अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस 27 दिसंबर | International day for Epidemic Preparedness in Hindi

अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस 27 दिसंबर

अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस 27 दिसंबर | International day for Epidemic Preparedness in Hindi


अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस 27 दिसंबर

  • कोरोना वायरस महामारी ने संक्रामक रोग के प्रकोप का पता लगाने और उसकी रोकथाम संबंधी प्रणाली में निवेश के महत्त्व को रेखांकित किया है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए 27 दिसंबर, 2020 को विश्व में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस का आयोजन किया गया।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने सभी सदस्य राष्ट्रों तथा अन्य वैश्विक संगठनों से किसी भी महामारी के विरुद्ध वैश्विक साझेदारी के महत्त्व की वकालत करने के लिये प्रतिवर्ष 27 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस के रूप में चिह्नित करने का आह्वान किया है।
  • इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य महामारी के संबंध में जागरूकता फैलाना और इसकी रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी के महत्त्व को रेखांकित करना है।


इतिहास की प्रमुख महामारी

जस्टिनियन प्लेग (Justinian Plague):

  • यह रिकॉर्ड किये गए इतिहास में सबसे घातक महामारियों में से है जिसकी उत्पति मिस्र में 6वीं शताब्दी में हुई थी। इसका प्रसार तेज़ी से पूर्वी रोमन साम्राज्य में हो गया। प्लेग का नाम पूर्वी रोमन साम्राज्य से तात्कालिक सम्राट जस्टिनियन के नाम पर 'जस्टिनियन प्लेग' पड़ा।
  • इस महामारी के कारण लगभग 25 से 100 मिलियन लोग मारे गए। इस महामारी के समय पूर्वी रोमन साम्राज्य में इटली, रोम और उत्तरी अफ्रीका सहित संपूर्ण भूमध्यसागरीय तट शामिल था।
  • 750 ईस्वी तक प्लेग का बार-बार प्रकोप रहा जिससे पूर्वी रोमन साम्राज्य आर्थिक रूप से बहुत कमज़ोर हो गया तथा प्लेग के प्रकोप के समाप्त होने तक रोमन साम्राज्य ने यूरोप में जर्मन-भाषी फ्रैंक्स क्षेत्र खो दिया तथा मिस्र एवं सीरिया अरब साम्राज्य के नियंत्रण में आ गया था।


ब्लैक डेथ (Black Death):

  • ब्लैक डेथ महामारी को मानव इतिहास में दर्ज सबसे घातक महामारी माना जाता है। इस महामारी का प्रभाव 14वीं शताब्दी के दौरान यूरोप और एशिया महाद्वीपों में रहा।
  • इस महामारी के दौरान 75 से 200 मिलियन लोग मारे गए। इसकी शुरुआत 1340 के प्रारंभिक दशक से मानी जाती है जिसका प्रभाव चीन, भारत, सीरिया और मिस्र के बाद 1347 में यूरोप तक हो गया। इस महामारी के कारण यूरोप की लगभग 50% आबादी खत्म हो गई।

इस महामारी के स्थायी आर्थिक और सामाजिक प्रभाव रहे:

  • महामारी के लिये यूरोप में यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया गया तथा यहीं से यूरोप में यहूदियों का उत्पीड़न प्रारंभ हुआ।
  • ब्लैक डेथ के बाद कैथोलिक चर्च का प्रभाव कम हो गया तथा मनुष्य के ईश्वर के साथ संबंधों को चुनौती दी गई।


स्पैनिश फ़्लू (Spanish Flu):

  • स्पैनिश फ़्लू, महामारी का प्रभाव प्रथम विश्व युद्ध के अंतिम चरण के दौरान रहा।  यह 20वीं शताब्दी की सबसे घातक महामारी थी जिसमें लगभग 50 मिलियन लोगों की मौत हुई थी। स्पैनिश फ्लू को सबसे पहले यूरोप में दर्ज किया गया, जिसका बाद में अमेरिका और एशिया में तेज़ी से प्रसार हुआ। भारत में इस महामारी से लगभग 17 से 18 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गई।
  • महामारी का प्रमुख प्रभाव प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम पर रहा। हालाँकि फ्लू से विश्व युद्ध में शामिल दोनों तरफ लोग मारे गए थे परंतु जर्मन और ऑस्ट्रियाई सेनाएँ इससे बुरी तरह से प्रभावित हुई। 

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