DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) 65 वां स्थापना दिवस | Defence Research and Development Organisation - DRDO

 DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) 65 वां स्थापना दिवस 

DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) 65 वां स्थापना दिवस |  Defence Research and Development Organisation - DRDO



रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा  1 जनवरी 2023 को 65 वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा ।

 

DRDO क्या है ?

DRDO रक्षा मंत्रालय का रक्षा अनुसंधान एवं विकास (Research and Development)  विंग है, जिसका लक्ष्य भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों से सशक्त बनाना है।

आत्मनिर्भरता और सफल स्वदेशी विकास एवं सामरिक प्रणालियों तथा प्लेटफार्मों जैसे- अग्नि और पृथ्वी शृंखला मिसाइलों के उत्पादन की इसकी खोज जैसे- हल्का लड़ाकू विमान, तेजस: बहु बैरल रॉकेट लाॅन्चर, पिनाका: वायु रक्षा प्रणाली, आकाश: रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला आदि, ने भारत की सैन्य शक्ति को प्रभावशाली निरोध पैदा करने और महत्त्वपूर्ण लाभ प्रदान करने में प्रमुख योगदान दिया है।


DRDO का गठन:

DRDO की स्थापना वर्ष 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation- DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment- TDEs) तथा तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (Directorate of Technical Development & Production- DTDP) के संयोजन के बाद की गई थी।

DRDO वर्तमान में 50 प्रयोगशालाओं का एक समूह है जो रक्षा प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों  जैसे- वैमानिकी, शस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग प्रणालियाँ, इंस्ट्रूमेंटेशन, मिसाइलें, उन्नत कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली, लाईफ साइंस, प्रशिक्षण, सूचना प्रणाली तथा कृषि के क्षेत्र में कार्य कर रहा है।


DRDO का मिशन:

हमारी रक्षा सेवाओं के लिये अत्याधुनिक सेंसरों, हथियार प्रणालियों, प्लेटफार्मों और संबद्ध उपकरणों के उत्पादन हेतु डिज़ाइन, विकास और नेतृत्व।

युद्ध की प्रभावशीलता को अनुकूलित करने और सैनिकों की सुरक्षा को बढ़ावा देने हेतु सेवाओं को तकनीकी समाधान प्रदान करना।

बुनियादी ढांँचे और प्रतिबद्ध गुणवत्ता जनशक्ति का विकास करना तथा एक मज़बूत स्वदेशी प्रौद्योगिकी आधार का निर्माण करना।


DRDO के विभिन्न कार्यक्रम:

एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP):

यह मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय रक्षा बलों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु  डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के प्रमुख कार्यों में से एक था।

IGMDP के तहत विकसित मिसाइलें हैं: पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, आकाश, नाग।

मोबाइल ऑटोनोमस रोबोट सिस्टम:

MARS लैंड माइन्स और इनर्ट एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (Inert Explosive Devices- IEDs) को संभालने के लिये एक स्मार्ट मजबूत रोबोट है जो भारतीय सशस्त्र बलों से शत्रुओं को दूर कर निष्क्रिय करने में मदद करता है।

कुछ ऐड-ऑन के साथ, इस प्रणाली का उपयोग वस्तु के लिये जमीन खोदने और विभिन्न तरीकों से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस को डिफ्यूज़ करने के लिये भी किया जा सकता है।

लद्दाख में सबसे ऊंँचा स्थलीय केंद्र:

लद्दाख में DRDO का केंद्र पैंगोंग झील के पास चांगला में समुद्र तल से 17,600 फीट ऊपर है, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक और औषधीय पौधों के संरक्षण के लिये एक प्राकृतिक कोल्ड स्टोरेज इकाई के रूप में कार्य करना है।

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