किया। तब से 25 किलोमीटर रेंज के इस ट्रांसमीटर की मदद से सप्ताह के दो दिन 60 मिनट का टीवी कार्यक्रम दिखाया जाने लगा।

 

रेडियो के विपरीत देश में टीवी प्रसारण का आरम्भ ही सरकारी स्वामित्व वाले जनसंचार माध्यम के रूप में हुआ। हालांकि टीवी के पहले नियमित प्रसारण शैक्षिक कार्यक्रमों के रूप में थे । इसके लिए टीवी की तत्कालीन संचालक संस्था आकाशवाणी ने अमेरिका की फोर्ड फाउण्डेशन के साथ एक समझौता किया था। जिसके तहत दिल्ली के विभिन्न माध्यमिक स्कूलों में 600 टीवी सेट लगाए गए और इन स्कूलों के लिए शाम को 3 से 4 बजे तक एक घंटे का शैक्षिक कार्यक्रम शुरू कर दिया गया।

 

1965 में 15 अगस्त से टीवी पर दैनिक समाचार बुलेटिन की शुरूआत हुई। देश का दूसरा टेलीविजन केन्द्र 2 अक्टूबर 1972 को मुम्बई में शुरू हुआ और 1975 से देश में उपग्रह प्रसारण आरम्भ हुआ। एक जनवरी 1976 से टीवी में विज्ञापनों का प्रसारण आरम्भ हुआ और 15 अगस्त 1982 से टेलीविजन पर राष्ट्रीय प्रसारण शुरू हो गया। इसी के बाद 1990 में ससंद में प्रसार भारती अधिनियम पारित हुआ और 22 जुलाई 1997 को गजट में प्रकाशित होने के बाद 15 सितम्बर 1997 से यह लागू हो गया। इसके लागू होने के बाद दूरदर्शन में कुछ हद तक स्वायत्त की शुरूआत हो गई।

 

कड़ी चुनौती के बावजूद आज भी निजी स्वामित्व वाले टीवी मीडिया की ओर से सरकारी और स्वायत्त (प्रसार भारती) प्रबन्धन में संचालित दूरदर्शन टेलीविजन मीडिया में अपना वर्चस्व बरकरार रखने में कामयाब दिखता है और पहुँच के मामले में इसकी पकड़ पूरे देश पर है।

 

भारत में सिनेमा हमेशा से ही निजी स्वामित्व वाला मीडिया रहा है। लेकिन वृत्त चित्रों के मामले मेंखास तौर पर समाचार आधारित वृत्त चित्रों के मामले में भी काफी समय तक स्वामित्व सरकारी क्षेत्र का ही बना रहा। न्यूज रील के नाम से सिनेमाघरों में दिखाई जाने वाली फिल्में सरकारी स्वामित्व वाले दृश्य एवं प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) के फिल्म प्रभाग या अन्य सरकारी संस्थाओं द्वारा ही बनवाई जाती थीं। कई भाषाओं में बनने वाली इन फिल्मों ने एक दौर में बेहद लोकप्रियता हासिल की। लेकिन अब टीवी और मल्टी प्लैक्स के दौर में इन फिल्मों की उपयोगिता और महत्व खत्म हो गया है।

 

अभ्यास प्रश्न: 

प्रश्न-1 देश का पहला रेडियो स्टेशन किस संस्था ने स्थापित किया था? 

प्रश्न-2 इण्डियन ब्राडकास्टिंग कंपनी की स्थापना कब हुई थी ? 

प्रश्न- 3 इण्डियन ब्राडकास्टिंग कंपनी के सबसे बड़े हिस्सेदार कौन थे? 

प्रश्न-4 देश में रेडियो प्रसारण पर पहली सेसंरशिप कब लागू हुई थी? 

प्रश्न-5 इण्डियन स्टेट्स ब्राडकास्टिंग कंपनी की स्थापना क्यों हुई थीं? 

प्रश्न - 6 देश में सरकारी स्वामित्व में रेडियो प्रसारण कब शुरू हुआ था?

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