प्रवासी भारतीय दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व | NRI Day 2023 Details in Hindi

 प्रवासी भारतीय दिवस : इतिहास उद्देश्य , प्रवासी कौन होते हैं ?। Pravasi Bharatiya Divas

प्रवासी भारतीय दिवस : इतिहास उद्देश्य , प्रवासी कौन होते हैं ?


17वां प्रवासी भारतीय दिवस 2023

  • 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से 08-10 जनवरी 2023 तक इंदौर, मध्य प्रदेश में किया जा रहा है। 17वां पीबीडी कन्वेंशन चार साल के अंतराल के बाद भौतिक प्रारूप में आयोजित किया जाएगा। 2021 में पिछला पीबीडी सम्मेलन वस्तुतः कोविड महामारी के दौरान आयोजित किया गया था।
  • प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) कन्वेंशन 2023 का विषय "डायस्पोरा: अमृत काल में भारत की प्रगति के लिए विश्वसनीय भागीदार" (Diaspora: Reliable partners for India’s progress in Amrit Kaal”)है।
  • पीबीडी कन्वेंशन 2023 का उद्घाटन 09 जनवरी 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा।
  • युवा पीबीडी, युवा मामले और खेल मंत्रालय के साथ साझेदारी में 08 जनवरी 2023 को आयोजित किया जाएगा।


प्रवासी भारतीय दिवस कब मनाया जाता है ?  

  • भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को चिह्नित करने के लिये प्रतिवर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस’ का आयोजन किया जाता है।

प्रवासी भारतीय दिवस क्यों मनाया जाता है ?  

  • 9 जनवरी को पीबीडी मनाने के दिन के रूप में चुना गया था क्योंकि इसी दिन वर्ष 1915 में महात्मा गांधी महान प्रवासी, दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया और भारतीयों के जीवन को हमेशा के लिये बदल दिया।
  • वर्ष 2003 से प्रवासी दिवस मनाने की शुरुआत की गई  लेकिन वर्ष 2015 में इसे संशोधित किया गया और हर दो वर्ष पर इसे मनाने का निर्णय लिया गया। यह तब एक विषय-आधारित सम्मेलन था जिसे हर वर्ष अंतरिम अवधि के दौरान किया जाता था।
  • PBD सम्मेलन हर दो वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता हैं।

प्रवासी भारतीय दिवस पर क्या किया जाता है ?

  • इस अवसर पर विदेश मंत्रालय और विभिन्न देशों में मौजूद भारतीय दूतावासों में अलग-अलग कार्यक्रम जैसे- प्रवासी भारतीय दिवस (PBD) सम्मेलनप्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार और भारत को जानिये’ क्विज़ आदि का आयोजन किया जाता है।

प्रवासी भारतीय दिवस मनाने के निर्णय कब लिया गया था ?

  • केंद्र सरकार द्वारा गठित लक्ष्मीमल सिंघवी कमेटी ने सबसे पहले प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की सिफारिश की थी। इस समिति ने 18 अगस्त, 2000 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।

प्रवासी भारतीय दिवस का प्रथम बार आयोजन कब  किया गया ?

  • प्रथम प्रवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी 2003 को मनाया गया था और 2015 तक इसे वार्षिक रूप से मनाया गया। लेकिन 2016 में विदेश मंत्रालय ने इस आयोजन को द्विवार्षिक बनाने का निर्णय लियातब से यह हर दूसरे वर्ष मनाया जाता है।


प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) 2021

  • प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) 2021 की थीम आत्मनिर्भर भारत में योगदान’ है।
  • प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) 2021 सम्मेलन का भारत के माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी,द्वारा किया गया तथा इसके मुख्य अतिथिसूरीनाम के राष्ट्रपति महामहिम श्री चन्द्रिका प्रसाद संतोखी जी है।
  • उल्लेखनीय है कि युवा प्रवासी भारतीय दिवस का भी वर्चुअल प्रारूप में 8 जनवरी 2021 को "भारत और भारतीय डायस्पोरा के युवा अचीवर्स को एक साथ जोड़ना" विषय पर मनाया किया गया था और इसे युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय द्वारा संचालित किया गया। 

प्रवासी भारतीय दिवस का इतिहास 

  • केंद्र सरकार द्वारा गठित लक्ष्मीमल सिंघवी कमेटी ने सबसे पहले प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की सिफारिश की थी। इस समिति ने 18 अगस्त, 2000 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।
  • प्रवासी भारतीयों पर बनी इस रिपोर्ट पर अमल करते हुए पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार ने प्रवासी भारतीय दिवस मनाना शुरू किया।
  • प्रथम प्रवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी 2003 को मनाया गया था और 2015 तक इसे वार्षिक रूप से मनाया गया। लेकिन 2016 में विदेश मंत्रालय ने इस आयोजन को द्विवार्षिक बनाने का निर्णय लियातब से यह हर दूसरे वर्ष मनाया जाता है।

प्रवासी कौन होते हैं ?

  • संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी (आईओएम) के अनुसार एक प्रवासी वह व्यक्ति है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके या देश के अंदर ही अपने निवास स्थान से दूर स्थानांतरित हो जाता है। दूसरे आसान भाषा में कहें तो रोजगार या अन्य आर्थिक अवसरों के लाभबेहतर शिक्षाबेहतर जीवन या प्राकृतिक आपदा इत्यादि कारण से जब व्यक्ति अपने मूल निवास स्थान से विस्थापित होकर किसी अन्य देश या राज्य में निवास करता है तो उसे प्रवासी’ की संज्ञा दी जाती है।

प्रवासी भारतीय दिवस क्यों मनाया जाता है 

  • अप्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोचभावना की अभिव्यक्तिदेशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिए एक मंच उपलब्ध कराना।
  • विश्व के सभी देशों में अप्रवासी भारतीयों का नेटवर्क बनाना।
  • युवा पीढ़ी को अप्रवासियों से जोड़ना।
  • विदेशों में रह रहे भारतीय श्रमजीवियों की कठिनाइयां जानना तथा उन्हें दूर करने की कोश‍िश करना।
  • भारत के प्रति अनिवासियों को आकर्षित करना।
  • निवेश के अवसर को बढ़ाना।


प्रवासियों के समक्ष प्रमुख चुनौतियां

शारीरिकआर्थिक और मानसिक शोषण हेतु सुभेद्य होना: 

  • प्रवासी लोगों की कमजोर आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के कारण इनके शारीरिकआर्थिक और मानसिक शोषण होने की प्रबल आशंका विद्यमान रहती है। प्रायः ऐसा देखा गया है कि नॉन स्टेट एक्टर्स के द्वारा ह्यूमन ट्रैफिकिंग के लिए प्रवासी सबसे आसान टारगेट होते हैं। गौरतलब है कि विदेशों में नौकरी या भारत के किसी राज्य में नौकरी दिलाने के नाम पर प्रवासी को मानव तस्करी के जाल में फंसा लिया जाता है। एक बार मानव तस्करी के जाल में फंसने के उपरांत इन्हें वेश्यावृतिबेगार श्रमड्रग पेडलरभिक्षावृत्तिऑर्गन ट्रांसप्लांट इत्यादि गतिविधियों में शामिल कर दिया जाता है।


भाषा अवरोध: 

  • प्रवासी लोगों के लिए भाषा एक प्रमुख चुनौती होती है जिससे वे प्रायः किसी देश या राज्य के अवसरों का लाभ नहीं उठा पाते।


रोजगार के अवसर: 

  • प्रवासी लोगों के समक्ष सबसे प्रमुख चुनौती के रूप में रोजगार के अवसर सामने आते हैं क्योंकि कौशलभाषा इत्यादि कारकों के कारण प्राय: रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं।


आवास: 

  • प्रवासी लोगों को एक बेहतर आवास के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ता है कम आय का स्तर होने से उन्हें पर प्रायः निम्न आवासीय सुविधा वाले स्थलों में अपना जीवन व्यतीत करना पड़ता है।


स्थानीय सेवाओं तक पहुंच: 

  • स्थानीय लोगों की तुलना में प्रवासी लोगों को सार्वजनिक सेवाओं जैसे बिजलीजलएलपीजी कनेक्शननिशुल्क स्वास्थ्य लाभसस्ते दर पर अनाज इत्यादि जैसी सुविधाएं नहीं ले पाते।


परिवहन के मुद्दे:

  •  भाषा इत्यादि की बाध्यताप्रतिकूल आवास इत्यादि के कारण से इन्हें परिवहन से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।


सांस्कृतिक मतभेद:

  •  विभिन्न देशों या राज्यों में निवास कर रहे स्थानीय जनसंख्या से भिन्न धार्मिकसामाजिक मान्यता होने पर यह सांस्कृतिक मतभेद के रूप में सामने आते हैं जिसमें कई बार हिंसा के तत्व भी शामिल हो जाते हैं।


