विश्व ब्रेल दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व |लुइ ब्रेल कौन थी ?|World Braille Day 2022 Details in Hindi

विश्व ब्रेल दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व

विश्व ब्रेल दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व |लुइ ब्रेल कौन थी ?|World Braille Day 2022 Details in Hindi



विश्व ब्रेल दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व

दुनिया भर में ब्रेल (Braille) लिपि के महत्त्व को रेखांकित करने के लिये प्रतिवर्ष 04 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवसका आयोजन किया जाता है। ब्रेल (Braille) नेत्रहीन और दृष्टिबाधित लोगों के लिये प्रयोग की जाने वाली एक पद्धति है। यह दिवस ब्रेल लिपि के जनक लुई ब्रेल’ (फ्रांँस) की जयंती को चिह्नित करता है, जिन्होंने वर्ष 1824 में ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था। लुई ब्रेल का जन्म 4 जनवरी, 1809 को फ्रांँस के एक गाँव में हुआ था और बहुत कम आयु में ही एक दुर्घटना के बाद उनकी आँखों की रोशनी चली गई, जिसके बाद उन्होंने 15 वर्ष की आयु में ब्रेल लिपि का आविष्कार किया। वर्ष 1824 में बनी इस लिपि को वर्तमान में दुनिया के लगभग सभी देशों में मान्यता मिल चुकी है। विश्व ब्रेल दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नवंबर 2018 में की गई थी और इसका उद्देश्य आम लोगों के बीच ब्रेल लिपि के बारे में जागरूकता पैदा करना है। विश्व ब्रेल दिवस शिक्षकों, सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों को नेत्रहीन एवं दृष्टिबाधित लोगों के समक्ष मौजूद चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

 

विश्व ब्रेल दिवस के बारे में विस्तृत जानकारी 

नेत्रहीन लोगों और मंददृष्टि के शिकार लोगों के मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने एवं उनके मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिवर्ष 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवसमनाया जाता है।

उल्लेखनीय है कि विश्व ब्रेल दिवस 4 जनवरी को लुइस ब्रेल की याद में मनाया जाता है। फ्रांस में रहने वाले लुइस ब्रेल दृष्टिहीन होते हुए भी दृष्टिहीनों को पढ़ने लिखने योग्य बनाया। उन्होंने मात्र 15 वर्ष की आयु में दृष्टिहीनों के लिए एक अलग लिपि का विकास किया जिसे ब्रेल लिपि का नाम प्रदान किया गया।

विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 में वर्णित उपबंध को पूरा करने हेतु ब्रेल लिपि को आवश्यक माना गया है। विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 में विकलांग व्यक्तियों के शिक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सामाजिक समावेशन इत्यादि का लक्ष्य रखा गया है।

 

 

विश्व ब्रेल दिवस पृष्ठभूमि

पूरे विश्व में करीब एक अरब विकलांग व्यक्तियों की सामान्य परिस्थितियों में भी स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, रोजगार एवं सामुदायिक भागीदारी तक पहुंच नहीं हो पाती है। समाज के सर्वाधिक वंचित वर्ग में शामिल यह वर्ग गरीबी, हिंसा, सामाजिक उपेक्षा एवं किसी भी संकट के प्रति सर्वाधिक सुभेद्य होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व भर में लगभग 2 अरब से ज्यादा लोग किसी न किसी रूप में दृष्टिबाधिता, मंददृष्टि या नेत्रहीनता से पीड़ित हैं। उल्लेखनीय है कि नेत्रविकार से पीड़ित लोगों के ग़रीबी और अभाव भरे जीवन से पीड़ित होने की संभावना ज़्यादा होती है।

नेत्रहीनता की स्थिति में इन लोगों के अधिकार और मूलभूत जरूरतें पूरी नहीं हो पाती जिसके कारण इन लोगों को आजीवन असमानता, खराब स्वास्थ्य इत्यादि का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही दृष्टिहीन लोगों को शिक्षा एवं रोजगार के अवसरों में संरचनात्मक एवं परंपरागत अवरोधों का सामना करना पड़ता है।

नेत्रहीन और मंददृष्टि के शिकार लोगों के मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने एवं उनके मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए नवंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा इस दिवस को मनाए जाने का निर्णय लिया गया।

लुइ ब्रेल कौन थी ?