बच्चों की परवरिश: 

  • प्रवासी लोगों के बच्चों की परवरिश में भी काफी समस्याएं आती हैं क्योंकि एक दूसरे देश में या दूसरे राज्य में बच्चों को वहां की सांस्कृतिक सामाजिक पृष्ठभूमि के अनुसार रूपांतरित होने में काफी समय लगता है।


पक्षपात और भेद भाव : 

  • प्रवासी लोग के राजनैतिक अधिकार न होने के कारण प्राय: सरकार से दी जाने वाली सुविधाओं में पक्षपात किया जाता है एवं इन सुविधाओं में स्थानीय लोगों को ज्यादा वरीयता दी जाती है। इसके साथ ही प्रवासी लोग के साथ कई बार नस्लभेद समेत हिंसा का भी शिकार होते है।

एकांत: 

  • प्रवासी लोग अपने परिवारों से दूर रहते हुए एकांतवास में जीने को मजबूर होते हैं जिसके कारण से वे अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा तनाव में रहते है और मनोवैज्ञानिक कारकों से ज्यादा प्रभावित होता है।


मौसम: 

  • प्रवासी लोग को प्रायः अपने मूल देश से अन्य स्थान पर मौसम संबंधी बदलाव के समस्याओं का सामना करना पड़ता है।


क्षेत्रीयता: 

इसके साथ ही कई बार क्षेत्रीयता (उदाहरण माटी पुत्र की अवधारणा”) के कारण प्रवासियों के साथ दुर्व्यवहार एवं हिंसा किया जाता है।


नस्लीय भेदभाव: 

  • कई बार नस्लीय आधार पर प्रवासियों के साथ दुर्व्यवहार एवं हिंसा किया जाता है।


प्रवासियों का योगदान:

किसी भी देश या राज्य में प्रवासी वहां की आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उस क्षेत्र के समृद्धि में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। प्रवासियों के योगदान को निम्नलिखित तरीकों से समझा जा सकता है-


आर्थिक योगदान: 

  • किसी भी देश या राज्य में प्रवासी श्रम बल के रूप में नियोजित होते हैं। प्रवासी लोग अपने आर्थिक योगदान से किसी देश और क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने हेतु अपनी महती भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही वह कुछ क्षेत्र विशेष में वस्तुओंसेवाओं इत्यादि की मांग को भी बढ़ावा देते हैं जिसका लाभ प्रवासियों के मूल देश को भी प्राप्त होता है। उल्लेखनीय है कि प्रवासी लोगों का श्रम बल में नियोजन निम्न कौशल के क्षेत्र से उच्च कौशल के क्षेत्र तक में होते हैं।

सांस्कृतिक योगदान: 

  • वैश्वीकरण के इस दौर में प्रवासी लोगों के द्वारा सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से वैश्वीकरण के तत्वों को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे सांस्कृतिक सामंजस्य स्थापित होता है एवं दो विभिन्न समाज एक दूसरे के करीब आते हैं।


कूटनीतिक योगदान:

  •  प्रवासी लोग विदेशों में रहते हुए अपने मातृ देश के अनुकूल नीतियां बनाने हेतु निवास कर रहे देश में एक दबाव समूह का काम करते हैं। भारत की सॉफ्ट डिप्लोमेसी को पुरे विश्व में लोकप्रिय बनाने में भारतीय प्रवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।


रेमिटेंस की प्राप्ति: 

  • प्रवासी लोग अपने देश में लगातार रेमिटेंस के माध्यम से धन भेजते हैं। इससे भारत जैसे विकासशील देशों में अपने विकासात्मक गतिविधियों हेतु वित्त की प्राप्ति होना संभव हो पाता है।

प्रवासी भारतीयों के लिये भारत सरकार की प्रमुख पहल

भारत को जानें कार्यक्रम

भारत का अध्ययन कार्यक्रम


प्रवासी बच्चों के लिये छात्रवृत्ति कार्यक्रम

  • प्रवासी भारतीय पतियों द्वारा परित्यक्त/तलाकशुदा भारतीय महिलाओं के लिये कानूनी/वित्तीय सहयोग योजना
  • मूल जड़ों की खोज
  • महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना
  • प्रवासी भारतीय बीमा योजना
  • प्रवासी भारतीय तीर्थ दर्शन योजना
  • प्रवासी भारतीय सम्मान
  • दुनियाभर में भारतीय समुदाय के साथ बेहतर संवाद के लिए रिश्ता पोर्टल

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.