फ्रांस में रहने वाले लुइस ब्रेल दृष्टिहीन होते हुए भी दृष्टिहीनों को पढ़ने लिखने योग्य बनाया। लुइस ब्रेल ने मात्र 15 वर्ष की आयु में दृष्टिहीनों के लिए एक अलग लिपि का विकास किया जिसे ब्रेल लिपि का नाम प्रदान किया गया।

चार भाइयों-बहनों में लुइस ब्रेल सबसे छोटे थे एवं एक दुर्घटना के उपरांत लुइस ब्रेल पूरी तरीके से दृष्टिहीन हो गए।

शिक्षा प्राप्ति के लिए उन्हें पेरिस के रॉयल नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड चिल्डे्रन में भर्ती कराया गया। यहाँ वेलन्टीन होउ के द्वारा बनायी गयी लिपि से पढ़ाई होती थी, लेकिन यह लिपि अधूरी थी।

आगे चलकर लुइस ब्रेल सेना के एक कैप्टन के द्वारा सैनिकों द्वारा अंधेरे में पढ़े जाने वाली नाइट राइटिंग या सोनोग्राफी लिपि से अवगत हुए। इस लिपि में कागज पर अक्षरों को उभार कर बनाया जाता था एवं इसमें 12 बिंदुओं को 6-6 की दो पंक्तियों को रखा जाता था, लेकिन इसमें संख्या, विराम चिह्न, गणितीय चिह्न आदि का अभाव था।

लुइस ब्रेल ने इस लिपि के आधार पर 6 बिंदुओं का इस्तेमाल करते हुए 64 अक्षर और चिह्न बनाए जिसमें विराम चिह्न, गणितीय चिह्न के अलावा संगीत के नोटेशन भी लिखे थे। यही लिपि ब्रेल लिपि के नाम से प्रसिद्ध हुई।

ब्रेल लिपि क्या होती है ?

अन्य लिपियों की भांति ब्रेल लिपि (Braille scripts) भी एक तरह की लिपि है जिसे दृष्टिहीन लोगों के लिये बनाया गया है। ब्रेल लिपि को विश्व भर में दृष्टिहीन व्यक्तियों को पढ़ने और लिखने में के साथ दृष्टिहीन व्यक्तियों के साथ संचार स्थापित करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

ब्रेल लिपि में हर अक्षर, नंबर, संगीत और गणितीय चिन्हों को छह बिन्दुओं के माध्यम से दर्शाया जाता है जिन्हें कई तरह से क्रमों में संयोजित किया जा सकता है और उनके ऊपर उंगलिया चलाकर पढ़ा जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि ब्रेल लिपि ने दृष्टिहीन लोगों के बुनियादी स्वतंत्रता को बढ़ाने के साथ दृष्टिहीनता के शिकार लोगों के मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

शारीरिक अक्षमता से पीड़ितों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र संधि (CPRD) के अंतर्गत ब्रेल लिपि को संचार का एक सशक्त माध्यम माना गया है। इसके साथ ही ब्रेल लिपि को शिक्षा, अभिव्यक्ति और विचारों की आज़ादी, सूचना पहुंचाने और समावेशन को बढ़ावा देने के लिए बेहद ज़रूरी माना गया है।

लुइस ब्रेल के द्वारा बनाए गए ब्रेल लिपि में कई बार संशोधन किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि 1949 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और संगठन:यूनेस्को (UNESCO) के द्वारा एक सर्वेक्षण कराया गया जिससे यह जाना जा सके कि ब्रेल लिपि में क्या कठिनाइयां है एवं ब्रेल लिपि में एकरूपता को किस प्रकार स्थापित किया जा सकता है? इसके साथ ही वर्तमान में ब्रेल लिपि को सुविधाजनक बनाने हेतु इसको प्रौद्योगिकी का भी सहारा लिया जा रहा है।

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